आज के कैशलेस ज़माने के दौर में मार्किट में कई तरह के कार्ड नज़र आने लगे हैं जैसे एटीएम कार्ड, डेबिट कार्ड, वीज़ा कार्ड, रूपे कार्ड, मास्टर कार्ड आदि। इन कार्डों ने पुरे मार्किट को बदल के रख दिया है। इन कार्डों ने कैश की कई तरह की समस्याओं का समाधान कर दिया है कैश ले जाने और लाने में पहले कई तरह की परेशानियां होती थीं वे सारी समस्याएं कहीं दूर खो सी गयीं हैं। हालाँकि ये सारे कार्ड कैशलेस लेनदेन के विकल्प के रूप में मौजूद हैं फिर भी इनमे कुछ न कुछ बुनियादी फर्क हैं। कई बार फर्क न जानने पर कई तरह के कन्फ्यूजन भी हो जाते हैं। आज के इस पोस्ट में ह…
डायबिटीज यानि की मधुमेह जिसे आम बोलचाल की भाषा में शुगर होना भी कहते हैं एक लाइलाज बीमारी है। कई बार तो वर्षों तक मरीज को इसका पता भी नहीं चल पाता। और जब पता चलता है तब तक खासा नुकसान हो चूका होता है। इसी वजह से इसे साइलेंट किलर भी कहा जाता हैं। इसकी भयावहता का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि केवल भारत में इसके करीब पांच करोड़ मरीज हैं। यह मनुष्य के कई अंगों को जैसे आँख, ह्रदय, गुर्दा आदि को नुकसान पहुंचाता है। डायबिटीज अभी तक के अध्ययनों और शोधों से पता चलता है कि इसे पूर्ण रूप से ठीक नहीं किया जा सकता किन्तु राहत की बात है कि इसे नि…
मलेरिआ और टाइफाइड में क्या अंतर है दोस्तों हमारे देश के साथ साथ कई उष्णकटिबंधीय देशों में जहाँ बारिश अच्छी खासी होती है वहां बरसात और उसके बाद के सीजन में कई बीमारियों को प्रकोप रहता है। इन्ही बीमारियों में मलेरिया और टाइफाइड भी प्रमुख हैं। वैसे तो दोनों बीमारियों में मरीज को तेज बुखार और कमजोरी महसूस होती है मरीज थका थका सा दीखता है फिर भी दोनों बीमारियां एकदम से अलग हैं। कई बार लोग इन्हें सामान्य बुखार समझ कर लापरवाही कर बैठते हैं और स्थिति गंभीर हो जाती है। कई बार कुछ लक्षणों के आधार पर लोग टाइफाइड की जगह मलेरिया का इलाज कराने ल…
Social Plugin