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इंडिया गेट और गेट वे ऑफ़ इंडिया में क्या अंतर है






इंडिया गेट और गेट वे ऑफ़ इंडिया भारत की न केवल ऐतिहासिक इमारतें हैं बल्कि ये दोनों दुनियां में भारत की पहचान भी हैं। दोनों जगह हमेशा पर्यटकों का ताँता लगा रहता है। इंडिया गेट और गेट वे ऑफ़ इंडिया को लेकर न केवल विदेशों में बल्कि अपने देश भारत में भी लोग अकसर भ्रमित हो जाते हैं और दोनों को एक समझ बैठते हैं। ये दोनों अलग अलग हैं और दोनों का अपना अपना इतिहास है दोनों के बनने के मकसद भी जुदा जुदा हैं। आइए आज हम पढ़ते हैं दोनों के बारे में और देखें दोनों में क्या अंतर है।




इंडिया गेट


इंडिया गेट जिसे अखिल भारतीय युद्ध स्मारक भी कहा जाता है नयी दिल्ली के राजपथ पर स्थित एक स्मारक है। इस गेट को प्रथम विश्व युद्ध और अफगान युद्धों में शहीद करीब 90 हजार भारतीय सैनिकों की स्मृति में अंग्रेजों के द्वारा बनवाया गया था जो ब्रिटिश सेना की ओर से उन युद्धों में भाग लिए थे। इसका निर्माण 1931 में किया गया था। इसकी डिजाइन एडवर्ड लुटियंस ने तैयार की थी। यह लाल और पीले बलुआ पत्थरों का बना हुआ है। इसकी ऊंचाई करीब 43 मीटर है। इसे पहले किंग्सवे कहा जाता था। इसपर 13220 सैनिकों के नाम उत्कीर्ण है। 





शुरू शुरू में इंडिया गेट के सामने जॉर्ज पंचम की मूर्ति लगी हुई थी जिसे बाद में कोरोनेशन पार्क में स्थापित कर दिया गया। अभी मूर्ति की जगह केवल एक छतरी दीखती है। बांग्लादेश मुक्ति संग्राम के बाद 1972 में यहाँ एक और निर्माण किया गया। यह निर्माण इंडिया गेट के मेहराब के ठीक नीचे एक काला चबूतरा है जिसपर एक राइफल उल्टा खड़ा है। इस राइफल के ऊपर एक सैनिक की टोपी रखी गयी है। इसके चारों कोनो पर अमर जवान ज्योति सदैव जलती रहती है। यह भारत के उन अज्ञात और अनाम शहीद सैनिकों की याद में बनवाया गया है जो विभिन्न युद्धों में अपनी जान न्योछावर कर देते हैं। इस अमर जवान ज्योति पर प्रतिवर्ष भारत के प्रधान मंत्री और तीनों सेनाओं के अध्यक्ष फूल चढ़ाकर अपनी श्रद्धांजलि देते हैं।





गेट वे ऑफ़ इंडिया

गेट वे ऑफ़ इंडिया दक्षिण मुंबई में स्थित एक ऐतिहासिक इमारत है। इसे भारत का प्रवेश द्वार भी कहा जाता है। यह दक्षिण मुंबई के अपोलो बन्दर के पास स्थित है। यह स्थान क्षत्रपति शिवजी टर्मिनस से तीन किलोमीटर दूर है। इसे बीसवीं शताब्दी में जॉर्ज पंचम और क्वीन मैरी के प्रथम भारत आगमन के उपलक्ष्य में बनवाया गया था। जॉर्ज पंचम और रानी मैरी का आगमन 2 दिसंबर 1911 में हुआ था। गेट वे ऑफ़ इंडिया 1924 में बन कर तैयार हुआ था। गेट वे ऑफ़ इंडिया इसके बाद कई ब्रिटिश हस्तियों के आगमन का आधिकारिक मार्ग बन गया। गेट वे ऑफ़ इंडिया की ऊंचाई 26 मीटर है। इसके वास्तुकार जॉर्ज विंटेट थे। गेट वे ऑफ़ इंडिया के ठीक सामने अरब सागर है। यह स्मारक बेसाल्ट पत्थरों का बना हुआ है। गेट वे ऑफ़ इंडिया भारत से अंग्रेजों के जाने का भी साक्षी है इसी रास्ते अंग्रेजों का आखरी जत्था भारत की आज़ादी के बाद 1948 में ब्रिटैन वापस गया। 


Gateway Of India, Mumbai, Gate


गेट वे ऑफ़ इंडिया के एक और जहाँ समुद्र है वहीँ दूसरी ओर ताजमहल होटल है। गेट वे ऑफ़ इंडिया के सामने अनेक छोटे छोटे मोटर बोट और स्टीमर खड़े रहते हैं जिनमे सवार होकर समुद्र की सैर और समुद्र से मुंबई का दर्शन किया जा सकता है। 


इंडिया गेट और गेट वे ऑफ़ इंडिया में क्या अंतर है 

  • इंडिया गेट भारत की राजधानी नयी दिल्ली में स्थित है जबकि गेट वे ऑफ़ इंडिया भारत की आर्थिक राजधानी मुंबई में स्थित है।

  • इंडिया गेट एक युद्ध स्मारक है जिसे प्रथम विश्व युद्ध में शहीद भारतीय शहीदों की याद में बनवाया गया था जबकि गेट वे ऑफ़ इंडिया ब्रिटिश सम्राट जॉर्ज पंचम और क्वीन मैरी के आगमन के उपलक्ष्य में बनवाया गया था।
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  • इंडिया गेट की ऊंचाई 43 मीटर है जबकि गेट वे ऑफ़ इंडिया की ऊंचाई 26 मीटर है।

  • इंडिया गेट के आर्किटेक्ट एडवर्ड लुटियंस थे जबकि गेट वे ऑफ़ इंडिया के वास्तुकार जॉर्ज विटेट थे।

  • इंडिया गेट का निर्माण 10 फ़रवरी 1921 में शुरू हुआ था जबकि गेट वे ऑफ़ इंडिया का निर्माण 31 मार्च 1911 में शुरू हुआ।

  • इंडिया गेट 1931 में बन कर तैयार हुआ जबकि गेट वे ऑफ़ इंडिया 1924 में कम्पलीट हुआ।


  • इंडिया गेट का निर्माण लाल और पीले बलुआ पत्थरों से हुआ है जबकि गेट वे ऑफ़ इंडिया का निर्माण बेसाल्ट पत्थरों से हुआ है।

  • इंडिया गेट पेरिस के आर्क दे ट्रायम्फ से प्रभावित ईमारत है जबकि गेट वे ऑफ़ इंडिया रोमन ट्रायम्फल आर्क और गुजरात के सोलहवीं शताब्दी की वास्तुकला पर आधारित है।

Gateway Of India, Mumbai, Gate

इस तरह हम देखते हैं इंडिया गेट के बनने की अपनी वजह है और इसका अपना इतिहास है। यह एक युद्ध स्मारक है। वहीँ गेट वे ऑफ़ इंडिया अंग्रेज सम्राट के आगमन का प्रतिक है। भले ही दोनों का इतिहास अलग अलग है किन्तु एक बात दोनों में समान है दोनों ही बेहद आकर्षक और भव्य इमारतें हैं और पर्यटकों को बरबस अपनी ओर खींच लेती हैं।

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