लॉक डाउन और कर्फ्यू में क्या अंतर है

लॉक डाउन किसे कहते हैं What is Lock Down
लॉक डाउन एक ऐसा शासनादेश है जिसमे किसी विशेष क्षेत्र, शहर या राज्य को एक समयावधि के लिए बंद कर दिया जाता है। लॉक डाउन किसी प्राकृतिक आपदा या महामारी के समय सरकारी आदेश के तौर पर लागू की जाती है। लॉक डाउन के समय उस क्षेत्र विशेष के लोगों से अपील की जाती है कि वे अपने अपने घरों से बाहर न निकलें। लॉक डाउन में जनता की सहूलियत का पूरा ख्याल रखा जाता है। इसमें उन्हें दवा, भोजन, बैंक से पैसे निकलने के लिए बाहर निकलने की सुविधा होती है। लॉक डाउन का आदेश मजिस्ट्रेट या मुख्य चिकित्साधिकारी के द्वारा दिया जाता है। लॉक डाउन को 1897 के एपिडेमिक डिजीज एक्ट के तहत लगाया जाता है।
लॉक डाउन का इतिहास
लॉक डाउन सबसे पहले अमेरिका में 9/11 हमले के बाद शहर को तीन दिनों तक बंद करने के लिए किया गया था। दिसंबर 2005 में न्यू साउथ वेल्स में दंगों को रोकने के लिए भी लॉक डाउन किया गया था। 2015 में फ़्रांस हमले के दौरान भी लॉक डाउन का आदेश लागू हुआ था। वर्तमान में विश्व के कई देशों में कोरोना महामारी से निबटने के लिए लॉक डाउन का प्रयोग किया गया है। भारत में भी कई राज्यों को इस महामारी से निबटने के लिए लॉक डाउन किया गया है।

लॉक डाउन का आदेश जनता की सुरक्षा के मद्देनज़र दिया जाता है। इसमें कुछ अत्यंत जरुरी सुविधाओं को छोड़कर अन्य सभी चीज़ों को बंद रखने का आदेश दिया जाता है। लॉक डाउन में अस्पताल, किराना, अख़बार, प्रेस, दूध,सब्ज़ी की सेवाओं को चालू रखा जाता है जिससे कि आवश्यक सामानों की किल्लत न हो। लॉक डाउन का उल्लंघन करने की स्थिति में पहले तो समझा बुझाकर उन्हें घर भेज दिया जाता है और नहीं मानने वालों पर छह माह की कैद या एक हजार रुपये की फाइन या फिर दोनों ही लगाया जाता है।
कर्फ्यू क्या होता है What is Curfew
कर्फ्यू एक प्रशासनिक आदेश होता है जिसमे जनता की सुरक्षा को मद्देनज़र उन्हें घर के अंदर रहने के लिए कहा जाता है। कर्फ्यू आदेश विशेष परिस्थितियों जैसे दंगा, लूटपाट, आगजनी, हिंसात्मक और विंध्वसात्मक कार्यों को नियंत्रित करने और पुनः शांति व्यवस्था बहाल करने के लिए जारी किया जाता है। कर्फ्यू का आदेश भारत में दंडसंहिता की धारा 144 के तहत मजिस्ट्रेट या पुलिस कमिश्नर के द्वारा दिया जाता है। इसमें जनता को बाध्य किया जाता है कि वे अपने अपने घरों के अंदर ही रहें। इस आदेश का उल्लंघन करने पर व्यक्ति की गिरफ़्तारी और फाइन दोनों हो सकता है।
क्या है कर्फ्यू का इतिहास
कर्फ्यू की शुरुवात इंग्लैंड के सम्राट विलियम द कॉन्कर के द्वारा राजनैतिक दमन करने से मानी जाती है। इसके बाद सोलहवीं शताब्दी से इसका प्रयोग किया जाता रहा है। मध्य काल में इसे आग बुझाने के लिए नियंत्रण के एक साधन के रूप में प्रयोग किया जाने लगा जिसमे चर्चों द्वारा घंटे बजाकर जनता को घर के अंदर जाने का आदेश दिया जाता था। रात में जनता की सुरक्षा के लिए भी गिरजाघर घंटे बजाकर जनता को घर के अंदर रहने के लिए आगाह किया करते थे और जनता दैवीय आदेश मान कर अपने अपने घरों को लौट जाती थी। कर्फ्यू का मूल उद्द्येश्य ठन्डे प्रदेशों में अग्निकांडों से नुकसान कम करने और उसे बुझाने के लिए ही था।
किसे मिलती है कर्फ्यू से छूट
कर्फ्यू के दौरान पूरा क्षेत्र बंद कर दिया जाता है। यातायात के सभी साधन, दुकाने, कोई कार्यक्रम सब के सब बंद रहते हैं। इस दौरान मीडियाकर्मी और कुछ अन्य लोगों को ही कर्फ्यू पास दिया जाता है जिससे वे कहीं आ जा सकें।
लॉक डाउन और कर्फ्यू में क्या अंतर है
Difference Between Lockdown and Curfew
- लॉक डाउन एक ऐसी प्रशासकीय व्यवस्था है जिसमे शहर के लोगों को घरों के अंदर रहने की अपील की जाती है जबकि कर्फ़्यू एक ऐसा शासनादेश होता है जिसमे लोगों को अपने घरों के अंदर रहने को मजबूर किया जाता है।
- लॉक डाउन के आदेश में कुछ आवश्यक सुविधाओं के लिए जनता बाहर निकल सकती है जैसे दूध, सब्ज़ी, भोजन, दवा इत्यादि वहीँ कर्फ्यू के दौरान किसी को भी किसी भी जरुरत के लिए घर से बाहर निकलने की अनुमति नहीं होती है।
- लॉक डाउन का उल्लंघन करने वालों को पुलिस समझाबुझा कर वापस घर भेज देती है पर कर्फ्यू का उल्लंघन करने वाले को धारा 188 के तहत गिरफ्तार किया जा सकता है।
उपसंहार :
लॉक डाउन और कर्फ्यू दोनों ही इमरजेंसी व्यवस्था होती है जिसमे आपदा या दंगा फसाद को नियंत्रित करने के लिए प्रशासन के द्वारा आदेश पारित किया जाता है। इन दोनों ही आदेश के पहले उस क्षेत्र में धारा 144 लगायी जाती है जिसमे एक साथ पांच या अधिक लोगों के जमा होने पर रोक रहती है। 144 से स्थिति काबू में नहीं आने पर पहले लॉक डाउन और लॉक डाउन से भी नियंत्रण न होने पर कर्फ्यू का आदेश जारी किया जाता है। कई बार धारा 144 के बाद सीधे कर्फ्यू लगा दिया जाता है।
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