प्रीपेड और पोस्टपेड मोबाइल में क्या अंतर है
मोबाइल की दुनियां में दो शब्द अकसर सुनने में आते हैं प्रीपेड सिम और पोस्टपेड सिम। प्रीपेड और पोस्टपेड का वास्तव में सिम की संरचना, आकार, रंगरूप से कोई लेना देना नहीं है , प्रीपेड और पोस्टपेड केवल मोबाइल के उपयोग और उसके भुगतान के दो अलग अलग तरीके हैं। हालाँकि मोबाइल की दुनियां से निकले ये दो शब्द अब कई अन्य क्षेत्रों में भुगतान विधि के लिए उसी अर्थ में प्रयोग में लाये जा रहे हैं जैसे डीटीएच सर्विस, प्रीपेड टैक्सी, प्रीपेड इलेक्ट्रिक कनेक्शन आदि किन्तु आज यहाँ मोबाइल के सन्दर्भ में ही हम जानेंगे प्रीपेड सिम कनेक्शन क्या है, पोस्टपेड सिम क्या होती है और प्रीपेड और पोस्टपेड सिम या मोबाइल में क्या अंतर है ?
प्रीपेड मुख्य रूप से टेलीकॉम क्षेत्र में प्रयोग में आने वाला शब्द है। मोबाइल फोन सेवा में प्रीपेड एक अलग तरह की सर्विस का नाम है जो ग्राहकों को उनकी सुविधा यानि जरुरत और पैसे की उपलब्धता के अनुसार मोबाइल चलाने की आज़ादी प्रदान करता है। तीसरी दुनियां के देशों में जहाँ गरीबी बड़े पैमाने पर है और मोबाइल जैसी चीज़ें आज भी अति आवश्यक वस्तुओं में शुमार नहीं है, प्रीपेड मोबाइल की सुविधा लोगों के लिए एक वरदान के समान है।
प्रीपेड का क्या अर्थ है
प्रीपेड सर्विस की शुरुवात
प्रीपेड प्लान में अपनी सुविधा के हिसाब से रिचार्ज करने की सहूलियत, छोटे छोटे टॉप अप का रिचार्ज उपलब्ध होना और सिम लेने में कम कागजी कार्रवाई होने की वजह से आम लोगों में काफी लोकप्रिय है।स्थाई निवास की अनिवार्यता न होने वजह से बाहर रह कर पढ़ाई करने वाले छात्रों, मजदूरों और कर्मचारियों में प्रीपेड सिम की काफी डिमांड होती है। एक अनुमान के अनुसार विश्व के मोबाइल यूजर के दो तिहाई प्रीपेड यूजर हैं।
पोस्टपेड सिम क्या होती है
पोस्टपेड मोबाइल सर्विस प्रोवाइडरों के द्वारा दी जाने वाली एक सर्विस है जिसमे यूजर से उसके द्वारा उपयोग में लायी गयी सेवाओं जैसे वौइस् कालिंग, मैसेज, इंटरनेट आदि के लिए एक निश्चित अवधि के बाद बिल जेनेरेट करके भुगतान लिया जाता है। चूँकि भुगतान यूज़ के बाद लिया जाता है इसी वजह से इसे पोस्टपेड कहा जाता है।
मोबाइल उपयोगकर्ताओं में से एक वर्ग ऐसा भी है जिन्हे मोबाइल पर बहुत ज्यादा बात करनी होती है। ऐसे लोगों में प्रायः व्यवसायी, उद्योगपति, सरकारी या प्राइवेट कर्मचारी हो सकते हैं। इन लोगों को अपने व्यावसाय या काम के सिलसिले में बहुत ज्यादा मोबाइल का इस्तेमाल करना होता है। इनके लिए बार बार रिचार्ज करवाना न केवल असुविधाजनक होता है बल्कि खर्चीला भी होता है। अतः ऐसे लोग ऐसी सेवा चाहते हैं जहाँ कोई रुकावट न हो। यही कारण है कि ऐसे लोग पोस्टपेड सिम को प्राथमिकता देते हैं। साथ ही कुछ लोगों को अपने मोबाइल के खर्चों के डॉक्यूमेंटेशन के लिए बिल चाहिए होता है और कई कार्यालय या कंपनियां अपने कर्मचारियों के मोबाइल खर्च को स्वयं वहन करती हैं और इसके लिए उन्हें मोबाइल खर्च का बिल और कॉल डिटेल चाहिए होता है। ऐसे लोगों के लिए पोस्टपेड मोबाइल सिम उपयुक्त होता है और इसे वे प्राथमिकता देते हैं।
पोस्टपेड कनेक्शन किनको दिया जाता है
पोस्टपेड कनेक्शन किसी कंपनी के प्रायः स्थायी रेवेन्यू के स्रोत होते हैं। कंपनी को इनको ट्रैक करना सरल होता है। अतः ऐसे नंबर प्रायः चर्न नहीं होते हैं। कस्टमर को भी बार बार रिचार्ज कराने से मुक्ति मिलती है और उसके मोबाइल खर्चों का बिल के रूप में दस्तावेज भी रहता है। इन्ही वजहों से कर्मचारियों, व्यवसायियों, उद्योगपतियों और तमाम उच्च वर्गों में पोस्टपेड कनेक्शन काफी लोकप्रिय है।
- प्रीपेड सिम में पहले भुगतान और बाद में उपभोग करते हैं जबकि पोस्टपेड मोबाइल में उपभोग के बाद भुगतान करते हैं।
- प्रीपेड सिम में कस्टमर अपने प्लान कभी भी चेंज कर सकता है परन्तु पोस्टपेड कस्टमर कंपनी से किये गए कॉन्ट्रैक्ट की वजह से आसानी से प्लान चेंज नहीं कर पाता।
- प्रीपेड प्लान कम बात करने वालों के लिए उपयुक्त होता है। इसी वजह से ज्यादातर आम लोगों में यह लोकप्रिय होता है। पोस्टपेड प्लान लम्बी और ज्यादा बातचीत करने वाले लोगों के लिए फायदेमंद होता है। यही कारण है यह व्यापारियों, कर्मचारियों, उद्योगपतियों के लिए उपयोगी होता है।
- प्रीपेड नंबर ज्यादा दिनों तक यूज़ में न रहने पर सर्विस प्रोवाइडर कंपनी उसे चर्न या खत्म कर देती है। प्रीपेड सिम बड़ी संख्या में चर्न होते हैं। ठीक इसके विपरीत पोस्टपेड नंबर्स जल्दी चर्न नहीं होते।
- प्रीपेड में काफी छोटे छोटे अमाउंट के टॉप अप उपलब्ध होते हैं और इन्हें आसानी से स्वयं अथवा किसी दुकान से रिचार्ज कराया जा सकता है। पोस्टपेड कनेक्शन में कस्टमर को एक निश्चित प्लान लेना होता है और इसके एवज में उसके उपयोग के अनुसार उसे बिल दिया जाता है और जिसका उसे भुगतान करना होता है।
- प्रीपेड में सिम के खर्चों का हिसाब किताब रखना मुश्किल होता है। कस्टमर को अपने मोबाइल के खर्च को यदि उसे कहीं से भुगतान लेना है शो करना मुश्किल होता है। पोस्टपेड कनेक्शन धारक इसके लिए अपने बिल को पेश कर सकता है। रिटेन में होने की वजह से पोस्टपेड के खर्चों का हिसाब सरल होता है।
- प्रीपेड कनेक्शन में कस्टमर को कोई कॉल डिटेल की सुविधा नहीं मिलती किन्तु पोस्टपेड कनेक्शन में कस्टमर बिल के साथ उस नंबर की सीडीआर प्राप्त कर सकता है।
- प्रीपेड कनेक्शन में जिस महीने आवश्यकता नहीं उस महीने बिना रिचार्ज के रखा जा सकता है या फिर वैलिडिटी का रिचार्ज करके इनकमिंग की सुविधा ली जा सकती है किन्तु पोस्टपेड में नहीं भी यूज़ करने पर आपको रेंटल यानि एक निश्चित बिल भेजा जाएगा।
उपसंहार :
आसान शब्दों में कहा जाय तो प्रीपेड कनेक्शन में पहले भुगतान फिर उपयोग तथा पोस्टपेड में पहले इस्तेमाल बाद में उसके अनुसार भुगतान किया जाता है। प्रीपेड प्लान की सरलता, उपलब्धतता, लचीलापन, कम पैसे में सर्विस की उपलब्धता इसे काफी लोकप्रिय बनाती है। यही कारण है कि आज देश के करीब 90 प्रतिशत कनेक्शन प्रीपेड ही हैं। दूसरी तरफ पोस्टपेड की अपनी खासियतें जैसे बाधारहित बातचीत, रिचार्ज खत्म होने का कोई टेंशन नहीं, भुगतान का दस्तावेज बिल आदि होना इसे ख़ास वर्ग में काफी लोकप्रिय और अनिवार्य बनाती है।
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