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क्षत्रिय और राजपूत में क्या अंतर है

क्षत्रिय और राजपूत में क्या अंतर है

Difference between Kshatriya and Rajput


प्राचीन भारत का सामाजिक तानाबाना विभिन्न जातियों से बना होता था और हर जाति की अपनी भूमिका होती थी जो समाज के सभी लोगों के प्रति जिम्मेदार होती थी और समाज की शांति, सुरक्षा, आर्थिक कार्य, पथ प्रदर्शन और विकास में अपनी भूमिका निभाती थी। ये सभी जातियां मुख्य रूप से चार वर्णो के अंतर्गत आती थी जिनमे समाज की सुरक्षा की जिम्मेदारी क्षत्रियों, यज्ञ,देवताओं की पूजा और समाज के पथ प्रदर्शन की जिम्मेदारी ब्राह्मणों की, व्यापार की जिम्मेदारी वैश्य और सेवा कार्य की जिम्मेदारी शूद्र वर्ग की थी। समाज में इन चारों वर्णों की महत्वपूर्ण और अनिवार्य भूमिका थी। इन वर्णों में क्षत्रियों की भूमिका ब्राह्मणों के बाद काफी महत्वपूर्ण थी। ये जहाँ समाज और पशुओं की सुरक्षा करते थे वहीँ समाज को अच्छा शासन प्रदान करते थे ताकि समाज के लोग शांतिपूर्वक जीवन व्यतीत कर सकें। कालांतर में यह क्षत्रिय वर्ण क्षत्रिय जाति में परिणत हो गया और बाद में यह राजपूत के नाम से जाना जाने लगा। हालाँकि शुरू से ही इसमें अनेक जातियों का समावेश होता गया और कई जातियां इस वर्ग से बाहर भी होती गयी। इन्हीं जातियों में एक महत्वपूर्ण जाति है राजपूत।कई बार लोग क्षत्रिय और राजपूत को एक ही समझ लेते हैं जो कि पूर्ण रूप से सही नहीं है।  ऐसे में यह जानना  आवश्यक हो जाता है कि क्षत्रिय और राजपूत में क्या अंतर है।  यदि  आप क्षत्रिय और राजपूत में क्या अंतर है के बारे में विस्तृत रूप से जानना चाहते हैं तो यह पोस्ट आप के लिए ही है 


क्षत्रिय कौन हैं


प्राचीन भारतीय समाज चार वर्णों ब्राह्मण, क्षत्रिय, वैश्य और शूद्र में बंटा हुआ था। इन वर्णों के कार्य और जिम्मेदारियां निश्चित थीं। इनमे से ब्राह्मण यज्ञ और पुरोहित का कार्य करते थे वहीँ क्षत्रिय समाज की सुरक्षा के लिए जाने जाते थें। वैश्यों का व्यापार और शूद्रों के लिए सेवा कार्य निश्चित थे। इन वर्णों में क्षत्रिय अपनी वीरता और साहस के लिए जाने जाते थे और इस वर्ण में वैसे ही लोग होते थे जो सैन्य कुशलता में प्रवीण और शासक प्रवृति के होते थे। अतः युद्ध और सुरक्षा की जिम्मेदारी का निर्वाहन करने वाला वर्ण क्षत्रिय कहलाता था। इतिहास और साहित्य में कई क्षत्रिय राजाओं का वर्णन हुआ है जिनमे अयोध्या के राजा श्री राम, कृष्ण, पृथ्वीराज चौहान, महाराणा प्रताप आदि प्रमुख हैं। क्षत्रियों के वंशज वर्तमान में राजपूत के रूप में जाने जाते हैं।

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क्षत्रिय की उत्पत्ति


प्राचीन सिद्धांतों और मान्यताओं के अनुसार क्षत्रिय की उत्पत्ति ब्रह्मा की भुजाओं से हुई मानी जाती है। एक और कथा के अनुसार क्षत्रियों की उत्पत्ति अग्नि से हुई थी। कुछ लोग अग्निकुला के इस सिद्धांत विदेशियों को भारतीय समाज में शामिल होने के लिए किये गए शुद्धिकरण की प्रक्रिया के रूप में देखते हैं। अग्निकुला सिद्धांत का वर्णन चन्दवरदाई रचित पृथ्वीराज रासो में आता है जिसके अनुसार वशिष्ठ मुनि ने आबू पर्वत पर चार क्षत्रिय जातियों को उत्पन्न किया था जिसमे प्रतिहार, परमार, चौहान और चालुक्य या सोलंकी थे।


ऋग्वैदिक शासन प्रणाली में शासक के लिए राजन और राजन्य शब्दों का प्रयोग किया गया है। उस समय राजन वंशानुगत नहीं माना जाता था। वैदिक काल के अंतिम अवस्था में राजन्य की जगह क्षत्रिय शब्द ने ले ली जो किसी विशेष क्षेत्र पर शक्ति या प्रभाव या नियंत्रण को इंगित करता था। संभवतः विशेष क्षेत्र पर प्रभुत्व रखने वाले क्षत्रिय कहलाये। महाभारत के आदि पर्व के अंशअवतारन पर्व के अध्याय 64 के अनुसार क्षत्रिय वंश की उत्पत्ति ब्राह्मणो द्वारा हुई है।


क्षत्रिय_और_राजपूत_में_क्या_अंतर_है

प्राचीन साहित्यों से पता चलता है कि क्षत्रिय वर्ण आनुवंशिक नहीं था और यह किसी जाति विशेष से सम्बंधित नहीं था। जातकों, रामायण और महाभारत ग्रंथों में क्षत्रिय शब्द से सामंत वर्ग और युद्धरत अनेक जातियां जैसे अहीर, गड़डिया, गुर्जर, मद्र, शक आदि का भी वर्णन हुआ है। वास्तव में क्षत्रिय समस्त राजवर्ग और सैन्य वर्ग का प्रतिनिधित्व करता था। क्षत्रिय वर्ग का मुख्य कर्तव्य युद्ध काल में समाज की रक्षा के लिए युद्ध करना तथा शांति काल में सुशासन प्रदान करना होता था।

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राजपूत कौन हैं


राजपूत अपने स्वाभिमान, वीरता, त्याग और बलिदान के लिए जाने जाते थे। अदम्य साहस और देशभक्ति उनमे कूट कूट कर भरी होती थी। राजपूत राजपुत्र का ही अपभ्रंश माना जाता है और इनमे राजाओं के पुत्र, सगे सम्बन्धी और अन्य राज्य परिवार के लोग होते थे। चूँकि राजपूत शासक वर्ग से सम्बन्ध रखते थे अतः इनमे मुख्य रूप से क्षत्रिय जाति के लोग होते थे। हालाँकि शासक वर्ग की कई जातियां शासन और शक्ति की बदौलत राजपूत जाति में शामिल होती गयी। हर्षवर्धन के उपरांत 12 वीं शताब्दी तक का समय राजपूत काल के रूप में जाना जाता है। इस समय तक उत्तर भारत में राजपूतों के 36 कुल प्रसिद्ध हो चुके थे। इनमे चौहान, प्रतिहार, परमार, चालुक्य, सोलंकी, राठौर, गहलौत, सिसोदिया, कछवाहा, तोमर आदि प्रमुख थे। 


राजपूतों का इतिहास एवं उत्पत्ति


राजपूतों की उत्पत्ति के विषय में इतिहास विशेषज्ञों का मत एक नहीं रहा है। कई इतिहासकारों का मानना है कि प्राचीन क्षत्रिय वर्ण के वंशज राजपूत जाति के रूप में परिणत हो गयी। कुछ विद्वान खासकर औपनिवेशिक काल में यह मानते थे कि क्षत्रिय विदेशी आक्रमणकारियों जैसे सीथियन और हूणों के वंशज हैं जो भारतीय समाज में आकर रच बस गए और इसी समाज का हिस्सा बन गए। कर्नल जेम्स टाड और विलियम क्रूक क्षत्रियों के सीथियन मूल को मानते थे। वी ए स्मिथ क्षत्रियों का सम्बन्ध शक और कुषाण जैसी जातियों से भी जोड़ते हैं। ईश्वरी प्रसाद और डी आर भंडारकर ने भी इन सिद्धांतों का समर्थन किया है और राजपूतों को इनका वंशज मानते हैं। वहीँ कुछ अन्य विद्वान राजपूतों को वैसे ब्राह्मण मानते थे जो शासन करते थे। आधुनिक शोधों से पता चलता है कि राजपूत विभिन्न जातीय और भौगोलिक क्षेत्रों से आये और भारतभूमि में रच बस गए। राजपुत्र पहली बार 11 वीं शताब्दी के संस्कृत शिलालेखों में शाही पदनामों के लिए प्रयुक्त दिखाई देता है। यह राजा के पुत्रों, रिश्तेदारों आदि के लिए प्रयुक्त होता था। मध्ययुगीन साहित्य के अनुसार विभिन्न जातियों के लोग शासक वर्ग में होने की वजह से इस श्रेणी में आ गए। धीरे धीरे राजपूत एक सामाजिक वर्ग के रूप में सामने आया जो कालांतर में वंशानुगत हो गया। 

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वर्तमान में राजपूत इन्ही क्षत्रियों के वंशज माने जाते हैं किन्तु क्षत्रिय से राजपूत तक आते आते एक लम्बा समय लग गया और यह अपने वर्तमान स्वरुप को 16 वीं शताब्दी में प्राप्त कर सका। हालाँकि उत्तर भारत में यह छठी शताब्दी से विभिन्न वंशावलियों का वर्णन करने के लिए प्रयुक्त होता है। शुरू में प्रायः 11 वीं शताब्दी में शाही अधिकारीयों के लिए गैर वंशानुगत पदनाम के रूप में राजपुत्र शब्द का प्रयोग होने के उदाहरण मिलते हैं जो धीरे धीरे एक सामाजिक वर्ग के रूप में विकसित हुआ। इस वर्ग में विभिन्न प्रकार के जातीय और भौगोलिक पृष्ठभूमि के लोग शामिल थे। यह बाद में जाकर 16 वीं और 17 वीं शताब्दी तक लगभग वंशानुगत हो चुकी थी।


राजपूत शब्द रजपूत जिसका अर्थ धरतीपुत्र के रूप में भी कहीं कहीं प्रयुक्त हुआ है किन्तु यह वास्तविक रूप से मुग़ल काल में ही प्रयोग में आने लगा। यह राजपुत्र के अपभ्रंश के रूप में राजपूत के रूप में राजा और उसकी संतानों के लिए प्रयुक्त होने लगा। कौटिल्य, कालिदास, बाणभट्ट आदि की रचनाओं में भी क्षत्रियों के लिए राजपुत्र का प्रयोग हुआ है। अरबी लेखक अलबेरुनी ने भी अपनी किताबों में राजपूत या राजपुत्र का जिक्र न करके क्षत्रिय शब्द का प्रयोग किया है।


राजपूतों को उत्तर भारत में भिन्न भिन्न नामों से जाना जाता है जैसे उत्तर प्रदेश में ठाकुर, बिहार में बाबूसाहेब या बबुआन, गुजरात में बापू, पर्वतीय क्षेत्रों में रावत या राणा आदि।


क्षत्रिय और राजपूत में क्या अंतर है




  • क्षत्रिय भारतीय समाज की वर्ण व्यवस्था का एक अंग है जबकि राजपूत एक जाति है।

  • क्षत्रिय वैदिक संस्कृति से निकला शब्द है वहीँ राजपूत शब्द छठी शताब्दी से लेकर बारहवीं शताब्दी में विकसित हुआ।

  • सभी क्षत्रिय राजपूत नहीं हैं पर सभी राजपूत क्षत्रिय हैं।



क्या राजपूत और क्षत्रिय एक ही हैं?

राजपूत और क्षत्रिय एकदम एक नहीं हैं फिर भी दोनों कुछ बातों में काफी सामान हैं और उत्पत्ति के आधार पर देखा जाये तो राजपूत क्षत्रिय का ही वर्तमान रूप है।
क्षत्रिय हिन्दू सामजिक संरचना के चार वर्णों में से एक है जो पारम्परिक रूप से योद्धा, शासक और प्रशासनिक जिम्मेदारियों का निर्वाहन करने वाले वर्ग से सम्बन्ध रखते थे। यह एक व्यापक वर्ग है जिसमे राजपूत सहित बहुत से अन्य कुल और समुदाय शामिल हैं। दूसरी तरफ राजपूत एक विशिष्ट जाति है जिनका मुख्य रूप से विस्तार उत्तर तथा पश्चिम भारत में पाया जाता हैं। राजपूतों की वीरता, शूरता और युद्ध कौशल का एक लम्बा और समृद्ध इतिहास रहा है। चूँकि राजपूत क्षत्रिय वर्ण से सम्बन्ध रखने वाली जाति है अतः कहा जा सकता है कि सभी राजपूत क्षत्रिय हैं किन्तु सभी क्षत्रिय राजपूत नहीं हैं।

राजपूत कौन से जाति को कहते हैं?

राजपूत शब्द एक विशिष्ट समूह या जाति को संदर्भित करता है जो क्षत्रिय वर्ण से आते हैं। राजपूत जाति का विस्तार मुख्य रूप से भारत के उत्तरी और पश्चिम प्रदेशों में है। राजपूतों का एक लम्बा और विशिष्ट इतिहास रहा है। ये अपनी अदम्य वीरता, विशिष्ट सांस्कृतिक पहचान, सामाजिक रुतबे और वंश के सम्मान की मर्यादा कायम रखने के लिए जाने जाते हैं। राजपूतों में बहुत सारे कुल और वंश हैं और प्रत्येक का अपना इतिहास, अपनी परंपरा तथा रिवाज है। अतः राजपूत विस्तृत क्षत्रिय वर्ण एक एक उपसमूह हैं जिनका भारतीय इतिहास में बहुत ही महत्वपूर्ण योगदान रहा है।


क्षत्रिय कौन लोग होते हैं?

क्षत्रिय भारतीय समाज की सामाजिक संरचना के चार वर्णों में से एक हैं। ये समाज में ऐतिहासिक और पारम्परिक रूप से शासक और योद्धा की भूमिका निभाते आये हैं। ऐतिहासिक रूप से इनका कर्तव्य समाज की सुरक्षा करना, धर्म की रक्षा करना और समाज का कल्याण करना होता था। क्षत्रिय वर्ण का सामाजिक स्तर ब्राह्मणों के बाद सबसे श्रेष्ठ होता था।


क्षत्रिय में कौन-कौन सी जाति आती है

क्षत्रिय वर्ण में बहुत सारी जातियां और समुदाय आतें हैं जिनकी अपनी विशिष्ट पहचान, विशिष्ट परम्पराएं, रिवाज़ और ऐतिहासिक पृष्ठभूमि हैं। कुछ मुख्य क्षत्रिय जातियां निम्न हैं :


राजपूत : उत्तर और पश्चिम भारत में पायी जाने वाली एक महत्वपूर्ण जाति है जो अपनी विशिष्ट पहचान, परम्परा और युद्ध कौशल के लिए जानी जाती है।

मराठा : मूल रूप से महाराष्ट्र में पायी जाने वाली मराठा समुदाय का एक महत्वपूर्ण युद्ध इतिहास रहा है और भारत के इतिहास में इस समुदाय के लोगों ने एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।


छेत्री : छेत्री मूल रूप से नेपाल से सम्बन्ध रखते हैं। ये मूलतः शासक और योद्धा के रूप में जाने जाते हैं।


दक्षिण भारतीय क्षत्रिय : दक्षिण भारत नायर, रेड्डी आदि जातियां क्षत्रिय जातियों में आती हैं।


जाट : उत्तर भारत के मैदानी भागों में निवास करने वाली जाट जाति भी क्षत्रिय वर्ण से सम्बंधित है।


इन जातियों के अतिरिक्त बहुत सारी अन्य जातियां भी हैं जो क्षत्रिय वर्ण से सम्बन्ध रखती हैं।

  1. गुर्जर और राजपूत में अंतर

    गुर्जर भारतीय समाज की एक महत्वपूर्ण जाति है जो आमतौर पर क्षत्रिय वर्ण से सम्बंधित है। गुर्जर समुदाय को गुज्जर, गूजर, गोजर, गुर्जर, तथा गूर्जर इत्यादि नामों से भी जाना जाता है।। गुर्जर मुख्यत: उत्तर भारत, पाकिस्तान और अफ़्ग़ानिस्तान में बसे हैं। आमतौर पर गुर्जर समाज खेती और पशुपालन से जुड़ा हुआ था किन्तु अपने युद्ध कौशल और वीरता की वजह यह समाज भारत की अग्रणी योद्धा जातियों में शामिल थी। गुर्जर के कुछ समुदाय ब्राह्मण, मुस्लिम, सिख, ईसाई और बौद्ध भी हो सकते हैं।

    गुर्जर वैदिककालीन आर्याराजन्य (क्षत्रिय) समूह का राजपूतों के समान उपविभाग है। छठी शताब्दी के पंचतन्त्र और तमिल काव्य मणि मेखलै में प्राप्त गुर्जर शब्द के उल्लेख से स्पष्ट है कि इस समय तक आर्यावर्त तथा दक्षिणपथ में बस चुके थे।

    भारतीय समाज की जातीय संरचना में राजपूत जाति का महत्वपूर्ण स्थान है। राजपूतों को उनके अदम्य साहस , वीरता, वफादारी और शासन के लिए जाना जाता है। वैसे तो राजपूत जाति क्षत्रिय वर्ण से सम्बन्ध रखती हैं फिर भी कुछ देशी तथा विदेशी इतिहासकार इन्हें शक, कुषाण और हूणों से उत्पन्न संतान मानते हैं। राजपूत शब्द संस्कृत के शब्द राजपुत्र अर्थात राजा के पुत्र यानि शासक वर्ग को निरूपित करता है। कुछ लोग राजपूत को रजपुत अर्थात मिटटी या धरतीपुत्र के लिए प्रयोग होने वाला शब्द भी मानते हैं। राजपूत शब्द के अन्य नामों रावत, रौता, रॉल, रावल आदि भी प्रयोग होते हैं। इनके अतिरिक्त राणा, डडवाल, शेखावत, सिसोदिया, कटोच और कई अन्य भी राजपूतों के वंशज होते हैं।


    उपसंहार


इस प्रकार हम देखते हैं क्षत्रिय प्राचीन भारतीय समाज की वर्ण व्यवस्था का एक महत्वपूर्ण हिस्सा थे। इनका मुख्य कर्तव्य समाज और पशुओं की सुरक्षा करना होता था। संभवतः यह व्यवस्था जातिगत नहीं थी। वर्तमान राजपूतों का उदय इन्हीं क्षत्रिय वर्ण से हुआ माना जाता है जो बाद में वंशानुगत हो गयी और एक जाति के रूप में परिणत हो गयी।

Ref :

https://hi.krishnakosh.org/
http://history-rajput.blogspot.com/2017/02/blog-post.html
https://hi.wikipedia.org/wiki/
https://www.mahashakti.org.in/2015/11/Kashatriyon-Ki-Utpatti-Evam-Etihasik-Mahatva.html

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73 टिप्पणियाँ

  1. गुर्जर वंश के( शिलालेख)
    नीलकुण्ड, राधनपुर, देवली तथा करडाह शिलालेख में प्रतिहारों को गुर्जर कहा गया है ।राजजर शिलालेख" में वर्णित "गुर्जारा प्रतिहारवन" वाक्यांश से। यह ज्ञात है कि प्रतिहार गुर्जरा वंश से संबंधित थे। सोमदेव सूरी ने सन 959 में यशस्तिलक चम्पू में गुर्जरत्रा का वर्णन किया है।वह लिखता है कि न केवल प्रतिहार बल्कि चावड़ा, चालुक्य, आदि गुर्जर वंश भी इस भूमि की रक्षा करते रहे व गुर्जरत्रा को एक वैभवशाली देश बनाये रखा। ब्रोच ताम्रपत्र 978 ई० गुर्जर कबीला(जाति) का सप्त सेंधव अभिलेख हैं पाल वंशी,राष्ट्रकूट या अरब यात्रियों के रिकॉर्ड ने प्रतिहार शब्द इस्तेमाल नहीं किया बल्कि गुर्जरेश्वर ,गुर्जरराज,आदि गुरजरों परिवारों की पहचान करते हैं।

    सिरूर शिलालेख ( :---- यह शिलालेख गोविन्द - III के गुर्जर नागभट्ट - II एवम राजा चन्द्र कै साथ हुए युद्ध के सम्बन्ध मे यह अभिलेख है । जिसमे " गुर्जरान " गुर्जर राजाओ, गुर्जर सेनिको , गुर्जर जाति एवम गुर्जर राज्य सभी का बोध कराता है। ( केरल-मालव-सोराषट्रानस गुर्जरान ) { सन्दर्भ :- उज्जयिनी का इतिहास एवम पुरातत्व - दीक्षित - पृष्ठ - 181 } बादामी के चालुक्य नरेश पुलकेशियन द्वितीय के एहोल अभिलेख में गुर्जर जाति का उल्लेख आभिलेखिक रूप से हुआ है। राजोरगढ़ (अलवर जिला) के मथनदेव के अभिलेख (959 ईस्वी ) में स्पष्ट किया गया है की प्रतिहार वंशी गुर्जर जाती के लोग थे नागबट्टा के चाचा दड्डा प्रथम को शिलालेख में "गुर्जरा-नृपाती-वाम्सा" कहा जाता है, यह साबित करता है कि नागभट्ट एक गुर्जरा था, क्योंकि वाम्सा स्पष्ट रूप से परिवार का तात्पर्य है। सम्राट महिपाला गुर्जर ,विशाल साम्राज्य पर शासन कर रहा था,जिसे कवि पंप द्वारा "दहाड़ता गुर्जर" कहा जाता है। यह अधिक समझ में आता है कि इस शब्द ने अपने परिवार को दर्शाया। भडोच के गुर्जरों के विषय दक्षिणी गुजरात से प्राप्त नौ तत्कालीन ताम्रपत्रो में उन्होंने खुद को गुर्जर नृपति वंश का होना बताया प्राचीन भारत के की प्रख्यात पुस्तक ब्रह्मस्फुत सिद्धांत के अनुसार 628 ई. में श्री चप (चपराना/चावडा) वंश का व्याघ्रमुख नामक गुर्जर राजा भीनमाल में शासन कर रहा था 9वीं शताब्दी में परमार जगददेव के जैनद शिलालेख में कहा है कि गुर्जरा योद्धाओं की पत्नियों ने अपनी सैन्य जीत के परिणामस्वरूप अर्बुडा की गुफाओं में आँसू बहाए। ।

    मार्कंदई पुराण,स्कंध पुराण में पंच द्रविडो में गुर्जरो जनजाति का उल्लेख है। अरबी लेखक अलबरूनी ने लिखा है कि खलीफा हासम के सेनापति ने अनेक प्रदेशों की विजय कर ली थी परंतु वे उज्जैन के गुर्जरों पर विजय प्राप्त नहीं कर सका सुलेमान नामक अरब यात्री ने गुर्जरों के बारे में साफ-साफ लिखा है कि गुर्जर इस्लाम के सबसे बड़े शत्रु है जोधपुर अभिलेख में लिखा हुआ है कि दक्षिणी राजस्थान का चाहमान वंश चेची गुर्जरों के अधीन था।

    कहला अभिलेख में लिखा हुआ है की कलचुरी वंश गुर्जरों के अधीन था। चाटसू अभिलेख में श्रीहम्मीरमहाकाव्यम् श्रीहम्मीरमहाकाव्ये [ सर्गः अथ चतुर्थः सर्गः

    ____________________________________________

    गुर्जर प्रतिहार फोर फादर ऑफ़ राजपूत चीनी यात्री हेन सांग (629-645 ई.) ने भीनमाल का बड़े अच्छे रूप में वर्णन किया है। उसने लिखा है कि “भीनमाल का 20 वर्षीय नवयुवक क्षत्रिय राजा अपने साहस और बुद्धि के लिए प्रसिद्ध है और वह बौद्ध-धर्म का अनुयायी है। यहां के चापवंशी गुर्जर बड़े शक्तिशाली और धनधान्यपूर्ण देश के स्वामी हैं।” हेन सांग (629-645 ई.) के अनुसार सातवी शताब्दी में दक्षिणी गुजरात में भड़ोच राज्य भी विधमान था| भड़ोच राज्य के शासको के कई ताम्र पत्र प्राप्त हुए हैं, जिनसे इनकी वंशावली और इतिहास का पता चलता हैं| इन शासको ने स्वयं को गुर्जर राजाओ के वंश का माना हैं|

    कर्नल जेम्स टोड कहते है राजपूताना कहलाने वाले इस विशाल रेतीले प्रदेश राजस्थान में, पुराने जमाने में राजपूत जाति का कोई चिन्ह नहीं मिलता परंतु मुझे सिंह समान गर्जने वाले गुर्जरों के शिलालेख और अभिलेख मिलते हैं।

    पंडित बालकृष्ण गौड_______

    लिखते है कि राजपूती इतिहास तेरहवीं सदी से पहले इसकी कही जिक्र तक नही है और कोई एक भी ऐसा शिलालेख दिखादो जिसमे रजपूत या राजपूत शब्द का नाम तक भी लिखा हो। लेकिन गुर्जर शब्द की भरमार है, अनेक शिलालेख तामपत्र है, अपार लेख है, काव्य, साहित्य, भग्न खन्डहरो मे गुर्जर संसकृति के सार गुंजते है ।अत: गुर्जर इतिहास को राजपूत इतिहास बनाने की ढेरो असफल-नाकाम कोशिशे कि गई।

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    1. गुज्जर जाट अहीर राजभर पासी तेली चमार कुर्मी फलाना और भी है
      सभी क्षत्रिय बन रहे है तो अत्याचार किसपर किया था राजपूतों पंडितो ने और तो इनका राज्य कहा है सभी इनको आरक्षण भी चाहिए और छतरी भी बनना हैं वास्तव मे इन्ही लोगों के कारण हिंदुओ में एकता नहीं होंगे ये लॉग झूठा इतिहास फैला रहे हैं सबूत कुछ भी नही हे बस गूगल पर विकिपीडिया पर गलत इतिहास दे द रहे हैं
      इन सभी के लिए राजपूतों ने इतना बलिदान दिया तभी कहा थे ये लोग आज इनको याद आया है कि हम भी छतरी है 😂

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    2. Ab tu sab bad khashatiya banane agye ho tumko arkshan bhi chahaiye or kshatiya bhi banana hai are bhai are kshatiya hote to thumhe sabit karne ki jarurat nahi padti fraji sabut dikhakar kshatiya banane se kuch nahi hoga kshatriya dikhana jaroori nahi hota kshatiya hona jaruri hota . Are bhai tumko kitni baar smajhaye ki gujjar sthanwachak hai

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    3. Abi pata chala tu bhi kshatriya he bhensh chor

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    4. राजपूतों का नाम ही नहीं था मुगलों के आक्रमण से बचने के लिए सभी जाति के राजाओं ने एक संगठन बनाया जिसका नाम राजपूत रखा

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  2. संजन, बडोदा, माने तामपत्र और नीलकुण्ठ , एलहोल पुलकेसीन चालूक्य का अभिलेख, राधन पूरी, देवली और करडाह के शिलालेखों में भी प्रतिहार को गुर्जर जाति का बताया हैं और गुर्जर जाति में ही प्रतिहार गोत्र हैं तो कृपया कर इस लेख को सही करे।

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    1. जितने भी गोत्र है ना गुज्जरों में सभी राजपूतों से बने है राजपूत राजाओं छोटी जाति के कन्या से सादी किए हैं isiliye गोत्र milte hai 😂

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    2. यादव ऋषि अत्री के पुत्र के रूप में त्रिदेवो ने जन्म लिया, यादव ऋषि अत्री के पुत्र के रूप में भगवान विष्णु यादव भगवान दत्तात्रेय रूप में, भगवान ब्रह्मा ने यादव भगवान चन्द्र देव के रूप में, महादेव ने यादव ऋषि दुर्वासा रूप में जन्म लिया, भगवान यादव चंद्रदेव को महादेव ने अपने मस्तक पर स्थान दिया हे, जिनके नाम पर यादवों ने सोमनाथ का मंदिर बनवाया था ,यादव चंद्रदेव के पुत्र थे यादव बुध देव, मनु की सबसे बड़ी पुत्री इला जो राम के पूर्वज इसवाकु की बड़ी बहन थी वो यादव घराने की बहू थी, यादव भगवान बुद्ध देव के पुत्र थे यादव पुरुरवा, यादव पुरुरवा के 6 पुत्र थे उनमें 2 महान पुत्र यादव आयु ओर यादव उमावशु, आयु के पुत्र यादव राजा नहुष हुए, उमावशू के वंश में आगे जाकर यादव विश्वामित्र हुए जो बाद में श्री राम के गुरु बने, ऋषि अत्री के वंशज अहीर यादवों को अत्री वंश से होने के कारण ब्राह्मणों का राजा ओर ब्राह्मणों में श्रेष्ठ ब्राह्मण कहा गया है, धरती पर केवल यादव ओर यादवों के वंश ही असली क्षत्रिय ओर ब्राह्मण हे, यादवों में त्रिदेवो सहित सभी देवताओं का रक्त हे, यादव विशुद्ध रक्त वाले भगवान हे, इशवाकू के वंश में हुए राम में केवल 12 कलाए थी, लेकिन चंद्रवंशी यादवों में उनके पूर्वज यादव भगवान दत्तात्रेय के 24 गुण, चंद्रदेव के 64 कलाए जीन कलाओं के साथ श्री कृष्ण ने जन्म लिया था, ओर ऋषि दुर्वासा का क्रोध इन सभी के साथ यादव जन्म लेते हे,
      नहुष के बड़े पुत्र यादव ययाति हुए, ययाति ने 5 पुत्र थे सबसे बड़े अहीर यादव सम्राट यदू थे, यादव सम्राट यदू को सतयुग के अंत में अहीर ओर यादव उपाधि मिली इसलिए उनके वंशज अहीर यादव ओर बहुत से नाम से जाने जाते हे, ठाकुर, यादव, राणा, महाराणा, सिंह, आदि ये सभी केवल यादवों की उपाधि हे जो उसे द्वापर युग के पहले से प्राप्त हे
      यादव सम्राट यदू के वंश में आगे जाकर यादव राजा हेय्यय हुए, उनके पौत्र यादव सम्राट कर्तविर्य हुए, उनके पुत्र यादव सम्राट अर्जुन हुए जिन्हें सहस्त्रबाहु कर्तविर्य अर्जुन कहा जाता थे, यादव सम्राट कर्तविर्य अर्जुन ने अकेले ही रावण ओर उसकी सेना को अपने एक ही वार से मूर्छित कर यादवों के अस्तबल में सैकड़ों सालों तक बंदी बना कर रखा था, चंद्रदेव से लेकर सहस्त्रबाहु अर्जुन तक जितने भी यादव सम्राट हुए सभी के लाखो सालो तक त्रिलोक पर राजा किया, सूर्य की चाल में आकर यादवों ने ऋषि bhragu के वंश पर अत्याचार किया, जिसके कारण ऋषि bhragu के पुत्र परशुराम ने केवल यादव सम्राट सहस्त्रबाहु अर्जुन यादवों ओर उनके 101 कुल का 21 बार लगभग नाश किया, परशुराम सूर्य वंश को क्षत्रिय नहीं मानता था इसलिए परशुराम ने केवल यादवों का नाश किया, आगे जाकर इसी वंश मै नारायण के पूर्ण अवतार यादव कृष्ण हुए, उनकी बड़ी बहन यादव माता दुर्गा ने यादव योग माया का अवतार लिया ओर विंध्याचल पर्वत पर जाकर बस गई, यादव राज कुमारी कुंती को उनके पूर्वज ऋषि दुर्वासा ने 6 यादव पराक्रमी पुत्रो का वरदान दिया जो, यादव कर्ण, यादव युधिष्ठिर, यादव भीम, यादव अर्जुन, नकुल ओर सहदेव हुए, राजा पांडु को श्राप था कि वो पुत्र पैदा नहीं कर सकता इसलिए कुंती के पुत्रो में केवल यादवों का रक्त था इसलिए ये सभी भी आगे जाकर यादव कहलाए, यादव भीम के पौत्र यादव बर्बरीक हुए जिन्हें यादव भगवान खाटू श्याम कहा जाता हे, महा भारत युद्ध के बाद केवल यादव वंश ही बचा था जिसमें आगे जाकर देवगिरी के अभिर (अहीर) ने 800 इष्वी में मराठा साम्राज्य की नींव रखी, जिसमे आगे जाकर अहीर जीजा बाई ओर उनके पुत्र अहीर छत्रपति शिवाजी हुए, शिवाजी के पिता शाहा जी यादवों के होलसेल वंश से थे, राजा सूरजमल, राजा सुहेल देव, महा राणा प्रताप, आल्हा ऊदल, वीर लोरीक, विजय नगर राज्य की स्थापना करने वाले राजा कृष्ण राय आदि ऐसे बहुत से राजा हुए, चन्द्र वंश का मतलब केवल यादव वंश होता है जितने भी महान राजा हुए वे सभी यादव वंश से ताल्लुक रखते हे, भारत में जितने भिं प्राचीन ओर बड़े मंदिर हे सभी यादवों के द्वारा बनाए गए हे, यादवों के राज्य यादव डायनेस्टी, अहीरराना आज का हरियाणा, विजय नगर डायनेस्टी, मराठा डायनेस्टी, देव गिरी डायनेस्टी, नेपाल डायनेस्टी, भूटान, म्यांमार, अफगानिस्तान, चीन ये सभी यादवों के राज्य थे जिनको दासियों के पुत्र राजपूतों ने मुगलों के साथ मिलकर खत्म कर दिए, गुज्जर,जाट, मराठा, सिक्ख ये सभी यादवों के वंश हे
      जय चन्द्र वंश

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    3. पहले गोचर थे फिर गूजर बने फिर गुज्जर बने अब गुर्जर हो गए। शर्म करो

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  3. 1 क्षत्रिय और राजपूत में अंतर है ,,,क्षत्रिय शब्द वेदिक कालिन है 10000 साल पुराना है, जबकि राजपूत शब्द 6ठी से 7वी शताब्दी में अस्तित्व में आया। 2 क्षत्रिय एक वेदिक काल का वर्ग था जो शासन प्रशासन और देश की रक्षा करता था। राजपूत 6 शताब्दी में अस्तित्व आई जाती थी जो शासन प्रशासन और देश की रक्षा करती थी।

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    1. राजपूत शब्द 13वीं शताब्दी में चलन में आया

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  4. 3. क्षत्रिय कोईभी बन सकता है ,राजपूत बना नहीं जाता यह पैदा होता है। 4.क्षत्रिय शब्द का अर्थ रक्षक है जो देश और जनता की रक्षा करता है ,राजपूत शब्द का अर्थ राजा का पुत्र है । 5 क्षत्रिय सिंधु सभ्यता और वेदिक सभ्यता के वंशज हैं । राजपूत शक,हुण और सिथियन आक्रांताओं के वंशज हैं ।

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    1. यादव ऋषि अत्री के पुत्र के रूप में त्रिदेवो ने जन्म लिया, यादव ऋषि अत्री के पुत्र के रूप में भगवान विष्णु यादव भगवान दत्तात्रेय रूप में, भगवान ब्रह्मा ने यादव भगवान चन्द्र देव के रूप में, महादेव ने यादव ऋषि दुर्वासा रूप में जन्म लिया, भगवान यादव चंद्रदेव को महादेव ने अपने मस्तक पर स्थान दिया हे, जिनके नाम पर यादवों ने सोमनाथ का मंदिर बनवाया था ,यादव चंद्रदेव के पुत्र थे यादव बुध देव, मनु की सबसे बड़ी पुत्री इला जो राम के पूर्वज इसवाकु की बड़ी बहन थी वो यादव घराने की बहू थी, यादव भगवान बुद्ध देव के पुत्र थे यादव पुरुरवा, यादव पुरुरवा के 6 पुत्र थे उनमें 2 महान पुत्र यादव आयु ओर यादव उमावशु, आयु के पुत्र यादव राजा नहुष हुए, उमावशू के वंश में आगे जाकर यादव विश्वामित्र हुए जो बाद में श्री राम के गुरु बने, ऋषि अत्री के वंशज अहीर यादवों को अत्री वंश से होने के कारण ब्राह्मणों का राजा ओर ब्राह्मणों में श्रेष्ठ ब्राह्मण कहा गया है, धरती पर केवल यादव ओर यादवों के वंश ही असली क्षत्रिय ओर ब्राह्मण हे, यादवों में त्रिदेवो सहित सभी देवताओं का रक्त हे, यादव विशुद्ध रक्त वाले भगवान हे, इशवाकू के वंश में हुए राम में केवल 12 कलाए थी, लेकिन चंद्रवंशी यादवों में उनके पूर्वज यादव भगवान दत्तात्रेय के 24 गुण, चंद्रदेव के 64 कलाए जीन कलाओं के साथ श्री कृष्ण ने जन्म लिया था, ओर ऋषि दुर्वासा का क्रोध इन सभी के साथ यादव जन्म लेते हे,
      नहुष के बड़े पुत्र यादव ययाति हुए, ययाति ने 5 पुत्र थे सबसे बड़े अहीर यादव सम्राट यदू थे, यादव सम्राट यदू को सतयुग के अंत में अहीर ओर यादव उपाधि मिली इसलिए उनके वंशज अहीर यादव ओर बहुत से नाम से जाने जाते हे, ठाकुर, यादव, राणा, महाराणा, सिंह, आदि ये सभी केवल यादवों की उपाधि हे जो उसे द्वापर युग के पहले से प्राप्त हे
      यादव सम्राट यदू के वंश में आगे जाकर यादव राजा हेय्यय हुए, उनके पौत्र यादव सम्राट कर्तविर्य हुए, उनके पुत्र यादव सम्राट अर्जुन हुए जिन्हें सहस्त्रबाहु कर्तविर्य अर्जुन कहा जाता थे, यादव सम्राट कर्तविर्य अर्जुन ने अकेले ही रावण ओर उसकी सेना को अपने एक ही वार से मूर्छित कर यादवों के अस्तबल में सैकड़ों सालों तक बंदी बना कर रखा था, चंद्रदेव से लेकर सहस्त्रबाहु अर्जुन तक जितने भी यादव सम्राट हुए सभी के लाखो सालो तक त्रिलोक पर राजा किया, सूर्य की चाल में आकर यादवों ने ऋषि bhragu के वंश पर अत्याचार किया, जिसके कारण ऋषि bhragu के पुत्र परशुराम ने केवल यादव सम्राट सहस्त्रबाहु अर्जुन यादवों ओर उनके 101 कुल का 21 बार लगभग नाश किया, परशुराम सूर्य वंश को क्षत्रिय नहीं मानता था इसलिए परशुराम ने केवल यादवों का नाश किया, आगे जाकर इसी वंश मै नारायण के पूर्ण अवतार यादव कृष्ण हुए, उनकी बड़ी बहन यादव माता दुर्गा ने यादव योग माया का अवतार लिया ओर विंध्याचल पर्वत पर जाकर बस गई, यादव राज कुमारी कुंती को उनके पूर्वज ऋषि दुर्वासा ने 6 यादव पराक्रमी पुत्रो का वरदान दिया जो, यादव कर्ण, यादव युधिष्ठिर, यादव भीम, यादव अर्जुन, नकुल ओर सहदेव हुए, राजा पांडु को श्राप था कि वो पुत्र पैदा नहीं कर सकता इसलिए कुंती के पुत्रो में केवल यादवों का रक्त था इसलिए ये सभी भी आगे जाकर यादव कहलाए, यादव भीम के पौत्र यादव बर्बरीक हुए जिन्हें यादव भगवान खाटू श्याम कहा जाता हे, महा भारत युद्ध के बाद केवल यादव वंश ही बचा था जिसमें आगे जाकर देवगिरी के अभिर (अहीर) ने 800 इष्वी में मराठा साम्राज्य की नींव रखी, जिसमे आगे जाकर अहीर जीजा बाई ओर उनके पुत्र अहीर छत्रपति शिवाजी हुए, शिवाजी के पिता शाहा जी यादवों के होलसेल वंश से थे, राजा सूरजमल, राजा सुहेल देव, महा राणा प्रताप, आल्हा ऊदल, वीर लोरीक, विजय नगर राज्य की स्थापना करने वाले राजा कृष्ण राय आदि ऐसे बहुत से राजा हुए, चन्द्र वंश का मतलब केवल यादव वंश होता है जितने भी महान राजा हुए वे सभी यादव वंश से ताल्लुक रखते हे, भारत में जितने भिं प्राचीन ओर बड़े मंदिर हे सभी यादवों के द्वारा बनाए गए हे, यादवों के राज्य यादव डायनेस्टी, अहीरराना आज का हरियाणा, विजय नगर डायनेस्टी, मराठा डायनेस्टी, देव गिरी डायनेस्टी, नेपाल डायनेस्टी, भूटान, म्यांमार, अफगानिस्तान, चीन ये सभी यादवों के राज्य थे जिनको दासियों के पुत्र राजपूतों ने मुगलों के साथ मिलकर खत्म कर दिए, गुज्जर,जाट, मराठा, सिक्ख ये सभी यादवों के वंश हे
      जय चन्द्र वंश

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    3. आप श्री मान ने सही फरमाया राजपूत शक,हुण और सिथियन आक्रांताओं के वंशज हैं ।

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  5. यादव ऋषि अत्री के पुत्र के रूप में त्रिदेवो ने जन्म लिया, यादव ऋषि अत्री के पुत्र के रूप में भगवान विष्णु यादव भगवान दत्तात्रेय रूप में, भगवान ब्रह्मा ने यादव भगवान चन्द्र देव के रूप में, महादेव ने यादव ऋषि दुर्वासा रूप में जन्म लिया, भगवान यादव चंद्रदेव को महादेव ने अपने मस्तक पर स्थान दिया हे, जिनके नाम पर यादवों ने सोमनाथ का मंदिर बनवाया था ,यादव चंद्रदेव के पुत्र थे यादव बुध देव, मनु की सबसे बड़ी पुत्री इला जो राम के पूर्वज इसवाकु की बड़ी बहन थी वो यादव घराने की बहू थी, यादव भगवान बुद्ध देव के पुत्र थे यादव पुरुरवा, यादव पुरुरवा के 6 पुत्र थे उनमें 2 महान पुत्र यादव आयु ओर यादव उमावशु, आयु के पुत्र यादव राजा नहुष हुए, उमावशू के वंश में आगे जाकर यादव विश्वामित्र हुए जो बाद में श्री राम के गुरु बने, ऋषि अत्री के वंशज अहीर यादवों को अत्री वंश से होने के कारण ब्राह्मणों का राजा ओर ब्राह्मणों में श्रेष्ठ ब्राह्मण कहा गया है, धरती पर केवल यादव ओर यादवों के वंश ही असली क्षत्रिय ओर ब्राह्मण हे, यादवों में त्रिदेवो सहित सभी देवताओं का रक्त हे, यादव विशुद्ध रक्त वाले भगवान हे, इशवाकू के वंश में हुए राम में केवल 12 कलाए थी, लेकिन चंद्रवंशी यादवों में उनके पूर्वज यादव भगवान दत्तात्रेय के 24 गुण, चंद्रदेव के 64 कलाए जीन कलाओं के साथ श्री कृष्ण ने जन्म लिया था, ओर ऋषि दुर्वासा का क्रोध इन सभी के साथ यादव जन्म लेते हे,
    नहुष के बड़े पुत्र यादव ययाति हुए, ययाति ने 5 पुत्र थे सबसे बड़े अहीर यादव सम्राट यदू थे, यादव सम्राट यदू को सतयुग के अंत में अहीर ओर यादव उपाधि मिली इसलिए उनके वंशज अहीर यादव ओर बहुत से नाम से जाने जाते हे, ठाकुर, यादव, राणा, महाराणा, सिंह, आदि ये सभी केवल यादवों की उपाधि हे जो उसे द्वापर युग के पहले से प्राप्त हे
    यादव सम्राट यदू के वंश में आगे जाकर यादव राजा हेय्यय हुए, उनके पौत्र यादव सम्राट कर्तविर्य हुए, उनके पुत्र यादव सम्राट अर्जुन हुए जिन्हें सहस्त्रबाहु कर्तविर्य अर्जुन कहा जाता थे, यादव सम्राट कर्तविर्य अर्जुन ने अकेले ही रावण ओर उसकी सेना को अपने एक ही वार से मूर्छित कर यादवों के अस्तबल में सैकड़ों सालों तक बंदी बना कर रखा था, चंद्रदेव से लेकर सहस्त्रबाहु अर्जुन तक जितने भी यादव सम्राट हुए सभी के लाखो सालो तक त्रिलोक पर राजा किया, सूर्य की चाल में आकर यादवों ने ऋषि bhragu के वंश पर अत्याचार किया, जिसके कारण ऋषि bhragu के पुत्र परशुराम ने केवल यादव सम्राट सहस्त्रबाहु अर्जुन यादवों ओर उनके 101 कुल का 21 बार लगभग नाश किया, परशुराम सूर्य वंश को क्षत्रिय नहीं मानता था इसलिए परशुराम ने केवल यादवों का नाश किया, आगे जाकर इसी वंश मै नारायण के पूर्ण अवतार यादव कृष्ण हुए, उनकी बड़ी बहन यादव माता दुर्गा ने यादव योग माया का अवतार लिया ओर विंध्याचल पर्वत पर जाकर बस गई, यादव राज कुमारी कुंती को उनके पूर्वज ऋषि दुर्वासा ने 6 यादव पराक्रमी पुत्रो का वरदान दिया जो, यादव कर्ण, यादव युधिष्ठिर, यादव भीम, यादव अर्जुन, नकुल ओर सहदेव हुए, राजा पांडु को श्राप था कि वो पुत्र पैदा नहीं कर सकता इसलिए कुंती के पुत्रो में केवल यादवों का रक्त था इसलिए ये सभी भी आगे जाकर यादव कहलाए, यादव भीम के पौत्र यादव बर्बरीक हुए जिन्हें यादव भगवान खाटू श्याम कहा जाता हे, महा भारत युद्ध के बाद केवल यादव वंश ही बचा था जिसमें आगे जाकर देवगिरी के अभिर (अहीर) ने 800 इष्वी में मराठा साम्राज्य की नींव रखी, जिसमे आगे जाकर अहीर जीजा बाई ओर उनके पुत्र अहीर छत्रपति शिवाजी हुए, शिवाजी के पिता शाहा जी यादवों के होलसेल वंश से थे, राजा सूरजमल, राजा सुहेल देव, महा राणा प्रताप, आल्हा ऊदल, वीर लोरीक, विजय नगर राज्य की स्थापना करने वाले राजा कृष्ण राय आदि ऐसे बहुत से राजा हुए, चन्द्र वंश का मतलब केवल यादव वंश होता है जितने भी महान राजा हुए वे सभी यादव वंश से ताल्लुक रखते हे, भारत में जितने भिं प्राचीन ओर बड़े मंदिर हे सभी यादवों के द्वारा बनाए गए हे, यादवों के राज्य यादव डायनेस्टी, अहीरराना आज का हरियाणा, विजय नगर डायनेस्टी, मराठा डायनेस्टी, देव गिरी डायनेस्टी, नेपाल डायनेस्टी, भूटान, म्यांमार, अफगानिस्तान, चीन ये सभी यादवों के राज्य थे जिनको दासियों के पुत्र राजपूतों ने मुगलों के साथ मिलकर खत्म कर दिए, गुज्जर,जाट, मराठा, सिक्ख ये सभी यादवों के वंश हे
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  6. यादव ऋषि अत्री के पुत्र के रूप में त्रिदेवो ने जन्म लिया, यादव ऋषि अत्री के पुत्र के रूप में भगवान विष्णु यादव भगवान दत्तात्रेय रूप में, भगवान ब्रह्मा ने यादव भगवान चन्द्र देव के रूप में, महादेव ने यादव ऋषि दुर्वासा रूप में जन्म लिया, भगवान यादव चंद्रदेव को महादेव ने अपने मस्तक पर स्थान दिया हे, जिनके नाम पर यादवों ने सोमनाथ का मंदिर बनवाया था ,यादव चंद्रदेव के पुत्र थे यादव बुध देव, मनु की सबसे बड़ी पुत्री इला जो राम के पूर्वज इसवाकु की बड़ी बहन थी वो यादव घराने की बहू थी, यादव भगवान बुद्ध देव के पुत्र थे यादव पुरुरवा, यादव पुरुरवा के 6 पुत्र थे उनमें 2 महान पुत्र यादव आयु ओर यादव उमावशु, आयु के पुत्र यादव राजा नहुष हुए, उमावशू के वंश में आगे जाकर यादव विश्वामित्र हुए जो बाद में श्री राम के गुरु बने, ऋषि अत्री के वंशज अहीर यादवों को अत्री वंश से होने के कारण ब्राह्मणों का राजा ओर ब्राह्मणों में श्रेष्ठ ब्राह्मण कहा गया है, धरती पर केवल यादव ओर यादवों के वंश ही असली क्षत्रिय ओर ब्राह्मण हे, यादवों में त्रिदेवो सहित सभी देवताओं का रक्त हे, यादव विशुद्ध रक्त वाले भगवान हे, इशवाकू के वंश में हुए राम में केवल 12 कलाए थी, लेकिन चंद्रवंशी यादवों में उनके पूर्वज यादव भगवान दत्तात्रेय के 24 गुण, चंद्रदेव के 64 कलाए जीन कलाओं के साथ श्री कृष्ण ने जन्म लिया था, ओर ऋषि दुर्वासा का क्रोध इन सभी के साथ यादव जन्म लेते हे,
    नहुष के बड़े पुत्र यादव ययाति हुए, ययाति ने 5 पुत्र थे सबसे बड़े अहीर यादव सम्राट यदू थे, यादव सम्राट यदू को सतयुग के अंत में अहीर ओर यादव उपाधि मिली इसलिए उनके वंशज अहीर यादव ओर बहुत से नाम से जाने जाते हे, ठाकुर, यादव, राणा, महाराणा, सिंह, आदि ये सभी केवल यादवों की उपाधि हे जो उसे द्वापर युग के पहले से प्राप्त हे
    यादव सम्राट यदू के वंश में आगे जाकर यादव राजा हेय्यय हुए, उनके पौत्र यादव सम्राट कर्तविर्य हुए, उनके पुत्र यादव सम्राट अर्जुन हुए जिन्हें सहस्त्रबाहु कर्तविर्य अर्जुन कहा जाता थे, यादव सम्राट कर्तविर्य अर्जुन ने अकेले ही रावण ओर उसकी सेना को अपने एक ही वार से मूर्छित कर यादवों के अस्तबल में सैकड़ों सालों तक बंदी बना कर रखा था, चंद्रदेव से लेकर सहस्त्रबाहु अर्जुन तक जितने भी यादव सम्राट हुए सभी के लाखो सालो तक त्रिलोक पर राजा किया, सूर्य की चाल में आकर यादवों ने ऋषि bhragu के वंश पर अत्याचार किया, जिसके कारण ऋषि bhragu के पुत्र परशुराम ने केवल यादव सम्राट सहस्त्रबाहु अर्जुन यादवों ओर उनके 101 कुल का 21 बार लगभग नाश किया, परशुराम सूर्य वंश को क्षत्रिय नहीं मानता था इसलिए परशुराम ने केवल यादवों का नाश किया, आगे जाकर इसी वंश मै नारायण के पूर्ण अवतार यादव कृष्ण हुए, उनकी बड़ी बहन यादव माता दुर्गा ने यादव योग माया का अवतार लिया ओर विंध्याचल पर्वत पर जाकर बस गई, यादव राज कुमारी कुंती को उनके पूर्वज ऋषि दुर्वासा ने 6 यादव पराक्रमी पुत्रो का वरदान दिया जो, यादव कर्ण, यादव युधिष्ठिर, यादव भीम, यादव अर्जुन, नकुल ओर सहदेव हुए, राजा पांडु को श्राप था कि वो पुत्र पैदा नहीं कर सकता इसलिए कुंती के पुत्रो में केवल यादवों का रक्त था इसलिए ये सभी भी आगे जाकर यादव कहलाए, यादव भीम के पौत्र यादव बर्बरीक हुए जिन्हें यादव भगवान खाटू श्याम कहा जाता हे, महा भारत युद्ध के बाद केवल यादव वंश ही बचा था जिसमें आगे जाकर देवगिरी के अभिर (अहीर) ने 800 इष्वी में मराठा साम्राज्य की नींव रखी, जिसमे आगे जाकर अहीर जीजा बाई ओर उनके पुत्र अहीर छत्रपति शिवाजी हुए, शिवाजी के पिता शाहा जी यादवों के होलसेल वंश से थे, राजा सूरजमल, राजा सुहेल देव, महा राणा प्रताप, आल्हा ऊदल, वीर लोरीक, विजय नगर राज्य की स्थापना करने वाले राजा कृष्ण राय आदि ऐसे बहुत से राजा हुए, चन्द्र वंश का मतलब केवल यादव वंश होता है जितने भी महान राजा हुए वे सभी यादव वंश से ताल्लुक रखते हे, भारत में जितने भिं प्राचीन ओर बड़े मंदिर हे सभी यादवों के द्वारा बनाए गए हे, यादवों के राज्य यादव डायनेस्टी, अहीरराना आज का हरियाणा, विजय नगर डायनेस्टी, मराठा डायनेस्टी, देव गिरी डायनेस्टी, नेपाल डायनेस्टी, भूटान, म्यांमार, अफगानिस्तान, चीन ये सभी यादवों के राज्य थे जिनको दासियों के पुत्र राजपूतों ने मुगलों के साथ मिलकर खत्म कर दिए, गुज्जर,जाट, मराठा, सिक्ख ये सभी यादवों के वंश हे
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  7. यादव ऋषि अत्री के पुत्र के रूप में त्रिदेवो ने जन्म लिया, यादव ऋषि अत्री के पुत्र के रूप में भगवान विष्णु यादव भगवान दत्तात्रेय रूप में, भगवान ब्रह्मा ने यादव भगवान चन्द्र देव के रूप में, महादेव ने यादव ऋषि दुर्वासा रूप में जन्म लिया, भगवान यादव चंद्रदेव को महादेव ने अपने मस्तक पर स्थान दिया हे, जिनके नाम पर यादवों ने सोमनाथ का मंदिर बनवाया था ,यादव चंद्रदेव के पुत्र थे यादव बुध देव, मनु की सबसे बड़ी पुत्री इला जो राम के पूर्वज इसवाकु की बड़ी बहन थी वो यादव घराने की बहू थी, यादव भगवान बुद्ध देव के पुत्र थे यादव पुरुरवा, यादव पुरुरवा के 6 पुत्र थे उनमें 2 महान पुत्र यादव आयु ओर यादव उमावशु, आयु के पुत्र यादव राजा नहुष हुए, उमावशू के वंश में आगे जाकर यादव विश्वामित्र हुए जो बाद में श्री राम के गुरु बने, ऋषि अत्री के वंशज अहीर यादवों को अत्री वंश से होने के कारण ब्राह्मणों का राजा ओर ब्राह्मणों में श्रेष्ठ ब्राह्मण कहा गया है, धरती पर केवल यादव ओर यादवों के वंश ही असली क्षत्रिय ओर ब्राह्मण हे, यादवों में त्रिदेवो सहित सभी देवताओं का रक्त हे, यादव विशुद्ध रक्त वाले भगवान हे, इशवाकू के वंश में हुए राम में केवल 12 कलाए थी, लेकिन चंद्रवंशी यादवों में उनके पूर्वज यादव भगवान दत्तात्रेय के 24 गुण, चंद्रदेव के 64 कलाए जीन कलाओं के साथ श्री कृष्ण ने जन्म लिया था, ओर ऋषि दुर्वासा का क्रोध इन सभी के साथ यादव जन्म लेते हे,
    नहुष के बड़े पुत्र यादव ययाति हुए, ययाति ने 5 पुत्र थे सबसे बड़े अहीर यादव सम्राट यदू थे, यादव सम्राट यदू को सतयुग के अंत में अहीर ओर यादव उपाधि मिली इसलिए उनके वंशज अहीर यादव ओर बहुत से नाम से जाने जाते हे, ठाकुर, यादव, राणा, महाराणा, सिंह, आदि ये सभी केवल यादवों की उपाधि हे जो उसे द्वापर युग के पहले से प्राप्त हे
    यादव सम्राट यदू के वंश में आगे जाकर यादव राजा हेय्यय हुए, उनके पौत्र यादव सम्राट कर्तविर्य हुए, उनके पुत्र यादव सम्राट अर्जुन हुए जिन्हें सहस्त्रबाहु कर्तविर्य अर्जुन कहा जाता थे, यादव सम्राट कर्तविर्य अर्जुन ने अकेले ही रावण ओर उसकी सेना को अपने एक ही वार से मूर्छित कर यादवों के अस्तबल में सैकड़ों सालों तक बंदी बना कर रखा था, चंद्रदेव से लेकर सहस्त्रबाहु अर्जुन तक जितने भी यादव सम्राट हुए सभी के लाखो सालो तक त्रिलोक पर राजा किया, सूर्य की चाल में आकर यादवों ने ऋषि bhragu के वंश पर अत्याचार किया, जिसके कारण ऋषि bhragu के पुत्र परशुराम ने केवल यादव सम्राट सहस्त्रबाहु अर्जुन यादवों ओर उनके 101 कुल का 21 बार लगभग नाश किया, परशुराम सूर्य वंश को क्षत्रिय नहीं मानता था इसलिए परशुराम ने केवल यादवों का नाश किया, आगे जाकर इसी वंश मै नारायण के पूर्ण अवतार यादव कृष्ण हुए, उनकी बड़ी बहन यादव माता दुर्गा ने यादव योग माया का अवतार लिया ओर विंध्याचल पर्वत पर जाकर बस गई, यादव राज कुमारी कुंती को उनके पूर्वज ऋषि दुर्वासा ने 6 यादव पराक्रमी पुत्रो का वरदान दिया जो, यादव कर्ण, यादव युधिष्ठिर, यादव भीम, यादव अर्जुन, नकुल ओर सहदेव हुए, राजा पांडु को श्राप था कि वो पुत्र पैदा नहीं कर सकता इसलिए कुंती के पुत्रो में केवल यादवों का रक्त था इसलिए ये सभी भी आगे जाकर यादव कहलाए, यादव भीम के पौत्र यादव बर्बरीक हुए जिन्हें यादव भगवान खाटू श्याम कहा जाता हे, महा भारत युद्ध के बाद केवल यादव वंश ही बचा था जिसमें आगे जाकर देवगिरी के अभिर (अहीर) ने 800 इष्वी में मराठा साम्राज्य की नींव रखी, जिसमे आगे जाकर अहीर जीजा बाई ओर उनके पुत्र अहीर छत्रपति शिवाजी हुए, शिवाजी के पिता शाहा जी यादवों के होलसेल वंश से थे, राजा सूरजमल, राजा सुहेल देव, महा राणा प्रताप, आल्हा ऊदल, वीर लोरीक, विजय नगर राज्य की स्थापना करने वाले राजा कृष्ण राय आदि ऐसे बहुत से राजा हुए, चन्द्र वंश का मतलब केवल यादव वंश होता है जितने भी महान राजा हुए वे सभी यादव वंश से ताल्लुक रखते हे, भारत में जितने भिं प्राचीन ओर बड़े मंदिर हे सभी यादवों के द्वारा बनाए गए हे, यादवों के राज्य यादव डायनेस्टी, अहीरराना आज का हरियाणा, विजय नगर डायनेस्टी, मराठा डायनेस्टी, देव गिरी डायनेस्टी, नेपाल डायनेस्टी, भूटान, म्यांमार, अफगानिस्तान, चीन ये सभी यादवों के राज्य थे जिनको दासियों के पुत्र राजपूतों ने मुगलों के साथ मिलकर खत्म कर दिए, गुज्जर,जाट, मराठा, सिक्ख ये सभी यादवों के वंश हे
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  8. यादव ऋषि अत्री के पुत्र के रूप में त्रिदेवो ने जन्म लिया, यादव ऋषि अत्री के पुत्र के रूप में भगवान विष्णु यादव भगवान दत्तात्रेय रूप में, भगवान ब्रह्मा ने यादव भगवान चन्द्र देव के रूप में, महादेव ने यादव ऋषि दुर्वासा रूप में जन्म लिया, भगवान यादव चंद्रदेव को महादेव ने अपने मस्तक पर स्थान दिया हे, जिनके नाम पर यादवों ने सोमनाथ का मंदिर बनवाया था ,यादव चंद्रदेव के पुत्र थे यादव बुध देव, मनु की सबसे बड़ी पुत्री इला जो राम के पूर्वज इसवाकु की बड़ी बहन थी वो यादव घराने की बहू थी, यादव भगवान बुद्ध देव के पुत्र थे यादव पुरुरवा, यादव पुरुरवा के 6 पुत्र थे उनमें 2 महान पुत्र यादव आयु ओर यादव उमावशु, आयु के पुत्र यादव राजा नहुष हुए, उमावशू के वंश में आगे जाकर यादव विश्वामित्र हुए जो बाद में श्री राम के गुरु बने, ऋषि अत्री के वंशज अहीर यादवों को अत्री वंश से होने के कारण ब्राह्मणों का राजा ओर ब्राह्मणों में श्रेष्ठ ब्राह्मण कहा गया है, धरती पर केवल यादव ओर यादवों के वंश ही असली क्षत्रिय ओर ब्राह्मण हे, यादवों में त्रिदेवो सहित सभी देवताओं का रक्त हे, यादव विशुद्ध रक्त वाले भगवान हे, इशवाकू के वंश में हुए राम में केवल 12 कलाए थी, लेकिन चंद्रवंशी यादवों में उनके पूर्वज यादव भगवान दत्तात्रेय के 24 गुण, चंद्रदेव के 64 कलाए जीन कलाओं के साथ श्री कृष्ण ने जन्म लिया था, ओर ऋषि दुर्वासा का क्रोध इन सभी के साथ यादव जन्म लेते हे,
    नहुष के बड़े पुत्र यादव ययाति हुए, ययाति ने 5 पुत्र थे सबसे बड़े अहीर यादव सम्राट यदू थे, यादव सम्राट यदू को सतयुग के अंत में अहीर ओर यादव उपाधि मिली इसलिए उनके वंशज अहीर यादव ओर बहुत से नाम से जाने जाते हे, ठाकुर, यादव, राणा, महाराणा, सिंह, आदि ये सभी केवल यादवों की उपाधि हे जो उसे द्वापर युग के पहले से प्राप्त हे
    यादव सम्राट यदू के वंश में आगे जाकर यादव राजा हेय्यय हुए, उनके पौत्र यादव सम्राट कर्तविर्य हुए, उनके पुत्र यादव सम्राट अर्जुन हुए जिन्हें सहस्त्रबाहु कर्तविर्य अर्जुन कहा जाता थे, यादव सम्राट कर्तविर्य अर्जुन ने अकेले ही रावण ओर उसकी सेना को अपने एक ही वार से मूर्छित कर यादवों के अस्तबल में सैकड़ों सालों तक बंदी बना कर रखा था, चंद्रदेव से लेकर सहस्त्रबाहु अर्जुन तक जितने भी यादव सम्राट हुए सभी के लाखो सालो तक त्रिलोक पर राजा किया, सूर्य की चाल में आकर यादवों ने ऋषि bhragu के वंश पर अत्याचार किया, जिसके कारण ऋषि bhragu के पुत्र परशुराम ने केवल यादव सम्राट सहस्त्रबाहु अर्जुन यादवों ओर उनके 101 कुल का 21 बार लगभग नाश किया, परशुराम सूर्य वंश को क्षत्रिय नहीं मानता था इसलिए परशुराम ने केवल यादवों का नाश किया, आगे जाकर इसी वंश मै नारायण के पूर्ण अवतार यादव कृष्ण हुए, उनकी बड़ी बहन यादव माता दुर्गा ने यादव योग माया का अवतार लिया ओर विंध्याचल पर्वत पर जाकर बस गई, यादव राज कुमारी कुंती को उनके पूर्वज ऋषि दुर्वासा ने 6 यादव पराक्रमी पुत्रो का वरदान दिया जो, यादव कर्ण, यादव युधिष्ठिर, यादव भीम, यादव अर्जुन, नकुल ओर सहदेव हुए, राजा पांडु को श्राप था कि वो पुत्र पैदा नहीं कर सकता इसलिए कुंती के पुत्रो में केवल यादवों का रक्त था इसलिए ये सभी भी आगे जाकर यादव कहलाए, यादव भीम के पौत्र यादव बर्बरीक हुए जिन्हें यादव भगवान खाटू श्याम कहा जाता हे, महा भारत युद्ध के बाद केवल यादव वंश ही बचा था जिसमें आगे जाकर देवगिरी के अभिर (अहीर) ने 800 इष्वी में मराठा साम्राज्य की नींव रखी, जिसमे आगे जाकर अहीर जीजा बाई ओर उनके पुत्र अहीर छत्रपति शिवाजी हुए, शिवाजी के पिता शाहा जी यादवों के होलसेल वंश से थे, राजा सूरजमल, राजा सुहेल देव, महा राणा प्रताप, आल्हा ऊदल, वीर लोरीक, विजय नगर राज्य की स्थापना करने वाले राजा कृष्ण राय आदि ऐसे बहुत से राजा हुए, चन्द्र वंश का मतलब केवल यादव वंश होता है जितने भी महान राजा हुए वे सभी यादव वंश से ताल्लुक रखते हे, भारत में जितने भिं प्राचीन ओर बड़े मंदिर हे सभी यादवों के द्वारा बनाए गए हे, यादवों के राज्य यादव डायनेस्टी, अहीरराना आज का हरियाणा, विजय नगर डायनेस्टी, मराठा डायनेस्टी, देव गिरी डायनेस्टी, नेपाल डायनेस्टी, भूटान, म्यांमार, अफगानिस्तान, चीन ये सभी यादवों के राज्य थे जिनको दासियों के पुत्र राजपूतों ने मुगलों के साथ मिलकर खत्म कर दिए, गुज्जर,जाट, मराठा, सिक्ख ये सभी यादवों के वंश हे
    जय चन्द्र वंश

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    1. हा हा हा हा हा
      कहां से लाते हो इतना घटिया ज्ञान

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  11. यादव ऋषि अत्री के पुत्र के रूप में त्रिदेवो ने जन्म लिया, यादव ऋषि अत्री के पुत्र के रूप में भगवान विष्णु यादव भगवान दत्तात्रेय रूप में, भगवान ब्रह्मा ने यादव भगवान चन्द्र देव के रूप में, महादेव ने यादव ऋषि दुर्वासा रूप में जन्म लिया, भगवान यादव चंद्रदेव को महादेव ने अपने मस्तक पर स्थान दिया हे, जिनके नाम पर यादवों ने सोमनाथ का मंदिर बनवाया था ,यादव चंद्रदेव के पुत्र थे यादव बुध देव, मनु की सबसे बड़ी पुत्री इला जो राम के पूर्वज इसवाकु की बड़ी बहन थी वो यादव घराने की बहू थी, यादव भगवान बुद्ध देव के पुत्र थे यादव पुरुरवा, यादव पुरुरवा के 6 पुत्र थे उनमें 2 महान पुत्र यादव आयु ओर यादव उमावशु, आयु के पुत्र यादव राजा नहुष हुए, उमावशू के वंश में आगे जाकर यादव विश्वामित्र हुए जो बाद में श्री राम के गुरु बने, ऋषि अत्री के वंशज अहीर यादवों को अत्री वंश से होने के कारण ब्राह्मणों का राजा ओर ब्राह्मणों में श्रेष्ठ ब्राह्मण कहा गया है, धरती पर केवल यादव ओर यादवों के वंश ही असली क्षत्रिय ओर ब्राह्मण हे, यादवों में त्रिदेवो सहित सभी देवताओं का रक्त हे, यादव विशुद्ध रक्त वाले भगवान हे, इशवाकू के वंश में हुए राम में केवल 12 कलाए थी, लेकिन चंद्रवंशी यादवों में उनके पूर्वज यादव भगवान दत्तात्रेय के 24 गुण, चंद्रदेव के 64 कलाए जीन कलाओं के साथ श्री कृष्ण ने जन्म लिया था, ओर ऋषि दुर्वासा का क्रोध इन सभी के साथ यादव जन्म लेते हे,
    नहुष के बड़े पुत्र यादव ययाति हुए, ययाति ने 5 पुत्र थे सबसे बड़े अहीर यादव सम्राट यदू थे, यादव सम्राट यदू को सतयुग के अंत में अहीर ओर यादव उपाधि मिली इसलिए उनके वंशज अहीर यादव ओर बहुत से नाम से जाने जाते हे, ठाकुर, यादव, राणा, महाराणा, सिंह, आदि ये सभी केवल यादवों की उपाधि हे जो उसे द्वापर युग के पहले से प्राप्त हे
    यादव सम्राट यदू के वंश में आगे जाकर यादव राजा हेय्यय हुए, उनके पौत्र यादव सम्राट कर्तविर्य हुए, उनके पुत्र यादव सम्राट अर्जुन हुए जिन्हें सहस्त्रबाहु कर्तविर्य अर्जुन कहा जाता थे, यादव सम्राट कर्तविर्य अर्जुन ने अकेले ही रावण ओर उसकी सेना को अपने एक ही वार से मूर्छित कर यादवों के अस्तबल में सैकड़ों सालों तक बंदी बना कर रखा था, चंद्रदेव से लेकर सहस्त्रबाहु अर्जुन तक जितने भी यादव सम्राट हुए सभी के लाखो सालो तक त्रिलोक पर राजा किया, सूर्य की चाल में आकर यादवों ने ऋषि bhragu के वंश पर अत्याचार किया, जिसके कारण ऋषि bhragu के पुत्र परशुराम ने केवल यादव सम्राट सहस्त्रबाहु अर्जुन यादवों ओर उनके 101 कुल का 21 बार लगभग नाश किया, परशुराम सूर्य वंश को क्षत्रिय नहीं मानता था इसलिए परशुराम ने केवल यादवों का नाश किया, आगे जाकर इसी वंश मै नारायण के पूर्ण अवतार यादव कृष्ण हुए, उनकी बड़ी बहन यादव माता दुर्गा ने यादव योग माया का अवतार लिया ओर विंध्याचल पर्वत पर जाकर बस गई, यादव राज कुमारी कुंती को उनके पूर्वज ऋषि दुर्वासा ने 6 यादव पराक्रमी पुत्रो का वरदान दिया जो, यादव कर्ण, यादव युधिष्ठिर, यादव भीम, यादव अर्जुन, नकुल ओर सहदेव हुए, राजा पांडु को श्राप था कि वो पुत्र पैदा नहीं कर सकता इसलिए कुंती के पुत्रो में केवल यादवों का रक्त था इसलिए ये सभी भी आगे जाकर यादव कहलाए, यादव भीम के पौत्र यादव बर्बरीक हुए जिन्हें यादव भगवान खाटू श्याम कहा जाता हे, महा भारत युद्ध के बाद केवल यादव वंश ही बचा था जिसमें आगे जाकर देवगिरी के अभिर (अहीर) ने 800 इष्वी में मराठा साम्राज्य की नींव रखी, जिसमे आगे जाकर अहीर जीजा बाई ओर उनके पुत्र अहीर छत्रपति शिवाजी हुए, शिवाजी के पिता शाहा जी यादवों के होलसेल वंश से थे, राजा सूरजमल, राजा सुहेल देव, महा राणा प्रताप, आल्हा ऊदल, वीर लोरीक, विजय नगर राज्य की स्थापना करने वाले राजा कृष्ण राय आदि ऐसे बहुत से राजा हुए, चन्द्र वंश का मतलब केवल यादव वंश होता है जितने भी महान राजा हुए वे सभी यादव वंश से ताल्लुक रखते हे, भारत में जितने भिं प्राचीन ओर बड़े मंदिर हे सभी यादवों के द्वारा बनाए गए हे, यादवों के राज्य यादव डायनेस्टी, अहीरराना आज का हरियाणा, विजय नगर डायनेस्टी, मराठा डायनेस्टी, देव गिरी डायनेस्टी, नेपाल डायनेस्टी, भूटान, म्यांमार, अफगानिस्तान, चीन ये सभी यादवों के राज्य थे जिनको दासियों के पुत्र राजपूतों ने मुगलों के साथ मिलकर खत्म कर दिए, गुज्जर,जाट, मराठा, सिक्ख ये सभी यादवों के वंश हे
    जय चन्द्र वंश

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    1. Yr sabh kuch bilkul juth essa to likho jo padkar lage ki ho sakta hai bilkul alag hi fak di tamne to

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  12. Kshatriy bhi koi nahi ban sakta kshatriy shabd ved purand shastro mai maujood hai Ramayan Mahabharat, prathvi raj raso kali Das aadi lekho mai kshatriy shabd ka lekh bahut milta hai kshatriy ka arth kshatra chha or suraksha or bahtar shaan pradan karna jo ek raja or us ke mantri gan Samant adi ke duwar hota tha . Rajput shabd Raja ka putra hai Rajan aadi nam ye sabhi kshatriy hai or na koi alag jo ye itihas angrejo or muglo ne her fer kiya hai.. kshatriy sarvottam shabd hai rajput kshatriy sakha ka ek ansh hai na ki jati

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  13. गड़रिया अहीर गुर्जर जाट ये जटिया क्षत्रिय है और गड़रिया का काम पशुओ को पालना या था या समय आने पर शत्रु से लडना या गदरिया के राजा है जैसे मल्हार राव होल्कर, विजय नगर चंद्र गुप्त मौर्य और पल वंश आदि लिए गदरियो को हर राज्य एम एक अलग उपजाति जैसे बघेल कुरुबा गवड़ा रायका गदरी पाल या गदरी या गद्दी गड़रिया है क्यू

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    1. Bhai hamara bhai itihas hai akela tum logo ka itihas nahi bade kshatriya bane firte ho hamara itihas dekhlo or rahi baat bakri palan ki wo tho apne swabhiman ke liye janglo main rehkar pashupalan kiya jaise ahir gadariya goojar lekin kisi angrojo muglo ko bahu beti nahi di hamara itihas holkar vansh
      Pal vansh
      Vijay Nagar samrajya
      Mourya vansh
      Ye sab gadariya king the or baat
      Karte ho kshatriya wali aaj kal sabhi Kshatriya bane ghoom rahe hai jyada gyan lena ho tho google ye history ki kitabe pad lena

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    2. बेटी हूणों का भारत मे रहने का समय यह था, पता है किसकी रक्षा करते थे मुल्लो की जिनके लिए तो अपनी बेटियों को भी नीलाम कर देते थे, गाय पालन पशु पालन तो हमारा हिन्दू धर्म सिखाता तुम हूणों का तो कोई धर्म भी नहीं हैं बस लड़कियों को बलि छड़वा कर राज करना ही आता है अगर इस समय मुल्लो का राज आ जाए तो तुम लोग तो फिर अपनी बहन बेटियों को तयार कर दोगे मुल्लो की सेवा मे

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  14. पिछड़ी जाती मे हो वही रहो। आरक्षण भी लेते हो और छत्रिय बताते हो डूब के मर जाओ कहीं जो आरक्षण जैसी भीख नहीं लेता वही क्षत्रिय है

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    2. O mister jyada gyan mat dikhao , jat , ahir or Gurjar khatriy h or vo kshatriya he jinhone dar dar bhatkna manjur kar liya he lekin kisi ke samane sar nahi jhukaya or raj ki bat karte ho to prabhu aapko bata du ki gurjat pratihar vansh ko bhulo mat or time mile to itihas ki book lena or vaha padna aapki aankho ko saf dikhai dega or aarakshan ki bat karte ho to 10 % aarakshan EWS ko jo mila he vo bhi bator liya or yaha post me bade gappe mar rahe ho yar

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    1. Apne pardada ke dada ka nam pta hai tumhe... Itihas ka jyan bat rhe ho... Geeta, ramayan me kya updesh diya gya hai kabhi dhyan diye...bhagwan kabhi kisi ko bhed bhav se nhi bhejta bs tum jaise chutiye hai jo apna astar dikha rhe hai ki kshatriya ho ki neech soch wale asl me sudra... Kshatriya ek yesa dharm hai jo sabhi ke andar hota hai.. Vo sabhi kshatriya hai jo apne desh, aur pariwar, aur samaj ke liye raksha karte hai na ki pet se hi paida ho jate hai direct... Pet se paida hone ke 5 sal tak pta nhi hota kaha ho aur bta rhe ho apni smjh kitni hai..hospital me blood ��jab lene jate ho apne kisi bhi family ke liye to ye puchh ke liya karo ki mujhe kshatriya ka blood chahiye kyuki mai kshatriya hu... Bhga dega turant... Vaha sirf insan ka blood milta hai... Usi ko manvta kahte hai.... Manav ke aalava koe jaati nhi hai hmari... Sab title hai apne apne ...bs ek jjati hai manav jati... Phle manav bno manav ko manav smjho.... Abhi aadimanav ho ...jo sirf angrej deke gye.... Aapas me foot dalne ka....

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  16. Tumhara kam bhens charane ka h tum shudra ho Shtriya sirf Rajput hai

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    1. Abe tumhe apne dada ke dada ka nam tak maloom nhi hoga... Aur yaha history pdha rhe ho...geeta aur ramayan me jo saf saf updesh mila hai uska dhyan nhi aata yaha aapas me bahesh pele pade ho... Kaun kshatriya hai kaun nhi... Bhagwan kisi ko bhed bhav se paida karke nhi bhejta... Bs tum jaise chitiye karte hai...koe pet se kshatriya paida nhi hota... Jo bhi chahe jo ho jis caste ka ho vo agr apne desh aur praja ki raksha krta hai use ho kshatriya kahte hai... Kshtriyta ek sahas, saurya deshbhakti, aur sabhi ko saman mannna... Yahi kshatriya dharm hai.... Na ki pet se paida hote hi kshatriya ban gye.... Paida hote pta hi nhi chlta kaha aaye ho... Aur jyan yese bat rhe ho jaise paida hote hi maa na bol kar kshatriya kshatriya bolne lgte ho... Asli koe kshatriya hoti hai to vo maa hoti hai... Jiska sahas uska praman hai. ... Bs usi ko kshatrani bol sakte hai... Aur maa sabki hoti hai aur sabhi maa adamya sahsi hoti hai......aur tum kaise kshatriya ho be jo insan ko inshan hi nhi smjh pa rhe... Yahi se buddhi kitni badi hai pta chl ja rha hai..... Jab kisi ke ghar me koe durghatna hoti hai na to jo hospital me blood aata hai to ye nhi puchh ke aata ki vo kiska hai kshatriya ka hai ki aur kisi ka blood hai.... Sirf waha inshan ka hi blood kam aata hai ....aur isi ko hi ek jaati bolte hai manav jaati aur koe jaati nhi hai......tab nhi muh khulta...itni normal si bat me aapas me bade banne ki kosis me mare ja rhe ho... Aur History kisi ko nhi malum sahi se ....

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    2. @Mukesh ji bohot sahi kaha apne

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  17. Gujjer jaat ye sab rajputo ke rakhel ke vanshaj hai������������

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    1. बहुत ज्ञानी हो बोलने की तमीज नहीं है और बात बड़ी बड़ी करता है ये ही पहचान है तूं तो क्षत्रिय हो ही नहीं सकता

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    2. bilkul sahi kaha gujjar jaat etc ye sabh Rajputo ki rakhelo kei vanshaj hei

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    3. राजपूत कि रखेल दासी सब दासी पुत्र गुज्जर, जाट, यादव , हैं.

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  18. अखिल भारतीय अन्य पिछड़ा वर्ग शुद्र महासभा के लोगों को भारत सरकार द्वारा एवं राज्य सरकार द्वारा मुफ्त में शिक्षा एवं सरकारी नौकरी के संस्थानों में 27% प्रतिशत आरक्षण देती है भारत में अन्य पिछड़ा वर्ग शुद्र समाज के लोगों की जातियों की सूची घोषित किया गया है

    नंबर 1 अभीर = अहीर यादव समाज

    नंबर 2 गौचर = गुर्जर हूण समाज

    नंबर 3 गडरिया = पाल समाज

    नंबर 4 जाट = चौधरी समाज

    नंबर 5 कुर्मी = पाटीदार पटेल समाज

    नंबर 6 माली = सैनी समाज

    नंबर 7 कोइरी = काछी कुशवाहा समाज

    नंबर 8 मराठा = कुनबी पाटील समाज

    नंबर 9 कुम्हार = प्रजापति समाज

    नंबर 10 लोहार = विश्वकर्मा समाज

    नंबर 11 बढ़ई = सुथार गज्जर समाज

    नंबर 12 तेली = साहू समाज

    नंबर 13 नाई = सेन समाज

    नंबर 14 मल्लाह = निषाद समाज

    नंबर 15 गोसाई समाज

    नंबर 16 चौरसिया समाज

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    1. Agr ye na rhe to tum baki kitne countary se lad loge akele... Ye jo dikha ke wahwahi le rhe ho... Ye jab samvidhan bna tab aarthik aadhar par bata gya hai... Uske pahle yesa koe rule nhi tha....aur hamari bharat chhor ke aur kahi population hai...yese kam neech soch wale karte hai kshtriya nhi...asl me yese logo ke liye hi neech sabd bna hai...yahi soch jo angrejo ne pakda ke chle gye... Jisse aapsa me batkar ek bar gulam banwa hi chuke the dusri ki taiyari joro se kar rhe ho....

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    2. ये सूचना किस सरकारी पोर्टल से आपने प्राप्त किया है। कृपया लिंक दें 🙏🙏

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  19. अखिल भारतीय अन्य पिछड़ा वर्ग शुद्र महासभा के लोग अपने आप को क्षत्रिय राजपूत समाज और वैश्य बनिया समाज के लोगों की नाजायज औलाद मानते हैं आज के समय में अखिल भारतीय अन्य पिछड़ा वर्ग शुद्र समाज के लोग खुद को क्षत्रिय राजपूत समाज और वैश्य बनिया समाज की नाजायज औलाद घोषित कर रहे हैं क्या बात है अन्य पिछड़ा वर्ग शुद्र समाज के लोगों के ऊपर मुझे बहुत 😆😂🤣 हंसी आता है सुअर 🐗🐗🐗 कितना भी शेर 🦁🦁🦁 का खाल पहन ले लेकिन रहेंगे तो सुअर 🐗🐗🐗 ही ना थोड़ी ना शेर 🦁🦁🦁 बन जायेगे समझदार को इशारा ही काफी होता है सच हमेशा कड़वा होता है पर असरदार होता है चाहे लोग माने या ना माने

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    1. जितनी जाती है उनका काम अलग अलग है एक जाती ऐसी है जिसका कोई काम नहीं है

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    3. चलो ठीक है अखिल भारतीय पिछड़ी समाज से डाटा लेके तुमने obc वर्ग को शुद्र बताया ओर जो सुरु से ही क्षत्रिय धर्म निभाते आ रहे है उनको भी आपने शुद्र बता दिया, इससे पहले आपको रुंडीबादिता छोड़ के थोड़ा पड़ा लिखा होना जरूरी है, तब ही आप समझ पायेंगे की क्षत्रिय और राजपूत में क्या अंतर है, पर ठीक है फिर भी मैने तुम्हारी रुंडीबादिता स्वीकार की और समझा तुम्हारी बात को,तो अच्छा बताओ जो आपकी जाति के लोग जो राजपूत या क्षत्रिय लिखते है बो ईडब्ल्यूएस का 10% क्यों ले रहें है, ओर उनके अलावा भी जो खुदको राजपूत और क्षत्रिय बताते है बो अनेक अनेक राज्यों में ओबीसी में क्यों आते है बताओ, अगर बो आरक्षण ले रहे है तो इसका अर्थ तो यह हुआ कि बो भी शुद्र हुए और बो हुए तो आप भी क्योंकी आप भी उन्ही की जाती से आते हो ओर ये बात में फेक नही रहा हु आप की तरह यकीन न हो तो चेक कर लेना की राजपूत और क्षत्रिय समाज कहा कहा किस किस राज्य में obc में आती है आपको सब समझ आ जायेगा,obc में आना शुद्र नही बल्कि किसी कारण वश पिछड़ा होना है जोकि आप लोगो में भी है और जो obc में आते है, ओर सच बात यह है की अभी तक चतुर चालाक लोगों ने मूर्ख बना के रखा सबको और अब जब सब पड़े लिखे और समझदार हो गए और असलियत को पहचान गए चतुर और चालाक लोगों की तो खुदकी सफाई में सभी को उल्टा सीधा बोलने पर आ गए..... जन्म से कोई क्षत्रिय नही बना कर्म से बना पिछड़ा होने का मतलब शुद्र नही हैं। ओर शुद्र होना भी कोनसा गलत है कोई न कोई कही न कहीं शुद्र भी है और क्षत्रिय भी क्योंकी आज भी बही सब कर्म है लोगो के और कल भी थे हर जाति में सब समाज के लोग सब काम पहले भी करते आए है और आज भी कर रहे है। सबसे पहले पशुपालन और कृषि होती थीं उसको बचाने को ओर समाज को बचाने को क्षत्रिय धर्म अपनाना पड़ा लोगो को ओर फिर धीरे धीरे क्या रहा सो बहुत कुछ हैं बोलने को ओर आपको सही पड़ने को न की रुंडीबादी बनने को..... जय श्री महाकाल 🙏

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  20. सनातन हिंदू धर्म में पांच वर्ण व्यवस्था थी

    नंबर 1 ब्राह्मण = पंडित पुरोहित त्यागी समाज

    नंबर 2 क्षत्रिय = राजपूत्र राजपूत जैन शाक्य खत्री समाज

    नंबर 3 वैश्य = बनिया सिंधी सोनार कायस्थ समाज

    नंबर 4 शुद्र = अन्य पिछड़ा वर्ग शुद्र समाज

    नंबर 5 अछूत = अनुसूचित जाति दलित समाज एवं अनुसूचित जनजाति आदिवासी समाज

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    1. अबे बेवकूफ राजपूत शब्द की उत्पत्ति ही 7वीं सताब्दी के आस पास हुई और तू राजपूतों को प्राचीन सनातनी वर्ण व्यवस्था से जोड़ रहा है। 🤣

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  21. नंबर 1 अन्य पिछड़ा वर्ग शुद्र समाज के लोगों को भारत सरकार द्वारा एवं राज्य सरकार द्वारा मुफ्त में शिक्षा एवं सरकारी नौकरी के क्षेत्रों में 27% प्रतिशत आरक्षण देती है

    नंबर 2 अनुसूचित जाति दलित समाज के लोगों को भारत सरकार द्वारा एवं राज्य सरकार द्वारा मुफ्त में शिक्षा एवं सरकारी नौकरी के क्षेत्रों में 15% प्रतिशत आरक्षण देती है

    नंबर 3 अनुसूचित जनजाति आदिवासी समाज के लोगों को भारत सरकार द्वारा एवं राज्य सरकार द्वारा मुफ्त में शिक्षा एवं सरकारी नौकरी के क्षेत्रों में 7% प्रतिशत आरक्षण देती है

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  22. खाने की औकात नहीं चले छत्रिय बनने

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  23. shakya ko kshatriya batate ho or pichhde varg ko shoodra batate ho sun hum kushwah kushvanshi hain or sirf kushwaho ki vanshavali shree ram tak jati hain or kisi ki nahi no

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  24. मुगलकाल में नबाबों और राजाओं की नाजायज औलादों को राजपूत कहा जाने लगा था.
    राजपूत का अर्थ होता है ऐसी संतान जो नबाबों/राजाओं की संतान तो है. राजमहल में रह भी सकती है. राज सुख भी भोग सकती है. लेकिन राजा या युवराज नहीं बन सकती है.
    चंदन और बनबीर की कहानी तो पढा ही होगा. पन्ना धाय ने जिस चंदन को बनबीर से बचाया था वह चंदन, राजा और रानी से पैदा हुआ था. लेकिन बनबीर की माँ रानी नहीं थी इसलिए उसे युवराज नहीं बनाया गया.
    चंदन को कुंवर कहा जाता था. जैसा कि सभी राजाओं के बेटों को कुंवर ही कहा जाता था.

    लेकिन बनबीर को राजपूत कहा जाता था.अंतर देख सकते हैं.

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  25. राजपूत मतलब नबाबों /राजाओं की नाजायज औलाद.
    जो नबाबों /राजाओं की नाजायज औलाद होने के कारण राजमहल में रह सकते थे.राज सुख भोग सकते थे. लेकिन युवराज या राजा नहीं बन सकते थे.
    राजपूत शब्द मुगलों के आने के बाद ही प्रचलन में आया था.

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  26. Apnae aap ko kshatriya Kahne me sharma nhi ati kshatriya varn he na ki jati.kshatriya ka arth rksha karna Murphy admi

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  27. Janiye Bharat me kitne kshatriya hain..... https://www.sanjayrajput.com/2020/01/blog-post_22.html

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  28. क्षत्रिय वीर निषाद राज लोधी राजपूत भी एक वीर जाति है

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  29. मुगलपूत हो वही रहो 😅😅 क्षत्रिय न बनो ज्यादा

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  30. मेरा एक सवाल है की सोनी जाति किस समाज में आती हैं

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  31. तुम राजपूत इतने ही महान थे तो तुमने देश को गुलाम क्यों बनने दिया तुमने तुम्हारी बहन बेटियों को उनके हवाले भी कर दिया फिर भी तुमसे राजगद्दी की रक्षा नहीं हुई क्योंकि तुम राजगद्दी के लायक ही नहीं थे तुम एक नंबर के डर को और बेवकूफ हो तुम लोग समझते क्या हो तुम लोग अपने आप को महान मानते हो खुद की बड़ाई खुद से नहीं होती उसकी बढ़ाई दूसरे करते हैं जब होती है और यह भी सुन लो मुगल तो तुम्हारी जीजा फूफा जी लगते हैं तुम उनके साले लगते हो और अंग्रेजों की तुम छतरी उठाते फिरते थे एक नंबर के तुम मिक्स ब्रांड हो शेर को महल की जरूरत नहीं होती है इसलिए शेर खुले में रहता है और तुम लोग चूहे हो शेर आते थे जब तुम अपने बिल में छुप जाते थे तुम एक नंबर के गद्दार हो

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  32. और यह राजपूत शब्द तेरहवीं शताब्दी मैं तुम लोगों ने मुगलों की दर से बनाया है तुमसे तुम्हारे बीवी बच्चे और तुम्हारा परिवार नहीं सामलता है तुम देश क्या संभालोगे तुम राजा बनने के योग्य पहले भी न थे और आज भी ना हो तुम तुम एक नंबर के देश के गद्दार हो और मुगलों की नाजायज औलाद तुम सिर्फ बकवास करते हो तुमसे हो ना जाना कुछ भी नहीं है गद्दारों

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  33. Bhai etna gussa kyu ? 😄
    Or jha tum ye sab likh ry ho wha baat mahanta ki nahi, baat h ki rajpoot or chatriye samaj me kya antr hai?

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  34. THIS IS REALLY NICE INFO THANKS FOR THIS GREAT KNOWLWDGE

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