Visit blogadda.com to discover Indian blogs जेनेरिक दवा और पेटेंट या ब्रांडेड दवा में क्या अंतर है

जेनेरिक दवा और पेटेंट या ब्रांडेड दवा में क्या अंतर है

जेनेरिक दवा और पेटेंट या ब्रांडेड दवा में क्या अंतर है



दवा की दुकानों पर अक्सर एक शब्द सुनने को मिलता है वो है जेनेरिक दवा। दुकानदार कहते हैं यह जेनेरिक दवा है और यह काफी सस्ती है। हमें लगता है यह सस्ती है फायदा नहीं करेगी। ब्रांडेड कंपनी, उसके आकर्षक विज्ञापन,उनका महंगा मूल्य सब हमारे दिलो दिमाग में ऐसे छाये हुए हैं कि हम दुकानदार से कह उठते हैं भैया जेनेरिक मत देना। और हम महँगी दवाएं लेकर घर आते हैं पूरी संतुष्टि और उम्मीद के साथ। दोस्तों बात तो सही है हम अपने तथा अपने परिवार के स्वास्थ्य के प्रति पैसों का मोल नहीं देखते। देखना भी नहीं चाहिए किन्तु कई बार जानकारी के आभाव में हम जो काम दस रुपये में होना चाहिए उसकी जगह सौ और हजार खर्च कर देते हैं। इलाज के मामले में यह और भी महत्वपूर्ण हो जाता है क्योंकि वहां कितना पैसा खर्च होगा कोई नहीं जानता। तो आइये जानते हैं जेनेरिक दवाएं क्या होती है और क्या ये सचमुच फायदा करती हैं ? इसी तरह पेटेंट दवा क्या होती है, जेनेरिक दवा क्यों सस्ती होती है, जेनेरिक दवा और पेटेंट दवा में क्या अंतर है आदि।



जेनेरिक दवा और पेटेंट या ब्रांडेड दवा में क्या अंतर है


जेनेरिक दवा क्या होती है


Generic Dawaye Kya Hoti Hai



What Is Generic Medicine




जेनेरिक दवाओं के बारे में जानने के पहले हमें ब्रांडेड या पेटेंट दवाओं में बारे में जानना होगा।ब्रांडेड या पेटेंट दवाएं वे दवाएं होती हैं जो किसी फार्मास्यूटिकल कंपनी के द्वारा रिसर्च के द्वारा खोजी और विकसित की गयी होती हैं। इसमें कंपनी का बहुत सारा पैसा और वर्षों का समय लगा होता है। अब कंपनी को उस दवा के लिए फ़ूड एंड ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन (FDA) से अप्रूवल लेना पड़ता है जिसमे उसे दवा निर्माण का प्रोसेस,डोज,सुरक्षा,शुद्धता इत्यादि सारी बातों को विस्तार से बताना होता है। इन सारी प्रक्रियाओं में कंपनी का अच्छा खासा पैसा लग जाता है। FDA से अप्रूवल मिलने के बाद कंपनी को अधिकार होता है कि एक ख़ास अवधि तक वह अपने द्वारा अविष्कृत दवा को अपने ब्रांड नाम से बेचे। इस दवा पर कंपनी का एकाधिकार होता है अर्थात दूसरी कोई भी कंपनी उस दवा के साल्ट या फारमूले को उस ख़ास अवधि के दौरान उस नाम से या किसी भी दूसरे नाम से न तो बना सकती है और न बेच सकती है। पेटेंट की अवधि के दौरान कंपनी दवा के  अविष्कार,विकास,परिक्षण,निर्माण आदि पर हुए खर्चे को अपने पेटेंट एकाधिकार की वजह से बाजार से वसूलती है। अतः इस तरह की दवा काफी महँगी होती है। पेटेंट की अवधि प्रायः 10 से 20 वर्ष होती है। इस अवधि के बीतने के बाद कंपनी का एकाधिकार खत्म हो जाता है और तब कोई भी दवा कंपनी उस साल्ट या फॉर्मूले को अलग अलग नाम से मार्किट में बेचती है इन्ही दवाओं को जेनेरिक दवा कहा जाता है।
पेटेंट की अवधि बीतने के बाद दवा निर्माताओं को FDA उस ब्रांडेड दवा का जेनेरिक तैयार करने के लिए एक अप्रूवल लेना पड़ता है जिसमे उन्हें यह आश्वासन देना पड़ता है कि उनकी दवा वही सारे तत्व एकदम उसी मात्रा में हैं जो ब्रांडेड दवा में है। इसके साथ ही निर्माण विधि,डोज,शुद्धता,सुरक्षा तथा घुलनशीलता सारे पैरामीटर्स ब्रांडेड दवा के सामान होंगे। इसके साथ ही ट्रेड नेम,रंग,साइज़,पैकिंग सबका डिटेल देना पड़ता है। FDA से अनुमति मिलने के बाद कंपनियां अपने अलग अलग नामों से उस दवा को मार्किट में लाती हैं।
इस प्रकार हम देखते हैं कि जेनेरिक दवाएं मार्किट में बिना किसी पेटेंट के लायी जाती हैं। दवाओं के फार्मूलेशन का पेटेंट हो सकता है किन्तु उसमे जो सक्रीय तत्व होते हैं उनका कोई पेटेंट नहीं होता है। चुकि दवाएं FDA से अप्रूवड होती हैं तथा FDA इस बात का पूरा ख्याल रखता है कि ये गुणवत्ता,डोज,मात्रा हर तरीके से ब्रांडेड दवा के बराबर होती हैं तथा बाजार में उतरने के पहले इनको उन सारे परीक्षणों और मानकों पर खरा उतरना पड़ता है अतः इन्हे ब्रांडेड दवा की जगह बड़े आराम से दिया जा सकता है। और वे उतना ही असरकारी होती हैं जितना ब्रांडेड दवा।
जेनेरिक दवाओं के सस्ते होने के कई कारण हैं :


जेनेरिक दवा और पेटेंट या ब्रांडेड दवा में क्या अंतर है



जेनेरिक दवाएं क्यों सस्ती होती हैं



Generic Dawa Kyo Sasti Hoti Hai



Why Generic Medicinces Are Cheaper


  • जेनेरिक दवाएं बनाने में केवल उनके निर्माण का खर्च आता है।

  • जेनेरिक दवाएं कई निर्माताओं द्वारा बनाई जाती हैं।

  • जेनेरिक दवाओं के प्रचार,प्रसार में कोई खर्च नहीं आता।

  • जेनेरिक दवाओं के मूल्य पर सरकार का नियंत्रण होता है।


क्या जेनेरिक दवाएं असर या फायदा करती हैं


चूँकि जेनेरिक दवाओं के निर्माण में वही सारे तत्व एकदम उसी मात्रा में होते हैं जो ब्रांडेड दवा में है तथा इसके साथ ही निर्माण विधि,डोज,शुद्धता,सुरक्षा तथा घुलनशीलता सारे पैरामीटर्स ब्रांडेड दवा के सामान होंते हैं अतः ये दवाएं किसी भी तरह से पेटेंट या ब्रांडेड दवाओं से कम नहीं होती हैं । यही कारण है जेनेरिक दवाएं किसी बीमारी में उतनी ही असरदार या प्रभावशाली साबित होती हैं जितनी उसी फॉर्मूले की ब्रांडेड दवा।


जेनेरिक दवा और पेटेंट या ब्रांडेड दवा में क्या अंतर है


patent dawa kya hoti hai


पेटेंट या ब्रांडेड दवाएं क्या होती हैं


What is Patent or Branded Medicine



कई बार दवा की दुकान पर या हॉस्पिटल में सुनने को मिलता है यह पेटेंट या ब्रांडेड दवा है। अधिकांश लोग भी अकसर कहते मिल जायेंगे पेटेंट दवा ही लेना। तो क्या पेटेंट या ब्रांडेड दवाएं कुछ अलग होती हैं या ये ज्यादा फायदा करती हैं। आईये देखते हैं ये पेटेंट या ब्रांडेड दवा क्या होती हैं।
ब्रांडेड या पेटेंट दवाएं ऐसी दवाओं को कहा जाता हैं जो किसी फार्मा कंपनी के द्वारा काफी रिसर्च के उपरांत खोजी और विकसित की गयी होती हैं। इस प्रक्रिया में कंपनी का बहुत सारा पैसा और वर्षों का समय लगा होता है। इन प्रक्रियाओं के बाद भी कंपनी को अपनी दवा का परिक्षण तथा प्रभावों का अध्ययन करना पड़ता है। इसके बाद कंपनी को उस दवा के लिए फ़ूड एंड ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन (FDA) से अप्रूवल लेना पड़ता है जिसमे उसे दवा निर्माण का प्रोसेस,डोज,सुरक्षा,शुद्धता इत्यादि सारी बातों को विस्तार से बताना होता है। इन सारी प्रक्रियाओं में कंपनी का अच्छा खासा पैसा लग जाता है। FDA से अप्रूवल मिलने के बाद कंपनी को अधिकार होता है कि एक ख़ास अवधि तक वह अपने द्वारा अविष्कृत दवा को अपने ब्रांड नाम से बेचे। इस दवा पर कंपनी का एकाधिकार होता है अर्थात दूसरी कोई भी कंपनी उस दवा के साल्ट या फारमूले को उस ख़ास अवधि के दौरान उस नाम से या किसी भी दूसरे नाम से न तो बना सकती है और न बेच सकती है। पेटेंट की अवधि के दौरान कंपनी दवा के अविष्कार,विकास,परिक्षण,निर्माण आदि पर हुए खर्चे को अपने पेटेंट एकाधिकार की वजह से बाजार से वसूलती है। अतः इस तरह की दवा काफी महँगी होती है। पेटेंट की अवधि प्रायः 10 से 20 वर्ष होती है।




क्या पेटेंट दवा ज्यादा असरकारक होती है


kya patent dawayen jyada asarkarak hoti hain


Is Patent Medicines are more effective ?



चूँकि पेटेंट या ब्रांडेड दवाओं और जेनेरिक दवाओं के बनाने का फार्मूला, साल्ट और उनकी मात्रा एक सामान होती है अतः उनका प्रभाव भी एक सामान ही होता है। किसी बीमारी में पेटेंट दवा की जगह उसी कम्पोजीशन की जेनेरिक दवा बड़े आराम से ली जा सकती है।


पेटेंट दवाएं महँगी क्यों होती हैं


patent dawa kyon mahangi hoti hai


Why Patent Medicines are Costly



दवा कम्पनियों को ब्रांडेड दवा से काफी मुनाफा होता है। कम्पनियां मेडिकल रिप्रेजेन्टेटिव के माध्यम से डॉक्टरों को अलग से लाभ उपलब्ध कराती है जिससे अधिकांश डॉक्टर ब्रांडेड दवा ही लिखते हैं। साथ ही दुकानदारों को भी इन दवाओं पर अच्छा मुनाफा होता है इसलिए वे ब्रांडेड दवा ही रखना चाहते हैं। इसके मुकाबले जेनेरिक दवाएं काफी सस्ती होती है। औसतन जेनेरिक दवाएं ब्रांडेड दवा की अपेक्षा पांच से छह गुने कम दामों पर उपलब्ध होती हैं। कई दवाएं तो 90 प्रतिशत तक सस्ती होती हैं।ब्लड कैंसर की दवा गलाईकेव ब्रांड के महीने भर का खर्च 1,14400 रुपये होता है जबकि इसी ग्रुप की जेनेरिक दवा विनेट मात्र 11400 रुपये में उपलब्ध है। सिप्रोफ्लोक्सासिन 500 mg के दस टेबलेट की कीमत जहाँ 97 रूपए आती है वहीँ जेनेरिक मात्र 21 रूपए पचास पैसे में उपलब्ध है। निमुसुलाइड 100 mg दस टेबलेट 38.66 रुपये में आती है जबकि 2.70 रुपये में इसका जेनेरिक उपलब्ध है
पेटेंट या ब्रांडेड दवाओं की कीमत जेनेरिक दवाओं की तुलना में काफी ज्यादा होती है। कई बार तो यह 90 प्रतिशत तक महंगा होता है। इन दवाओं के महंगे होने के निम्न कारण हैं :

  • पेटेंट या ब्रांडेड दवा में उसके रिसर्च,आविष्कार,विकास,परिक्षण,पेटेंट आदि के खर्च जुड़े होते हैं।

  • ब्रांडेड दवा एक निर्माता द्वारा बनाई जाती है और पेटेंट अवधि तक निर्माण तथा मार्केटिंग में उसका एकाधिकार होता है।

  • ब्रांडेड दवाओं के प्रचार,प्रसार आदि में बहुत खर्च होता है

  • पेटेंट दवाओं का मूल्य निर्धारण उन कंपनियों के द्वारा होता है।



जेनेरिक दवा और पेटेंट या ब्रांडेड दवा में क्या अंतर है



generic dawa aur patent dawa me kya antar hai


Differences between Generic Medicine and Patent or Branded Medicine 


वैसे तो जेनेरिक और पेटेंट दवाओं में कोई अंतर नहीं होता फिर भी कुछ बातों में इनमे काफी अंतर होता है।


  • जेनेरिक दवाएं अपने साल्ट या कम्पोजीशन के नाम से विक्रय की जाती हैं जबकि पेटेंट दवाएं कंपनी द्वारा दिए गए ब्रांड नेम से जानी जाती हैं।

  • जेनेरिक दवाएं काफी सस्ती होती हैं जबकि ब्रांडेड दवाएं काफी महँगी होती हैं।
जेनेरिक दवा और पेटेंट या ब्रांडेड दवा में क्या अंतर है


  • जेनेरिक दवाएं कई कंपनियों के द्वारा बनायीं जाती हैं जबकि पेटेंट दवाएं केवल उस दवा के पेटेंट होल्डर कंपनी के द्वारा बनायीं जाती है।

  • जेनेरिक दवा के मूल्य पर सरकार का नियंत्रण होता है वहीँ पेटेंट दवाओं पर निर्माता कंपनी का नियंत्रण होता है।




Conclusion


इस प्रकार हम देखते हैं कि जेनेरिक दवाओं और पेटेंट दवाओं के निर्माण की प्रक्रिया, साल्ट और प्रभाव में कोई अंतर नहीं होता है। दूसरे शब्दों में ये दवाएं उतना ही काम करती हैं जितना एक पेटेंट दवा। हालाँकि पेटेंट दवाएं जेनेरिक दवाओं की अपेक्षा काफी महँगी होती हैं। इनका महंगा होने का कारण दवा में उसके रिसर्च,आविष्कार,विकास,परिक्षण,पेटेंट आदि के खर्च जुड़े होना है। साथ ही पेटेंट अवधि तक मार्किट में उस दवा का एकाधिकार होना भी एक वजह होती है।

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