योग और व्यायाम या एक्सरसाइज में क्या अंतर है

योग क्या है
योग एक आध्यात्मिक प्रक्रिया है जिसके द्वारा तन,मन और आत्मा को एक साथ लाने अर्थात जोड़ने की क्रिया की जाती है। योग संस्कृत के युज से निकला हुआ प्रतीत होता है जिसका अर्थ है जोड़ना, योग का एक और अर्थ होता है और वह है समाधि अतः कहा जा सकता है शरीर से आत्मा को जोड़ने के लिए समाधि की अवस्था ही योग है।
योग की परिभाषा
विष्णु पुराण के अनुसार "योगः संयोग इत्युक्तः जीवात्म परमात्मने "अर्थात जीवात्मा से परमात्मा का पूर्णतयः मिलन ही योग है।
भगवत गीता के अनुसार "सिद्धसिध्दयो समोभूत्वा समत्वं योग उच्चते "अर्थात दुःख सुख, लाभ अलाभ, शत्रु मित्र,शीतल उष्ण आदि द्वंदों में सर्वत्र संभव रखना योग है।
पातंजल योग दर्शन के अनुसार "योगश्चितवृत्त निरोधः "अर्थात चित्त की वृत्तियों का निरोध ही योग है।

योग दुनिया को भारत की देन है। भारत में योग की पांच हज़ार वर्षों की परंपरा रही है। वैदिक साहित्य में भी योग का वर्णन मिलता है। इसके साथ ही बौद्ध, जैन धर्मों में भी इसकी महत्ता को स्वीकारा गया है। पतंजलि को व्यापक रूप से औपचारिक योग का संस्थापक माना जाता है।
योग मुख्य रूप से चार प्रकार का माना गया है
राजयोग, हठ योग, लय योग और मन्त्र योग। इनके अलावा गीता में दो प्रकार के योग का वर्णन है कर्मयोग और ज्ञान योग।
कुल मिलाकर चित्त को नियंत्रण में करना और ऐसी स्थिति में ध्यान करना जिसमे मन सारी चंचलताओं से मुक्त एकदम शून्य में केंद्रित हो जाये, योग कहलाता है। इस तरह की क्रिया के बाद मन ऊर्जा से परिपूर्ण और शरीर चुस्त दुरुस्त महसूस होता है।
यही कारण है कि विद्वानों ने योग को जीवन जीने की कला माना है। इसी सन्दर्भ में योग को एक चिकित्सा पद्धति माना गया है जिसके द्वारा शरीर और मन दोनों को स्वस्थ रखा जा सकता है। योग के विभिन्न आसनों के द्वारा न केवल शरीर के विभिन्न व्याधियों का उपचार किया जा सकता है बल्कि मन को चुस्त दुरुस्त और ऊर्जावान बनाया जा सकता है।
विष्णु पुराण के अनुसार "योगः संयोग इत्युक्तः जीवात्म परमात्मने "अर्थात जीवात्मा से परमात्मा का पूर्णतयः मिलन ही योग है।
भगवत गीता के अनुसार "सिद्धसिध्दयो समोभूत्वा समत्वं योग उच्चते "अर्थात दुःख सुख, लाभ अलाभ, शत्रु मित्र,शीतल उष्ण आदि द्वंदों में सर्वत्र संभव रखना योग है।
पातंजल योग दर्शन के अनुसार "योगश्चितवृत्त निरोधः "अर्थात चित्त की वृत्तियों का निरोध ही योग है।

योग दुनिया को भारत की देन है। भारत में योग की पांच हज़ार वर्षों की परंपरा रही है। वैदिक साहित्य में भी योग का वर्णन मिलता है। इसके साथ ही बौद्ध, जैन धर्मों में भी इसकी महत्ता को स्वीकारा गया है। पतंजलि को व्यापक रूप से औपचारिक योग का संस्थापक माना जाता है।
योग मुख्य रूप से चार प्रकार का माना गया है
राजयोग, हठ योग, लय योग और मन्त्र योग। इनके अलावा गीता में दो प्रकार के योग का वर्णन है कर्मयोग और ज्ञान योग।
कुल मिलाकर चित्त को नियंत्रण में करना और ऐसी स्थिति में ध्यान करना जिसमे मन सारी चंचलताओं से मुक्त एकदम शून्य में केंद्रित हो जाये, योग कहलाता है। इस तरह की क्रिया के बाद मन ऊर्जा से परिपूर्ण और शरीर चुस्त दुरुस्त महसूस होता है।
यही कारण है कि विद्वानों ने योग को जीवन जीने की कला माना है। इसी सन्दर्भ में योग को एक चिकित्सा पद्धति माना गया है जिसके द्वारा शरीर और मन दोनों को स्वस्थ रखा जा सकता है। योग के विभिन्न आसनों के द्वारा न केवल शरीर के विभिन्न व्याधियों का उपचार किया जा सकता है बल्कि मन को चुस्त दुरुस्त और ऊर्जावान बनाया जा सकता है।
व्यायाम या एक्सरसाइज क्या है
शरीर को स्वस्थ और चुस्त दुरुस्त रखने के लिए आवश्यक है कि शरीर में रक्त प्रवाह सुचारु रूप से हो, शरीर के हर भाग में रक्त संचार हो। व्यायाम या एक्सरसाइज शरीर की इसी क्रिया में मदद करके हमारे शरीर को स्वस्थ तथा बलशाली बनाता है। अतः हम कह सकते हैं कि वे सभी क्रियाएं जिनके द्वारा शरीर को स्वस्थ तथा बलशाली रखा जाता है, व्यायाम या एक्सरसाइज कहलाती हैं। इन क्रियाओं में मांसपेशियों को मजबूत बनाना, ह्रदय प्रणाली को स्वस्थ रखना, वजन कम करना आती हैं। व्यायाम या एक्सरसाइज के अंतर्गत दौड़ना, जॉगिंग करना, दंड बैठक, ड्रिल आदि कई क्रियाएं आती हैं। जिम में तरह तरह के उपकरणों द्वारा अभ्यास और वजन उठाने की क्रिया भी व्यायाम कहलाती है। इन अभ्यासों से मांसपेशियों का विकास होता है और शरीर हष्टपुष्ट बनता है। व्यायाम से पाचन क्रिया तेज होती है और खूब भूख लगती है। नियमित व्यायाम करने से शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली मजबूत होती है, ह्रदय रोग की संभावना कम होती है मधुमेह के नुकसान से बचा जा सकता है। व्यायाम मोटापा कम करता है और पेट को अंदर करता है।

व्यायाम के प्रकार
व्यायाम मुख्य से तीन प्रकार के होते हैं
नमयक व्यायाम : इसके अंतर्गत स्ट्रेचिंग आती है जिसमे शरीर के भागों को खींचा जाता है।
एरोबिक व्यायाम : इसमें साइकिल चलाना, तैराकी, घूमना, दौड़ना आदि आते हैं।
एनारोबिक व्यायाम : इसके अंतर्गत वजन उठाना आदि आते हैं।
व्यायाम से हमारा शरीर हष्टपुष्ट और सुगठित हो जाता है। यह हमारी भूख को बढ़ाता है और मानसिक तनाव को कम करता है।
नियमित व्यायाम करने से शरीर में कई रोग नियंत्रित में रहते हैं जैसे ह्रदय रोग और डायबिटीज आदि।
शरीर को स्वस्थ और चुस्त दुरुस्त रखने के लिए आवश्यक है कि शरीर में रक्त प्रवाह सुचारु रूप से हो, शरीर के हर भाग में रक्त संचार हो। व्यायाम या एक्सरसाइज शरीर की इसी क्रिया में मदद करके हमारे शरीर को स्वस्थ तथा बलशाली बनाता है। अतः हम कह सकते हैं कि वे सभी क्रियाएं जिनके द्वारा शरीर को स्वस्थ तथा बलशाली रखा जाता है, व्यायाम या एक्सरसाइज कहलाती हैं। इन क्रियाओं में मांसपेशियों को मजबूत बनाना, ह्रदय प्रणाली को स्वस्थ रखना, वजन कम करना आती हैं। व्यायाम या एक्सरसाइज के अंतर्गत दौड़ना, जॉगिंग करना, दंड बैठक, ड्रिल आदि कई क्रियाएं आती हैं। जिम में तरह तरह के उपकरणों द्वारा अभ्यास और वजन उठाने की क्रिया भी व्यायाम कहलाती है। इन अभ्यासों से मांसपेशियों का विकास होता है और शरीर हष्टपुष्ट बनता है। व्यायाम से पाचन क्रिया तेज होती है और खूब भूख लगती है। नियमित व्यायाम करने से शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली मजबूत होती है, ह्रदय रोग की संभावना कम होती है मधुमेह के नुकसान से बचा जा सकता है। व्यायाम मोटापा कम करता है और पेट को अंदर करता है।

व्यायाम के प्रकार
व्यायाम मुख्य से तीन प्रकार के होते हैं
नमयक व्यायाम : इसके अंतर्गत स्ट्रेचिंग आती है जिसमे शरीर के भागों को खींचा जाता है।
एरोबिक व्यायाम : इसमें साइकिल चलाना, तैराकी, घूमना, दौड़ना आदि आते हैं।
एनारोबिक व्यायाम : इसके अंतर्गत वजन उठाना आदि आते हैं।
व्यायाम से हमारा शरीर हष्टपुष्ट और सुगठित हो जाता है। यह हमारी भूख को बढ़ाता है और मानसिक तनाव को कम करता है।
नियमित व्यायाम करने से शरीर में कई रोग नियंत्रित में रहते हैं जैसे ह्रदय रोग और डायबिटीज आदि।
योग और व्यायाम या एक्सरसाइज में क्या अंतर है
- योग में साँसों पर नियंत्रण सिखाया जाता है जबकि व्यायाम में साँसों पर कोई ध्यान नहीं दिया जाता है।
- योग आतंरिक अंगों और चित्त को स्वस्थ रखने के लिए ज्यादा उपयुक्त है वहीँ एक्सरसाइज बाहरी अंगों को स्वस्थ तथा बलशाली बनाता है।

- योग शांत और धैर्य पूर्वक करने की क्रिया है जबकि व्यायाम या एक्सरसाइज में तीव्रता और प्रबलता पर विशेष जोर दिया जाता है।
- योग से शरीर लचीला रहता है वहीँ व्यायाम से शरीर में कड़ापन आ जाता है।
- योग द्वारा हम भूख तथा पाचन शक्ति पर नियंत्रण करते हैं जबकि एक्सरसाइज हमारी भूख को बढ़ा देता है जिससे हमारा भोजन बढ़ जाता है।
- योगासन के पश्चात आप स्फूर्तिवान और तरोताजा महसूस करते हैं जबकि व्यायाम या एक्सरसाइज के बाद आप थका हुआ महसूस करते हैं। ऐसा इस वजह से होता है क्योंकि एक्सरसाइज में तेजी से ऊर्जा खर्च होती है।
- योग बड़े ही शांति से एक छोटे स्थान पर किया जा सकता है जबकि व्यायाम के लिए अपेक्षाकृत बड़े स्थान और साधनों की आवश्यकता होती है।

- योग मानसिक अभ्यास होता है जिसमे आपको अपना ध्यान केंद्रित करना होता है वहीँ व्यायाम शारीरिक अभ्यास होता है। इसमें आपको अपने ध्यान केंद्रित करने की कोई आवश्यकता नहीं होती है।
- योग के पांच सिद्धांत हैं सही भोजन, सही सोच, सही साँसें, नियमित व्यायाम और आराम। एक्सरसाइज के लिए ऐसा कोई सिद्धांत नहीं होता है।
- अधिकांश योग किसी भी आयु का इंसान कर सकता है जबकि एक्सरसाइज हर उम्र के लोग नहीं कर सकते। वृद्धों और बीमार के लिए व्यायाम में दिक्कत होती है।

इस प्रकार हम देखते हैं योग और व्यायाम दोनों ही हमारे शरीर को स्वस्थ रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। योग जहाँ मन और शरीर दोनों का अभ्यास होता है जिसमे शरीर,मन और साँसे तीनों की भूमिका होती है वहीँ व्यायाम से हमारा शरीर निरोगी और बलशाली होता है।
1 टिप्पणियाँ
Nice very good
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