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विधान सभा और विधान परिषद् में क्या अंतर है



केंद्र की तर्ज पर राज्यों में शासन चलाने हेतु उनकी अपनी चुनी हुई सरकारें होती हैं। ये सरकारें विधान मंडल के द्वारा राज्य के हित में बहुत सारे फैसले लेती हैं। भारत में अधिकांश राज्यों के विधान मंडल में विधान सभा के साथ साथ विधान परिषद् की भी व्यवस्था की गयी है। विधान सभा और विधान परिषद् में राज्य से सम्बन्धी सारे फैसलों पर बहस होती है और फिर वह विधान बनता है जिसके आधार पर शासन की व्यवस्था की जाती है। आईये देखते हैं विधान सभा और विधान परिषद् में क्या अंतर है 


विधान सभा क्या है 

विधान सभा विधान मंडल का प्रमुख अंग होता है। यह विधान मंडल का निचला सदन होता है। इसके सदस्यों का निर्वाचन राज्य के नागरिकों द्वारा प्रत्यक्ष चुनाव से होता है। इस प्रक्रिया में 18 वर्ष या इससे ऊपर का हर मतदाता जो उस राज्य का निवासी है भाग ले सकता है। विधान सभा के सदस्यों का कार्यकाल पांच वर्ष का होता है। विधान सभा स्थाई सदन नहीं होता है। इसे पांच वर्षों के बाद या मुख्यमंत्री की अनुशंसा पर उसके पहले भी भंग किया जा सकता है। विधान सभा के सदस्यों की संख्या 500 से अधिक और 60 से कम नहीं हो सकती है।


हालाँकि कुछ राज्य जैसे गोवा, सिक्किम, मिजोरम अपवाद हैं। कुछ राज्यों की विधान सभा में एक सदस्य एंग्लो इंडियन समुदाय से राजयपाल के द्वारा मनोनीत किया जाने का प्रावधान भी है यदि राजयपाल को लगता है कि उनका समुचित प्रतिनिधित्व नहीं हुआ है।


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विधान परिषद् क्या है 

विधान परिषद् राज्यों की प्रतिनिधि सभा होती है। यह विधान मंडल का एक अंग होता है । यह ऊपरी सदन होता है। इसके सदस्यों का चुनाव अप्रत्यक्ष रूप से होता है अर्थात इनके चुनाव में जनता की सीधी भागीदारी नहीं होती है। विधान परिषद् के कुछ सदस्यों को राजयपाल मनोनीत करता है। इसके सदस्यों की कार्यावधि छह साल होती है। इसके एक तिहाई सदस्य हर दूसरे साल में रिटायर हो जाते हैं। विधान परिषद् स्थाई निकाय होता है और इसे भंग नहीं किया जा सकता। किसी राज्य के विधान सभा के सदस्यों की संख्या उसके विधान सभा के सदस्यों की एक तिहाई से अधिक नहीं हो सकती और किसी भी स्थिति में चालीस से कम नहीं हो सकती। इसके एक तिहाई सदस्यों का निर्वाचन नगरपालिकाओं के सदस्यों, जिला बोर्डों के सदस्य तथा अन्य प्राधिकरण के सदस्यों के द्वारा किया जाता है। अन्य एक तिहाई सदस्यों का चुनाव विधान परिषद् के सदस्य ऐसे लोगों में से करते है जो इसके सदस्य नहीं है। 1 /12 सदस्यों का चुनाव निर्वाचिका द्वारा विभिन्न शैक्षणिक संस्थानों में (माध्यमिक और उससे ऊपर के संस्थानों से ) कम से कम तीन वर्षों का अनुभव रखने वाले लोगों में से किया जाता है। अन्य 1 /12 सदस्यों का चुनाव पंजीकृत स्नातकों के द्वारा किया जाता है। जबकि शेष सदस्यों का मनोयन राज्यपाल द्वारा शिक्षा, कला, समाज सेवा, विज्ञानं आदि क्षेत्रों में विशिष्टता रखने वाले लोगों का किया जाता है। 

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विधान सभा और विधान परिषद् में क्या अंतर है 
  • किसी राज्य की विधान सभा विधान मंडल का निचला सदन होता है जबकि विधान परिषद् ऊपरी सदन होता है।


  • विधान सभा को विघटित किया जा सकता है जबकि विधान परिषद् एक स्थायी सदन होता है।


  • विधान सभा के सदस्यों का चुनाव प्रत्यक्ष मतदान द्वारा होता है जिसमे जनता सीधे भाग लेती है जबकि विधान परिषद् के सदस्यों का चुनाव अप्रत्यक्ष तरीके से होता है।
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  • विधान सभा में केवल एक सदस्य राज्यपाल द्वारा मनोनीत हो सकता है जबकि विधान परिषद् में एक से ज्यादा सदस्यों का मनोयन राजयपाल के द्वारा होता है जो कला, विज्ञानं, खेल, समाजसेवा आदि क्षेत्रों में विशिष्ट योग्यता रखते हों।

  • विधान सभा के सदस्यों की न्यूनत्तम आयु 25 वर्ष होती है जबकि राज्य सभा के सदस्यों की न्यूनत्तम आयु 30 वर्ष होती है।

  • मनी बिल विधान सभा में ही लाया जाता है विधान परिषद् में इसे अधिकत्तम चौदह दिनों तक रखा जा सकता है।

  • सरकार के विरुद्ध अविश्वास प्रस्ताव केवल विधान सभा में ही लाया जा सकता है विधान परिषद् में नहीं।
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किसी भी सरकार के सुचारु रूप से शासन के लिए दोनों सभाओं का होना आवश्यक माना जाता है। ये दोनों सदन अर्थात विधान सभा और विधान परिषद् शासन व्यवस्था में अपनी अपनी भूमिका के लिए काफी महत्वपूर्ण हैं और एक तरह से एक दूसरे के पूरक हैं।

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6 टिप्पणियाँ

  1. विधान परिषद में कुल सदस्यों की संख्या , उस राज्य की विधान सभा की कुल सदस्यो की संख्या की एक तिहाई से अधिक नहीं हो सकती है , किन्तु किसी भी अवस्था में विधान परिषद के सदस्यों की कुल संख्या चालीस (४०)से कम भी नहीं होना चाहिए । ( अपवाद - जम्मू कश्मीर(३६)



    वर्तमान में केवल सात राज्य में विधान परिषद विद्यमान है । वे उस प्रकार है - उत्तर प्रदेश , कर्नाटक , जम्मू कश्मीर ,महाराष्ट्र बिहार , आंध्र प्रदेश, तेलंगाना ।

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  2. वर्तमान में केवल 6 राज्यो में ही विधान परिषद बची है जम्मू कश्मीर के केंद्र शाषित प्रदेश बनने के बाद वँहा अब विधान परिषद समाप्त हो चुकी है

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  3. लोकसभा विधानसभा राज्यसभा इन तमाम सभाओं का एक ही मकसद है की जन कल्याण हो अर्थात देश सेवा समाज सेवा सबका साथ सबका विकास सबका भला हो और निष्पक्ष होना चाहिए। लेकिन ऐसा क्यों नहीं हो पाता है? जबकि इस मेंअधिकांश शिक्षित पढ़े लिखे लोग होते हैं। हम जनता यही आशा करते हैं कि, वाकई जनसेवा देश सेवा लोक सेवा निष्पक्ष हो- जाति धर्म से ऊपर हो। धन्यवाद। एक सामान्य भारत का नागरिक।

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  4. विधान पारिषद की आवश्यकता क्यों पड़ती है।यह क्यों बनाई गई है?

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  5. राज्य सभा ओर विधान परिषद व्यर्थ ओर निरर्थक है।

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