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लेखपाल, पटवारी, कानूनगो में क्या अंतर है


लेखपाल, पटवारी, कानूनगो में क्या अंतर है



भारतीय उपमहाद्वीप में भूमि सम्बन्धी विभिन्न रिकॉर्ड का लेखाजोखा जैसे विरासत (उत्तराधिकार), हैसियत, उपज, आपदा आदि अनेक कार्यों के निष्पादन के लिए ग्रामीण स्तर पर कर्मचारियों की नियुक्ति की जाती है। ये कर्मचारी लेखपाल कहलाते हैं। ये लेखपाल अपने क्षेत्र के कानूनगो के अंतर्गत कार्य करते हैं। लेखपाल वास्तव में सरकार और जनता के बीच कड़ी का काम करते हैं।

कानूनगो किसे कहते हैं



कानूनगो को राजस्व निरीक्षक या रेवन्यू इंस्पेक्टर भी कहते हैं। यह लेखपाल से बड़ा पद होता है। कानूनगो की भूमिका काफी हद तक सुपरवाइजर की होती है। लेखपाल जो भी रिकॉर्ड ले जाता है, कानूनगो उसे चेक करके अपनी मुहर लगाता है। कई बार कानूनगो भी जमीन के नाप-जोख का कार्य करता है। इसके अलावा वह दस्तावेजों को संभालकर रखता है।

"कानूनगो" एक हिंदी शब्द है जो एक ऐसे सरकारी अधिकारी को लिए प्रयुक्त होता है जो भूमि रिकॉर्ड, राजस्व संग्रह और भूमि के स्वामित्व और उपयोग से संबंधित अन्य प्रशासनिक कार्यों को बनाए रखने के लिए जिम्मेदार होता है। भारत के कुछ राज्यों में, "कानूनगो" शब्द का प्रयोग राजस्व अधिकारी का वर्णन करने के लिए किया जाता है जो गांवों के समूह या राजस्व मंडल का प्रभारी होता है। एक कानूनगो के कर्तव्य और जिम्मेदारियां उस क्षेत्र और सरकारी विभाग के आधार पर भिन्न हो सकते हैं जिसके लिए वे काम करते हैं।

उत्तर प्रदेश भू राजस्व अधिनियम, 1901 की धारा 25 में यह प्रावधान किया गया है कि राजस्व अभिलेखों उचित पर्यवेक्षण, रखरखाव तथा दुरुस्ती करने के लिए तथा अन्य कार्यों के लिए जिन्हें राज्य सरकार समय समय पर निर्धारित करे, राज्य सरकार प्रत्येक जिले में एक या एक से अधिक कानूनगो की नियुक्ति करेगी।

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कानूनगो कितने प्रकार के होते हैं


उत्तर प्रदेश भू राजस्व अधिनियम 1901 की धारा 234 के अधीन निर्मित लैंड रिकार्ड्स मैन्युअल के अनुसार कानूनगो तीन प्रकार के होते हैं

  • रजिस्ट्रार कानूनगो

  • सुपरवाइजर कानूनगो (भू लेख निरीक्षक)

  • सदर कानूनगो


रजिस्ट्रार कानूनगो : रजिस्ट्रार कानूनगो को कलेक्टर द्वारा नियुक्त किया जाता है। यह तहसील मुख्यालय में रहता है। प्रतयेक तहसील में एक रजिस्ट्रार कानूनगो होता है। वह तहसील पर सभी अभिलेखों निरिक्षण एवं रखरखाव करता है। वह लेखपालों के वेतन एवं भत्तों का भी हिसाब किताब रखता है।


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सुपरवाइजर कानूनगो (भू लेख निरीक्षक) : यह सबसे महत्वपूर्ण कानूनगो होता है। इनकी नियुक्ति भी कलेक्टर के द्वारा होती है। लैंड रिकार्ड्स मैन्युअल के पारा 396 के अनुसार इनका मुख्य कार्य लेखपाल पर सामान्य पर्यवेक्षण , गांव के नक़्शे का पर्यवेक्षण, लेखपाल द्वारा रखे जाने वाले अभिलेखों और विवरणों की जाँच, कृषि में आने वाली कमी का पता लगाना और उसकी रोकथाम करना है।

सदर कानूनगो : इनकी नियुक्ति बोर्ड ऑफ़ रेवेन्यू के द्वारा होती है। सुपरवाइजर कानूनगो तथा रजिस्ट्रार कानूनगो पदोन्नत होकर सदर कानूनगो बनते हैं।


लेखपाल या पटवारी किसे कहते हैं



पटवारी या लेखपाल राजस्व विभाग में ग्राम स्तर का अधिकारी होता है। यह भारतीय उपमहाद्वीप के ग्रामीण क्षेत्रों में सरकार का प्रशासनिक पद होता है। खेती बाड़ी की जमीन और उसकी उपज का लेखाजोखा रखना इनका मुख्य कार्य है। ये अपने हलके के भूमि सम्बंधी विवाद का निपटारा करते है। भूमि का सीमांकन, म्यूटेशन, विरासत, हैसियत प्रमाण पत्र, जाति, आय, निवास, आपदा,आदि जैसे अनेको कार्य करते हैं। अपने क्षेत्र का निरीक्षण का कार्य इन्ही का है। ये महत्वपूर्ण बिंदुओं और प्रार्थना पत्रों पर तहसीलदार को प्रतिवेदन प्रेषित करते हैं। एक लेखपाल अपने क्षेत्र के अंतर्गत भूमि का रिकॉर्ड रखता है।

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लेखपाल को अन्य किन नामों से जाना जाता है


लेखपाल को भारत में विभिन्न स्थानों पर अन्य नामों से भी जाना जाता है जैसे कारनाम अधिकारी, शानबोगरु, लेखपाल(उत्तर प्रदेश) आदि। आंध्र प्रदेश, कर्नाटक, पश्चिम बंगाल, उत्तर भारत और पड़ोसी देश पाकिस्तान में पटवारी शब्द प्रचलित है। गुजरात-महाराष्ट्र में 1918 तक इन्हें कुलकर्णी कहा जाता था, जिसे खत्म कर तलाटी कहा जाने लगा। तमिलनाडु में पटवारी को कर्णम या अधिकारी कहा जाता है।


पटवारी प्रणाली की शुरुवात कब हुई


पटवारी प्रणाली की शुरूआत सर्वप्रथम शेर शाह सूरी के शासनकाल के दौरान हुई और बाद में अकबर ने इस प्रणाली को बढ़ावा दिया। राजा टोडरमल जो अकबर के दरबार में भू-अभिलेख का मन्त्री था, के द्वारा जमीन संबंधी कार्यो के सम्पादन के लिये पटवारी पद की स्थापना की गयी थी। ब्रितानी शासनकाल के दौरान इसमें मामूली परिवर्तन हुये लेकिन प्रणाली जारी रही।1918 में सभी गाँवों में सरकार प्रतिनिधि के रूप में लेखापाल नियुक्त किये।


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लेखपाल के कार्य क्या है ?

उत्तर प्रदेश लैंड रिकॉर्ड मैनुअल में लेखपालों के कार्य के सम्बन्ध में प्रावधान किया गया है, जिसके अंतर्गत लेखपाल के मुख्य कार्य / कर्तव्य है :

1. एक निर्धारित तिथि को तहसील में उपस्थित होना।
2. लेखपाल अपने क्षेत्र में हुई विपत्ति जैसे कि बाढ़, सूखा, पाला-ओला, फसल सम्बन्धी रोग और टिडडी कीड़ो के आक्रमण की सूचना रजिस्ट्रार कानूनगों व् चिकत्सक को देना ।
3. लेखपाल अपने क्षेत्र की निम्न रिपोर्ट को सुपरवाइजर कानूनगों को देते हैं
  • सुपरवाइजर कानूनगों द्वारा लेखपाल के क्षेत्र में की गयी जाँच की प्रविष्टियों में पायी गयी गलतियों की रिपोर्ट।
  • लेखपाल अपने क्षेत्र में बिना विवाद वाले उत्तराधिकार के मामलों की रिपोर्ट तैयार कर देंगे।
  • राज्य सरकार से प्राप्त पट्टे की भूमि के पट्टें की शर्तो के उल्लंघन होने के सम्बन्ध में तैयार की गयी रिपोर्ट देंगे।
  • लेखपाल अपने क्षेत्र की बिना मालगुजारी वाली बाग की भूमि की समाप्ति के मामले सम्बन्धी रिपोर्ट तैयार कर देंगे।
  • लेखपाल अपने क्षेत्र की नदी कटाव से प्लावित या प्राप्त हुई भूमि के सभी मामलों की रिपोर्ट तैयार कर देंगे।
  • लेखपाल अपने क्षेत्र की अकृषित भूमि विषेकर बाग की भूमि की प्रकृति रिपोर्ट तैयार कर देंगे।
  • लेखपाल अपने क्षेत्र की भूमि के सम्बन्ध में बरबाद या नष्ट हुए सर्वे -चिन्ह या सीमा -चिन्ह जिनके नवनीकरण या मरम्मत की जरुरत है, तो इनके सम्बन्ध में एक रिपोर्ट तैयार कर देंगे।
  • लेखपाल अपने क्षेत्र में घटित होने वाली किसी असाधारण घटना की सूचना या रिपोर्ट देगा जो पहले न दी गयी हो।
  • लेखपाल अपने क्षेत्र की नजूल या सरकारी भूमि पर अतिक्रमण से सम्बंधित सभी मामलों की रिपोर्ट तैयार कर देंगे।
4. लेखपाल के पास कौन-कौन से दस्तावेज होते है ?

लेखपाल अपने क्षेत्र के भू राजस्व सम्बंधित सभी दस्तावेज जो कि लैंड रिकॉर्ड मैन्युअल के पैरा 25 में दिए गए इन सभी दस्तावेजों को अपने पास रखता है। ये दस्तावेज निम्न है :-

नक्शा -नजरी,
खसरा,
खतौनी,

अन्य दस्तावेजों को बनाना व् इनको सुरक्षित रखना।

5. व्यक्ति के अनुरोध पर भू-सम्बन्धी दस्तावेजों को दिखाना और उसकी सत्यापित प्रतिलिपि देना।



6. भूमि प्रबंधक समिति के मंत्री के रूप में कार्य करना।


7. लेखपाल द्वारा अन्य विभागों के कार्य करना।
लेखपाल अन्य विभागों से सम्बंधित अभिलेखों को तैयार करने का कार्य करते है। ये अन्य विभाग निम्न है : कृषि विभाग, सिचाई विभाग, पुलिस, एक्साइज, विधायिका, पशु चिकित्सा विभाग आदि।


लेखपाल कितने प्रकार के होते हैं

लेखपाल दो प्रकार के होते हैं 

चकबंदी लेखपाल

चकबंदी लेखपाल का मुख्य काम ग्रामीण इलाक़ो में चकबंदी के ज़रिए बिखरी हुई खेती योग्य ज़मीन के छोटे टुकड़ों को आपस में मिलाना और खेती योग्य भूमि का निरीक्षण करना, फसल-उपज का डेटा रिकॉर्ड करना, खेती योग्य ज़मीन का नक्शा और कम्प्यूटरीकृत तरीके से ज़मीन का रिकॉर्ड बनाना होता है।


राजस्व लेखपाल


इनका मुख्य कार्य भूमि अभिलेख, भूमि मापन, सरकारी भूमि को बहाल करना, सरकारी योजनाओं को हर दरवाजे तक ले जाना, कृषि भूमि के अभिलेखों को देखना, आय, जाति और निवास प्रमाण पत्र बनाना और लोगों के बिखरे हुए खेतों को चकबंदी के माध्यम से जोड़ना आदि हैं।


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पटवारी


उत्तराखंड देश का ऐसा पहला राज्य है जहा पर पटवारी और लेखपाल दोनों की व्यवस्था की गयी है। जबकि अन्य राज्यों में केवल लेखपालों की ही भर्ती होती है। उत्तराखंड देश के 11 पर्वतीय राज्यों में से एक है जहाँ पर विषम भौगोलिक परिस्तिथियाँ है। उत्तराखंड में ऐसे कई पर्वतीय क्षेत्र है जहां पर नियमित पुलिस नहीं है, ऐसी अवस्था में पटवारी से ही पुलिस का कार्य लिया जाता है।

इस प्रकार पटवारी के पास राजस्व के कार्यों के साथ पुलिस पावर भी होती है। और वह संबंधित क्षेत्र का थानेदार कहलाता है। इसीलिए पटवारी को राजस्व पुलिस या रेबन्यू इंस्पेक्टर भी कहा जाता है।

साथ ही पटवारी के द्वारा वे सारे कार्य किये जाते है जो प्रशासनिक स्तर से ग्रामीण क्षेत्र में किये जा सकते है। क्यूंकि पटवारी ही है जो ग्रामीण क्षेत्रो में प्रशासन की सबसे छोटी इकाई के रूप में तैनात होता है।

पटवारियों की नियमित नियुक्ति केवल पर्वतीय जनपदों में ही होती है, इसलिर पटवारी हल्के भूमि संबंधी विवादों का निपटारा भी करते है, साथ ही भूमि का सीमांकन, म्यूटेशन, हैसियत, जाती, आय, आपदा, निवास संबंधी प्रमाणपत्र आदि कार्य इनके द्वारा ही किये जाते है।



कानूनगो और लेखपाल में क्या अंतर है




कानूनगो और लेखपाल दोनों सरकारी अधिकारी हैं जो भारत सरकार के राजस्व विभाग में काम करते हैं। हालांकि उनकी भूमिकाएं और जिम्मेदारियां कुछ हद तक ओवरलैप हो सकती हैं, लेकिन दोनों स्थितियों के बीच कुछ महत्वपूर्ण अंतर हैं।

एक कानूनगो भूमि रिकॉर्ड, राजस्व संग्रह, और भूमि के स्वामित्व और उपयोग से संबंधित अन्य प्रशासनिक कार्यों को बनाए रखने के लिए जिम्मेदार होता है। वे आम तौर पर रैंक में उच्च होते हैं और लेखपाल की तुलना में अधिक पर्यवेक्षी जिम्मेदारियां होती हैं। कानूनगो लेखपालों के काम की देखरेख करने और यह सुनिश्चित करने के लिए जिम्मेदार हैं कि भूमि रिकॉर्ड सटीक और अद्यतित हैं।

दूसरी ओर, एक लेखपाल ग्राम राजस्व खातों को बनाए रखने, सर्वेक्षण करने और भूमि के स्वामित्व से संबंधित रिपोर्ट तैयार करने के लिए जिम्मेदार होता है। वे एक कानूनगो की देखरेख में काम करते हैं और अपने निर्दिष्ट गांव के भीतर भूमि के स्वामित्व, भूमि उपयोग और राजस्व संग्रह के विस्तृत रिकॉर्ड को बनाए रखने के लिए जिम्मेदार होते हैं।

लेखपाल, पटवारी ,कानूनगो में क्या अंतर है



संक्षेप में, जबकि कानूनगो और लेखपाल दोनों राजस्व अधिकारी हैं जो एक ही विभाग में काम करते हैं, कानूनगो आम तौर पर एक उच्च पदस्थ अधिकारी होता है जो लेखपालों के काम की निगरानी करता है और यह सुनिश्चित करता है कि भूमि रिकॉर्ड सटीक और अद्यतित हैं, जबकि लेखपाल हैं विस्तृत राजस्व खातों को बनाए रखने और अपने सौंपे गए गाँव के भीतर सर्वेक्षण करने के लिए जिम्मेदार।


Ref :



  • https://www.lawyerguruji.com/2020/11/what-is-who-is-lekhpal-work-function-of-lekhpal.html

  • https://www.mygkbook.com/constitution-of-india-in-hindi/%E0%A4%AA%E0%A4%9F%E0%A4%B5%E0%A4%BE%E0%A4%B0%E0%A5%80-%E0%A4%95%E0%A5%87-%E0%A4%95%E0%A4%BE%E0%A4%B0%E0%A5%8D%E0%A4%AF/

  • https://flasheducation.co.in/question-answer/describe-responsibilities-patwari

  • https://www.dspmuranchi.ac.in/pdf/Blog/KANUNGO.pdf

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