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दरियाई घोड़े और गैंडे में क्या अंतर है




आज हम चर्चा करने जा रहें हैं इस धरती के दो विशाल जीवों के बारे में जिनके विषय में लोग अकसर कन्फ्यूज्ड हो जाते हैं और दोनों के आकार और भारी शरीर देखकर एक ही समझ बैठते हैं। जीहाँ हम बात कर रहें हैं दरियाई घोड़े और गैंडे की। दरियाई घोडा और गैंडा जिन्हें हिप्पोपोटामस और राइनोसेरोस कहा जाता है बिलकुल ही अलग अलग जीव हैं। दोनों में अंतर जानने के पहले आईये पहले दोनों के बारे में जान लें।




दरियाई घोडा हिप्पोपोटामस या हिप्पो 



दरियाई घोडा जिसे हिप्पोपोटामस भी कहते हैं एक विशाल या यूँ कहें कि धरती का दूसरा सबसे भारी एम्फीबियन जीव है। यह एक स्तनधारी पशु है जो नदियों और झीलों के किनारे समूहों में रहता है। यह वास्तव में अफ्रीका का मूल निवासी है। इसके नाम में भले ही घोडा शब्द जुड़ा हुआ है किन्तु इसका घोड़े से दूर दूर तक कोई रिश्ता या समानता नहीं है। सच तो यह है कि इसे सूअरों की स्पेसीज का दूर का रिश्तेदार माना जा सकता है। हिप्पोपोटामस शब्द जिसका अर्थ वाटर हॉर्स होता है इसी वजह से इसे दरियाई घोडा कहा जाता है। 


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दरियाई घोडा शाकाहारी होता है। यह एक एम्फीबियन होता है यानि यह जल और स्थल दोनों में रह सकता है। इसकी लम्बाई करीब 14 फ़ीट और ऊंचाई पांच फ़ीट के आस पास होती है। इसका शरीर बहुत ही भारी करीब चार टन का होता है। इसकी त्वचा चिकनी और सख्त होती है। चमड़ी के नीचे खूब सारी चर्बी की एक मोटी परत होती है। इससे उसकी त्वचा पर गुलाबी रंग के तरल का स्राव होता है जो त्वचा को गीली और स्वस्थ रखती है। इसके पैर छोटे छोटे होते हैं। पैरों के निचले हिस्से पर हाथी के पैर की तरह चौड़े चौड़े नाख़ून होते हैं। इसकी आँखें ऊपर की ओर उभरी होती हैं। कान छोटे छोटे होते हैं। पूंछ पर हलके हलके बाल पाये जाते हैं। इसकी चमड़ी बहुत ही मजबूत होती है। यदि ठीक ढंग से तैयार किया जाय तो इसे तैयार करने में करीब छह वर्ष लग जाते हैं। तैयार चमड़े की मोटाई करीब दो इंच हो सकती है।




गैंडा राइनोसेरोस या राइनो 



गैंडा जिसे रैनोसेरोस या राइनो भी कहा जाता है मूल रूप से अफ्रीका और एशिआ का निवासी है। गैंडा की पांच किस्में पायी जाती है जिसमे से दो अफ्रीका और बाकी तीन साउथ एशिआ में पायी जाती है। राइनोसेरोस एक ग्रीक शब्द है जिसका अर्थ होता है नाक पर सींग। गैंडा अपने इसी नाक पर के सींग के लिए न केवल प्रसिद्ध है बल्कि इसी वजह से इसकी प्रजाति खतरे में भी है।

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गैंडा एक शाकाहारी प्राणी है। राइनो का सींग वास्तव में बालों का गुच्छा होता है जो आपस में इतने चिपके होते हैं कि वे सींग जैसे दीखते हैं और उसी तरह सख्त हो जाते हैं। इसका सींग उसी कैटरीन से बना होता है जिससे नाख़ून बने होते हैं। अफ्रीकन राइनो के दो सींग होते हैं जबकि एशिआई गैंडों की केवल एक सींग होती हैं। गैंडे भारी भरकम जीव होते है इनका औसत वजन 850 से 1600 किलो तक हो सकता है। हालाँकि अलग अलग प्रजातियों में यह अलग अलग हो सकता है। इनकी त्वचा बहुत ही मजबूत होती है। गैंडा की नज़र तो कमजोर होती है किन्तु इसके सुनने की क्षमता काफी तेज होती है।




दरियाई घोड़े और गैंडे में क्या अंतर है 


Difference Between Hippopotamus And Rhinoceros


यूँ तो दोनों ही जीव विशालकाय और भारीभरकम होते हैं फिर भी दोनों में कई ऐसी विशिष्टायें हैं जो इन्हें अलग करती हैं।






  • दरियाई घोडा यानि हिप्पो एक एम्फीबियन जीव होता है जबकि गैंडा अर्थात राइनो एक स्थलीय जीव होता हैं।


  • दरियाई घोड़े का वैज्ञानिक नाम हिप्पोपोटामस एम्फीबियस होता है जबकि गैंडा का वैज्ञानिक नाम राइनोसेरोटाइडी होता है।

  • हिप्पो को कोई सींग नहीं होता जबकि राइनो की नाक पर एक या दो सींग पाये जाते हैं।

  • दरियाई घोड़े प्रायः झुण्ड में निवास करते हैं जबकि गैंडे प्रायः अकेले रहना पसंद करते हैं।

  • हिप्पो 19 मील प्रति घंटा की स्पीड से दौड़ सकते हैं जबकि गैंडे 35 से 40 मील प्रति घंटे की गति से।

  • दरियाई घोड़े का निवास झील, नदी या दलदलीय क्षेत्र होता है जबकि गेंडे घास वाली भूमि या सवाना प्रदेशों में रहना पसंद करते हैं।

  • हिप्पो की त्वचा बहुत मोटी, चिकनी और बालरहित होती है जबकि राइनो की त्वचा रूखी, बालयुक्त या बालरहित दोनों होती है।

  • दरियाई घोड़ों का शिकार उसके मांस और टस्क के लिए होता है जबकि गैंडों का शिकार उसकी सींग के लिए किया जाता है।
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  • दरियाई घोड़ों का गर्भकाल आठ महीने का होता है जबकि राइनो के गर्भधारण की अवधी करीब सोलह महीने की होती है।

  • दरियाई घोड़े धूसर,गुलाबी,भूरे तथा काले रंग के पाये जाते हैं जबकि गैंडे भूरे,काले या ग्रे रंग के होते हैं।

  • हिप्पो का सर बहुत बड़ा होता है जिसपर ऊपर की तरफ आँखें, नाक और कान होते हैं वहीँ गैंडे का सर थोड़ा नुकीला होता है जिसपर दोनों बगल आँखें होती हैं।

दरियाई घोडा और गैंडा दोनों ही स्तनधारी प्राणी है। दोनों पशु विशाल और भारी भरकम होते हैं। दोनों की त्वचा मोटी और मजबूत होती है। दोनों ही पशु शाकाहारी हैं और दोनों ही अपनी विशिष्टाओं की वजह से विलुप्तता की ओर बढ़ रहें हैं।

दरियाई घोड़े और राइनोसेरोस के बारे में उम्मीद है यह पोस्ट आपको पसंद आया होगा। कृपया अपने बहुमूल्य सुझाव कमेंट में जरूर दें।

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