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लोकोक्ति और मुहावरे में क्या अंतर है


लोकोक्ति और मुहावरे में क्या अंतर है 


किसी भी भाषा में कुछ ऐसे वाक्यांश या पूरा का पूरा वाक्य प्रयोग होते हैं जो न केवल उस कथन को धारदार और प्रभावशाली बना देते हैं उस बल्कि उस वाक्य को स्पष्ट और आकर्षक भी बना देते हैं। इनसे भाषा रुचिकर और गतिशील हो जाती है। ये वाक्यांश या वाक्य मुहावरे और लोकोक्तियाँ कहलाते हैं। हर भाषा का अपना लोकोक्तियों और मुहावरों का भंडार होता है। लोकोक्तियों और मुहावरों का उस भाषा को प्रयोग करने वाले लोगों के अनुभवों, क्षेत्र, परम्पराओं आदि का पूरा प्रभाव देखा जा सकता है। 


लोकोक्ति किसे कहते हैं 


किसी भी समृद्ध भाषा में कुछ ऐसे वाक्य प्रयोग किये जाते हैं जो न केवल भाषा के सौंदर्य को बढ़ा देते हैं बल्कि वाक्य के सामान्य अर्थ को पूर्ण, स्पष्ट और प्रभावशाली बना देते हैं। लोकोक्तियों या कहावतों का प्रयोग भी इसी सन्दर्भ में किया जाता है। लोकोक्तियाँ वास्तव में किसी विशेष स्थान पर मशहूर हो जाने वाले कथन होते हैं जिनका प्रयोग करके अपने वाक्य या अपनी बात पर विशेष जोर दिया जाता है। लोकोक्तियाँ बहुत ज्यादा प्रचलित और लोगों के मुंहलगे वाक्य होते हैं। ये आम जनमानस द्वारा स्थानीय बोलियों में हर दिन की परिस्थितियों से उपजने वाले वाक्य होते हैं जो किसी ख़ास समूह या वर्ग या क्षेत्र में प्रयोग में लाये जाते हैं। लोकोक्ति गागर में सागर भरने की क्षमता होती है। यह कथन के भाव को और भी ज्यादा चित्रित और स्पष्ट कर देता है।




लोकोक्ति की परिभाषा
लोकोक्ति अर्थात लोक और उक्ति यानि किसी विशेष स्थान पर आम जनमानस द्वारा प्रयुक्त उक्ति या कथन। ड़ॉ वसुदेव शरण अग्रवाल के अनुसार "लोकोक्तियाँ मानवीय ज्ञान के चोखे और चुभते हुए सूत्र हैं।"" लोकोक्ति या कहावत में स्थान विशेष के भूगोल, संस्कृति और भाषाओँ के मिश्रण के दर्शन होते हैं। ये अपने आप में वाक्यांश न होकर स्वतंत्र वाक्य होते हैं। लोकोक्तियों में आम जन के अनुभव का निचोड़ या सार मिलता है। लोकोक्तियों या कहावतों के रचनाकार प्रायः अज्ञात होते हैं। लोकोक्ति को कहावत या सूक्ति भी कहा जाता है।



कुछ प्रसिद्ध और लोकप्रिय लोकोक्तियों
अंधों में काना राजा
अर्थ : अज्ञानियों के बीच थोड़ा ज्ञानी

प्रयोग : गांव में कोई पढ़ा लिखा नहीं था। जब पांचवी कक्षा पास मोहन शहर से आया तो गांव में उसकी खूब धाक हो गयी। सच में अंधों में काना राजा होता है।

अकेला चना भांड नहीं फोड़ता
अर्थ : किसी बड़े काम के लिए अकेला आदमी काफी नहीं होता।

प्रयोग : भ्रष्टाचार के विरुद्ध तुम अकेले लाख आवाजें उठा लो पर कुछ होने वाला नहीं है। तुमको मालुम है न अकेला चना भांड नहीं फोड़ता।

अधजल गगरी छलकत जाये
अल्प ज्ञानी अपने ज्ञान का ज्यादा दिखावा करता है।

प्रयोग : सभा में सलमा हर बोलने वाले को टोक टाक कर रही थी। बीच बीच में अपने ज्ञान का प्रदर्शन कर रही थी। किन्तु जब उसकी बारी आयी तो उसके मुंह से आवाज ही नहीं निकल रही थी । सच में अब सलमा को देख कर लगता है जैसे अधजल गगरी छलकत जाये।

जिसकी लाठी उसकी भैस
शक्तिशाली की गलत चीज़ों का भी कोई कोई विरोध नहीं नहीं करता

प्रयोग : जमींदार ने सबके सामने सार्वजनिक जमीन पर कब्ज़ा कर लिया और किसी की हिम्मत नहीं हुई विरोध करने की। सही कहा है जिसकी लाठी उसी की भैंस होती है।


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मुहावरे क्या होते हैं

मुहावरे किसी भाषा का श्रृंगार होते हैं ये भाषा को सुन्दर,कलात्मक, सुदृढ़, गतिशील और रोचक बनाते हैं। मुहावरे भाषा और वाक्य को स्पष्ट और चित्रमय बनाते हैं। मुहावरे किसी न किसी व्यक्ति के अनुभव पर आधारित होते हैं। मुहावरों के शब्दों की अपनी अहमियत होती है और ये ज्यों के त्यों वाक्य में प्रयुक्त होते हैं। दूसरे शब्दों में कहें तो मुहावरों में प्रयुक्त शब्दों को उन्हीं के पर्यायवाची शब्दों से बदल कर प्रयोग किया जाय तो न केवल उसकी खूबसूरती समाप्त हो जाती है बल्कि उनके अर्थ भी बदल जाते हैं। उदहारण के लिए पानी पानी होना की जगह जल जल होना प्रयोग करें तो वाक्य का सौंदर्य और भाव दोनों समाप्त हो जायेगा।

मुहावरें वास्तव में एक पूर्ण वाक्य न होकर वाक्यांश होते। हैं। ये किसी वाक्य में प्रयुक्त होकर ही वाक्य को रोचक और प्रभावशाली बनाते हैं।
मुहावरों के पर्यावाची 

मुहावरा मूल रूप से अरबी भाषा के शब्द है जिसका अर्थ होता है बातचीत करना या उत्तर देना। मुहावरा का समानार्थक शब्द के मामले में अलग अलग विद्वानों की अलग अलग राय है। संस्कृत भाषा में कुछ लोग इसके लिए प्रयुक्तता, वागृति, वाग्धारा या भाषा संप्रदाय प्रयोग करते हैं। वी एस आप्टे ने अपने इंग्लिश संस्कृत कोश में इसका अर्थ वाक पद्धति, वाक रीति, वाक् व्यवहार और विशिष्ट स्वरुप लिखा है। वहीँ पराड़कर ने वाक् संप्रदाय को मुहावरे के पर्यावाची के रूप में स्वीकार किया है। जबकि काका कालेलकर वाक् प्रचार को मुहावरे के लिए रूढ़ि शब्द के रूप में अपनी अनुशंसा की है। अंग्रेजी भाषा में इसके लिए इडियम शब्द का प्रयोग होता है।


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मुहावरे की परिभाषा
सरल शब्दों में कहा जाय तो ऐसे सुगठित शब्द समूह जिनसे लक्षणाजन्य और कभी कभी व्यंजनाजन्य कुछ विशिष्ट अर्थ निकलता है मुहावरा कहलाते हैं। ये शब्द समूह कई बार व्यंग्यात्मक भी हो सकते है। मुहावरे किसी भाषा को जीवंत, रंगीन और सरस बना देती है। इनके प्रयोग से भाषा प्रभावशाली, गतिशील और रोचक बन जाती है।

डॉ उदित नारायण तिवारी ने मुहावरों की परिभाषा देते हुए कहा है "हिन्दी-उर्दू में लक्षण अथवा व्यंजना द्वारा सिद्ध वाक्य को ही ‘मुहावरा’ कहते हैं।" जबकि ऑक्सफोर्ड डिक्शनरी के अनुसार "किसी भाषा की अभिव्यंजना के विशिष्ट रूप को ‘मुहावरा’ कहते हैं। एक अन्य पक्ष है कि विशिष्ट शब्दों विचित्र प्रयोगों एवं प्रयोग-सिद्ध विशिष्ट वाक्यांशों वाक्य-पद्धति को ‘मुहावरा’ कहते हैं।"

मुहावरों के कुछ उदाहरण 
टेढ़ी खीर होना
अर्थ : मुश्किल कार्य होना

लोक सेवा आयोग की परीक्षा पास करना एक आम इंसान के लिए टेढ़ी खीर है।

चैन की बंशी बजाना
अर्थ : चिंतामुक्त जीवन बिताना

प्रयोग : एक बार मै नौकरी पा जाऊं फिर तो उसके बाद चैन की बंशी बजाना ही है।

सिर पर चढ़ना
अर्थ : मनबढ़ या अनुशासनहीन होना

प्रयोग : अब क्यों पछताते हो जब बेटे को सिर चढ़ा रहे थे तब तो खूब अच्छा लग रहा था न।

पेट में चूहे कूदना
अर्थ : भूख लगना

प्रयोग : मम्मी जल्दी कुछ खाने को दो, पेट में चूहे कूद रहे हैं।

लोकोक्ति और मुहावरे में क्या अंतर है

  • लोकोक्ति पूरा वाक्य होती है अर्थात लोकोक्तियों में उद्द्येश्य और विधेय दोनों होता है वहीँ मुहावरे वाक्यांश होते हैं यानि इनमे उद्द्येश्य और विधेय नहीं होता।
  • लोकोक्तियों या कहावतों का प्रयोग स्वतंत्र रूप में हो सकता है परन्तु मुहावरे चूँकि वाक्यांश होते हैं अतः इनका प्रयोग स्वतंत्र रूप से नहीं हो सकता। इनका प्रयोग वाक्य के अंतर्गत ही हो सकता है।

  • लोकोक्तियाँ वाक्य के लाक्षणिक और व्यंजनात्मक प्रयोग होते हैं जबकि मुहावरे शब्दों के लाक्षणिक और व्यंजनात्मक प्रयोग हैं।

  • लोकोक्तियों का रूपांतरण दूसरी भाषा में हो सकता है किन्तु मुहावरे शब्द शक्ति पर आधारित होने की वजह से दूसरी भाषा में रूपांतरित नहीं हो सकते क्योंकि इससे उनके शब्दों का अर्थ नष्ट हो सकता। है
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  • लोकोक्तियों के अंत में कोई विशेष लक्षण या कोई सामान प्रत्यय नहीं होता किन्तु मुहावरों के अंत में प्रायः "ना " प्रत्यय लगा होता है।

  • लोकोक्तियाँ गद्य और पद्य दोनों रूप में प्रयोग हो सकते हैं किन्तु मुहावरे केवल गद्य रूप में प्रयुक्त होते हैं।


  • लोकोक्ति लोक में प्रचलित उक्ति होती हैं जो भूतकाल का लोक अनुभव होती हैं जबकि मुहावरा अपने रूढ़ अर्थ के लिए प्रसिद्ध होता हैं।

इस प्रकार हम देखते हैं लोकोक्तियाँ और मुहावरे दोनों एक दूसरे से अलग अलग होते हुए भी दोनों ही किसी भाषा की निधि होते हैं। लोकोक्ति और मुहावरे भाषाओँ को जीवंत, प्रभावशाली, तीक्ष्ण और स्पष्ट बनाने में अपना खूब योगदान देते हैं।

दोस्तों,उम्मीद है लोकोक्ति और मुहावरों में अब अंतर स्पष्ट हो गया होगा। आपको "लोकोक्ति और मुहावरों में क्या अंतर है" पोस्ट कैसा लगा, कृपया अपने कमेंट के माध्यम से बताएं, पसंद आये तो कृपया शेयर करें और ब्लॉग को सब्सक्राइब जरूर करें। धन्यवाद्।

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