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CBSE और ICSE बोर्ड में क्या अंतर है


भारत में माध्यमिक शिक्षा के लिए राज्यों के अपने अपने बोर्ड हैं जिनके द्वारा माध्यमिक परीक्षाएं आयोजित कराई जाती हैं। इन बोर्डों के अलावे जिन शिक्षा बोर्डों में विद्यार्थी ज्यादा रूचि लेते है वे हैं CBSE और ICSE बोर्ड। ये दोनों ही शिक्षा बोर्ड काफी लोकप्रिय और प्रतिष्ठित हैं और पूरे देश में हजारों स्कूल इनसे सम्बद्ध होकर शिक्षा प्रदान कर रहे हैं। 



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CBSE बोर्ड क्या है 


CBSE भारत के महत्वपूर्ण और अग्रणी शिक्षाबोर्डों में से एक है। इसका नियंत्रण सीधे भारत सरकार के द्वारा होता है। CBSE का फुलफॉर्म होता है सेंट्रल बोर्ड ऑफ़ सेकेंडरी एजुकेशन(Central Board Of Secondary Education) जिसे हिंदी में केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड कहा जाता है। CBSE का मुख्य उद्द्येश्य शिक्षा संस्थानों को अधिक प्रभावशाली ढंग से लाभ पंहुचना तथा उन छात्रों की शैक्षिक आवश्यकताओं के प्रति उत्तरदायी होना जिनके माता पिता केंद्रीय सरकार के कर्मचारी हैं और जिनका प्रायः एक स्थान से दूसरे स्थान पर स्थानांतरण होता रहता है। सीबीएसई की स्थापना 3 नवम्बर 1962 को हुई थी। CBSE भारत के सभी केंद्रीय विद्यालयों, जवाहर नवोदय विद्यालयों तथा प्राइवेट विद्यालयों को मान्यता प्रदान करती है सञ्चालन करती है और बोर्ड परीक्षाएं आयोजित कराती है। इन परीक्षाओं के साथ साथ CBSE JEE, AIEEE ,NEET, आल इंडिया प्री मेडिकल टेस्ट परीक्षाओं का भी आयोजन कराती है।



CBSE बोर्ड में NCERT की किताबों को मान्यता होती है। CBSE द्वारा भारत में करीब उन्नीस हज़ार स्कूलों को मान्यता दी गयी है जिनमे केंद्रीय विद्यालय, स्वतंत्र विद्यालय , जवाहर नवोदय विद्यालय और केंद्रीय तिब्बती विद्यालय सम्मिलित हैं। सीबीएसई भारत के बाहर भी कई देशों में चल रहे स्कूलों को मान्यता देती है। CBSE की ऑफिसियल वेबसाइट cbse.nic.in है। सीबीएसई का ध्येय वाक्य असतो मा सद्गमय है। 


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CBSE के कार्य
  • पहली कक्षा से 12 वीं कक्षा तक के पाठ्यक्रम तैयार करना
  • कक्षा 10 और 12 के लिए सार्वजनिक परीक्षाएं करवाना और सफल विद्यार्थियों को सर्टिफिकेट प्रदान करना।

  • जिन कर्मचारियों का स्थानांतरण होता रहता है उन माता पिता के बच्चों के लिए शैक्षणिक आवश्यकताओं को पूरा करना।

  • परीक्षा प्रयोजन करने हेतु विद्यालय को सम्बद्धता प्रदान करना आदि।

  • कुछ महत्वपूर्ण प्रवेश परीक्षाएं आयोजित करवाना।




ICSE बोर्ड क्या है 


CBSE की तरह ही ICSE एक शिक्षा बोर्ड है जो 10 वीं और 12 वीं की परीक्षाएं कराता है। ICSE का फुलफॉर्म इंडियन सर्टिफिकेट ऑफ़ सेकेंडरी एजुकेशन (Indian Certificate Of Secondary Education ) होता है। ICSE एक गैर सरकारी शिक्षा बोर्ड है। इसकी स्थापना भारत में एंग्लो इंडियन एजुकेशन के मुख्य उद्द्येश्य से की गयी थी।
ICSE बोर्ड की स्थापना 1956 में की गयी थी जिसे बाद में भारत में नयी शिक्षा निति 1986 की सिफारिशों पर सामान्य एजुकेशन के सिलेबस में परीक्षा के लिए तैयार किया गया। ICSE की परीक्षाएँ CISCE के द्वारा आयोजित की जाती हैं। ICSE की परीक्षाएं केवल अंग्रेजी माध्यम से दी जा सकती हैं। इसकी परीक्षा में केवल ISCE द्वारा मान्यताप्राप्त संस्थानों के नियमित छात्र ही शामिल हो सकते हैं। निजी छात्रों को इस परीक्षा में शामिल होने की अनुमति नहीं होती है। इसका ऑफिसियल वेबसाइट है www.cisce.org 




CBSE और ICSE बोर्ड में क्या अंतर है 


CBSE और ICSE दोनों भारत में सेकेंडरी परीक्षाओं के लिए प्रतिष्ठित बोर्ड हैं और इनके माध्यम से लाखों परीक्षार्थी हर वर्ष बोर्ड की परीक्षाएं देते हैं। दोनों बोर्डों के उद्द्येश्यों में समानता होते हुए भी कई अंतर हैं। आइए देखते हैं दोनों में क्या अंतर हैं


  • CBSE मध्ययमिक परीक्षाओं का एक सरकारी शिक्षा बोर्ड है जिसपर केंद्र सरकार का नियंत्रण रहता है जबकि ICSE माध्यमिक परीक्षाओं का एक गैर सरकारी शिक्षा बोर्ड है।
  • CBSE बोर्ड में अंग्रेजी तथा हिंदी दोनों माध्यम से शिक्षा प्रदान की जाती है जबकि ISCE में शिक्षा का माध्यम केवल अंग्रेजी है।

  • CBSE में प्राइवेट तौर पर भी परीक्षार्थी भाग ले सकते हैं किन्तु ICSE में केवल ICSE द्वारा मान्यता प्राप्त स्कूलों के नियमित छात्र ही परीक्षा में सम्मिलित हो सकते हैं।

  • CBSE में NCERT की पुस्तकों द्वारा अध्यापन होता है जबकि ICSE में किसी भी प्रकाशन की पुस्तके चल सकती है.

  • CBSE का सिलेबस NEET, JEE मैन्स, UPSEE जैसी परीक्षाओं के लिए उपयुक्त है वहीँ ICSE का सिलेबस कैंब्रिज स्कूल से प्रेरित है। इसमें जो विद्यार्थी IELTS और TOEFL जैसी परीक्षाओं में शामिल होने की चाहत रखते हैं उनके लिए काफी लाभदायक होता है।

  • CBSE इंजिनिअरींग और मेडिकल में अध्ययन की इच्छा रखने वाले विद्यार्थियों के लिए उपयुक्त है जबकि ISCE नहीं।

  • CBSE में अंग्रेजी का केवल एक पेपर होता है जबकि ICSE बोर्ड में अंग्रेजी के दो पेपर होते हैं। CBSE बोर्ड में विज्ञानं का केवल एक पेपर होता है वहीँ ICSE में विज्ञानं के तीन पेपर होते हैं।

  • CBSE में पर्यावरण विषय का अध्ययन अनिवार्य नहीं है जबकि ICSE बोर्ड में इसका अध्ययन अनिवार्य है।

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  • CBSE बोर्ड में ग्रेड द्वारा परीक्षा का परिणाम घोषित किया जाता है जबकि ICSE बोर्ड में ग्रेड तथा अंक दोनों तरह से परिणाम घोषित किये जाते हैं।

  • CBSE बोर्ड में दसवीं बोर्ड में केवल छह विषयों का अध्ययन करना है जबकि ICSE बोर्ड में बारह विषयों का अध्ययन करना होता है।

  • CBSE बोर्ड नौकरीपेशा वाले लोगों के बच्चों के लिए उपयुक्त है क्योंकि स्थान बदलने पर भी किताबें उनकी वही NCERTE की ही रहती है जबकि ICSE में निजी प्रकाशनों की किताबे चलने से विद्यार्थियों को थोड़ी परेशानी होती है।


  • CBSE खुद एक बोर्ड है जो परीक्षा आयोजित कराता है जबकि ICSE एक परीक्षा है जिसका आयोजन CISCE के द्वारा होती है 

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CBSE और ICSE दोनों हो बोर्डों की अपनी अपनी विशेषताएं हैं। अपने अपने उद्द्येश्यों में दोनों ही बोर्ड सफल है और विद्यार्थियों के बीच काफी लोकप्रिय है। दोस्तों यह पोस्ट आपको कैसा लगा कृपया कमेंट करके हमें बताएं।

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