दीवानी और फौजदारी मुकदमों में क्या अंतर है अधिकांश व्यक्ति का अपने जीवन में कभी न कभी न्यायलय से सामना होता है। न्यायलय हमारे समाज के महत्वपूर्ण और अभिन्न हिस्सा होते हैं जहाँ व्यक्ति के सम्मान और अधिकारों की सुरक्षा का आश्वासन ही नहीं होता बल्कि अपराधियों को सजा देकर अपराधों को हतोत्साहित करने का भी प्रयास होता है ताकि समाज भयमुक्त रहे और राज्य में उसका भरोसा बना रहे। न्यायलय में न्याय प्रक्रिया में मुकदमों की महत्वपूर्ण भूमिका होती है। न्यायलय में तरह तरह के मुक़दमे होते हैं। इन मुकदमों को उनकी प्रकृति और उद्द्येश्य के आधा…
भारतीय दंड संहिता में मानव हत्या को गंभीरतम अपराध माना गया है। इसके लिए कठोर सजा का प्रावधान है। किन्तु कई बार अपराधी हत्या की कोशिश तो करता है किन्तु व्यक्ति की मृत्यु नहीं हो पाती, इस स्थिति में इसे हत्या का प्रयास मान कर मुक़दमे की सुनवाई होती है। इस तरह इन्हें दो तरह के अपराधों की श्रेणी में रखकर इनके लिए सजा निर्धारित की गयी है। जहाँ मानव हत्या के लिए धारा 302 लगती है वहीँ हत्या के प्रयास के लिए धारा 307 में सजा का प्रावधान है। आइये जाने धारा 302 और धारा 307 क्या हैं और इनके लिए कौन सी सजाएँ निर्धारित हैं और दोनों में अंतर क्या हैं …
चोरी और डकैती में क्या अंतर है चोरी, लूट और डकैती ऐसे अपराध हैं जो चल संपत्ति के अपने मूल स्थान से हटने, संपत्ति के मालिक से असहमति और साथ में बेईमानी के आशय से किये जाते हैं। ये सभी अपराध काफी प्रचलित हैं और अकसर इस तरह की घटनाएं देखने सुनने को मिल जाती हैं। कई बार लोग इन्हें सामान्य अर्थ में लेते हैं और इनके बीच कानूनी फर्क को नहीं समझ पाते। आइये देखते हैं चोरी और डकैती क्या हैं और इनके बीच क्या अंतर है ? चोरी किसे कहते हैं हमारे समाज में चोरी एक बहुत ही सामान्य और बहुत ही प्रचलित अपराध है जो अकसर घटित होती है। चोरी मानव सभ्यता के स…
क्या अंतर है धारा 302 और धारा 304 में भारतीय दंड संहिता यानि इंडियन पीनल कोड दुनियां के सबसे पुरानी दंड संहिताओं में से एक है। इंडियन पीनल कोड को अंग्रेजों के शासन काल में 1860 में तैयार किया गया था और इसे 1862 में लागू किया गया था। इसमें समय और परिस्थितियों के बदलाव के साथ कई संशोधन भी होते रहे हैं। 1947 में भारत की स्वतंत्रता के पश्चात् इसी दंड संहिता को कई बदलावों के साथ भारत में स्वीकार किया गया। भारत के साथ साथ लगभग इसी संहिता को कई अन्य देशों में जैसे पाकिस्तान, बांग्लादेश, श्रीलंका, म्यांमार, मलयेशिआ, सिंगापूर आदि देशों में …
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