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Marketing Aur Sales Me Kya Antar Hai



मार्केटिंग और सेल्स में क्या अंतर है



आज के बाज़ारवाद के इस युग में चीज़ों के खरीदने और बेचने की प्रक्रिया में काफी बदलाव ला दिए हैं। अब वस्तुओं को महज बेचना ही पर्याप्त नहीं रह गया है। मार्किट में लम्बे समय तक अपने प्रोडक्ट को बेचने के लिए कंपनियां तरह तरह की रणनीतियां बनाती रहती हैं। इन्ही रणनीतियों में मार्केटिंग और सेल्स जैसे टर्म्स काफी प्रयोग होते हैं। मार्केटिंग और सेल्स चूँकि दोनों का उद्द्येश्य प्रोडक्ट का विक्रय होता है अतः कई बार लोग कन्फ्यूज्ड हो जाते हैं और दोनों को एक ही सन्दर्भ में प्रयोग करने लगते हैं। यद्यपि मार्केटिंग और सेल्स दोनों बाजार से जुड़े हुए हैं और दोनों का उद्देश्य वस्तुओं की बिक्री और धनार्जन होता है तो भी ये दो अलग अलग अर्थों वाले शब्द हैं। आइये देखते हैं मार्केटिंग और सेल्स में क्या अंतर है :


Marketing Aur Sales Me Kya Antar Hai





  • मार्केटिंग किसी उत्पाद की बिक्री के लिए की गयी सम्पूर्ण योजना, उसका इम्प्लीमेंटेशन, नियंत्रण की सिस्टेमेटिक प्रक्रिया है जिसमे क्रेता और विक्रेता के मध्य होने वाली सारी एक्टीविट्ज सम्मिलित होती है वहीँ किसी वस्तु का सेल क्रेता और विक्रेता के मध्य होने वाली एक प्रक्रिया है जिसमे खरीदने वाला और बेचने वाले के बीच वस्तु और पैसे का लेनदेन होता है।
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  • मार्केटिंग एक रणनीति होती है जिसमे ग्राहकों को प्रोडक्ट या सर्विस सेल करने के लिए कस्टमर रिलेशनशिप को ध्यान दिया जाता है जिससे कि प्रोडक्ट की बिक्री सुचारु रूप से जारी रहे और कस्टमर लम्बे समय तक उससे जुड़ा रहे और खरीदारी करता रहे ठीक इसके विपरीत किसी वस्तु के सेल में तात्कालिक चीज़ों का ध्यान रखा जाता है और इसमें कस्टमर की डिमांड कंपनी के ऑफर के हिसाब से तय होती है।

  • मार्केटिंग का उद्देश्य कस्टमर की इच्छा, आवश्यकता को जानना और उसे अपने प्रोडक्ट या सर्विस के माध्यम से पूरा करना होता है जिससे कि वह बार बार उस प्रोडक्ट को ख़रीदे और संतुष्ट होने पर खुद दूसरों को रेकमेंड कर जबकि सेल्स में ऐसा कुछ नहीं होता है सेल्स का उद्देश्य केवल और केवल प्रोडक्ट की बिक्री होती है।

  • मार्केटिंग के लिए डाटा कलेक्शन,रिसर्च, एनालिसिस, प्रतियोगी प्रोडक्ट और सेवाओं की प्राइसिंग और क्वालिटी तथा अपने प्रोडक्ट के लिए ऑफर, मूल्य निर्धारण आदि प्रक्रियाओं को करना पड़ता है जबकि सेल्स के लिए ऐसा कुछ नहीं करना पड़ता है।
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  • मार्केटिंग एक दीर्घगामी बिजिनेस की योजना होती है जबकि सेल्स तात्कालिक योजना होती है।

  • मार्केटिंग एक टीमवर्क होता है जबकि सेल्स टीमवर्क हो भी सकता है नहीं भी।

  • मार्केटिंग में ब्रांड का निर्माण किया जाता है और कस्टमर के भीतर ब्रांड वैल्यू की विश्वसनीयता स्थापित की जाती है सेल्स में ब्रांड निर्माण नहीं किया जाता है इसमें कस्टमर की आवश्यकता के अनुसार उसे वस्तु उपलब्ध कराकर उससे उसका मूल्य लिया जाता है।
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  • मार्केटिंग में कस्टमर को प्रोडक्ट की आवश्यकता महसूस कराई जाती है यानि वह कस्टमर निर्माण करता है जबकि सेल्स में कस्टमर अपनी जरुरत के हिसाब से प्रोडक्ट खरीदता है।

  • मार्केटिंग की प्रक्रिया का एक हिस्सा सेल्स है जबकि सेल्स में मार्केटिंग का कोई रोल नहीं है।
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  • मार्केटिंग में कस्टमर सटिस्फैक्शन को काफी महत्व दिया जाता है जबकि सेल्स में ऐसा कुछ नहीं होता है।

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