स्वतंत्रता दिवस और गणतंत्र दिवस दोनों भारत के राष्ट्रीय त्यौहार हैं। ये दोनों दिन भारत के लोगों के लिए काफी महत्व रखते हैं। ये दोनों दिन हमें अपने देश पर न्योछवर होने वाले अमर बलिदानियों की याद दिलाता है और हमें अपनी स्वतंत्रता और अधिकारों के महत्व का भान कराता है। स्वतंत्रता दिवस और गणतंत्र दिवस हालांकि दोनों हमारे राष्टपर्व हैं तो भी ये दोनों अलग अलग हैं और इनमे काफी अंतर है। आइये विस्तार से जाने दोनों क्या हैं और उनमे क्या अंतर हैं
स्वतंत्रता दिवस क्या है
स्वतंत्रता दिवस या स्वाधीनता दिवस जिसे अंग्रेजी में इंडिपेंडन्स डे भी कहा जाता है भारत का सबसे बड़ा राष्ट्रीय त्यौहार है। यह हर वर्ष 15 अगस्त को मनाया जाता है। इसी दिन 1947 को भारत को ब्रिटिश साम्राज्य से आज़ादी मिली थी। तब से हर वर्ष 15 अगस्त को पुरे भारत में हम स्वतंत्रता दिवस मनाते हैं। इस दिन सभी सरकारी कार्यालय बंद रहते हैं। साथ ही सभी स्कूलों, कॉलेजों, सरकारी कार्यालयों में राष्ट्रीय झंडा तिरंगा फहराया जाता है और राष्ट्र गान जन गण मन गाया जाता है। इस दिन भारत के प्रधानमंत्री लाल किले पर तिरंगा झंडा फहराते हैं। इसी दिन भारत के प्रधान मंत्री इंडिया गेट पर अमर जवान ज्योति पर श्रद्धांजलि अर्पित करते हैं। इसके साथ ही हर राज्य के मुख्यमंत्री अपने अपने राज्य की राजधानियों में झंडोतोलन करते हैं। स्कूल कॉलेजों में भाषण, नृत्य और कई तरह की प्रतियोगितायें होती हैं तथा मिठाइयों का वितरण होता है।
हमारा देश करीब दो सौ सालों तक अंग्रेजों का गुलाम रहा। अनगिनत कुर्बानियों ,बलिदान और संघर्षों के उपरान्त अंग्रेजों से हमें आज़ादी मिली और 14 और 15 अगस्त 1947 की मध्य रात्रि से भारत एक स्वतंत्र देश बन गया। भारत के प्रथम प्रधान मंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू उस दिन लाल किले पर तिरंगा झंडा फहराए। तब से हर वर्ष उस दिन को हम राष्ट्रिय त्यौहार के रूप में मनाते हैं।
गणतंत्र दिवस किसे कहते हैं
गणतंत्र दिवस भी स्वतंत्रता दिवस की भांति हमारा एक प्रमुख राष्ट्रीय त्यौहार है। 15 अगस्त 1947 को भारत को अंग्रेजों से आज़ादी मिली थी किन्तु अभी हमारा देश गणतंत्र घोषित नहीं हुआ था और हमारे देश के पास अपना कोई संविधान भी नहीं था। फिर बाबा साहेब भीम राव आंबेडकर के नेतृत्व में भारत का अपना संविधान लिखा गया। इस संविधान को 26 जनवरी 1950 को लागू किया गया और भारत एक गणतंत्र देश घोषित हुआ। तभी से हर वर्ष 26 जनवरी को हम गणतंत्र दिवस मनाते हैं। इस दिन भारत के राष्ट्रपति राजपथ पर तिरंगा झंडा फहराते हैं और तीनों सेनाओं की सलामी लेते हैं। इस दिन देश के विभिन्न अस्त्र शस्त्र का भी प्रदर्शन किया जाता है और विभिन्न राज्यों की झांकियां भी निकली जाती हैं।
जब देश गुलाम था उस समय कांग्रेस के द्वारा देश का पहला स्वतंत्रता दिवस 26 जनवरी 1929 को मनाया गया था और तब से लेकर देश की आज़ादी तक हर वर्ष इसी तरह उस दिन स्वतंत्रता दिवस मनाया जाता रहा जो बाद में आज़ादी मिलने के बाद 15 अगस्त को मनाया जाने लगा।
26 जनवरी को पुरे देश में गणतंत्र दिवस मनाया जाता है। हर सरकारी कार्यालयों, स्कूलों में झंडोतोलन होता है। मिठाइयां बांटी जाती हैं और राष्ट्र गान और राष्ट्र गीत गाया जाता है।
यह भी पढ़िए राष्ट्र गान और राष्ट्र गीत में क्या अंतर है
https://www.kyaantarhai.com/2019/02/rashtrgaan-aur-rashtrgeet-me-kya-antar.html
स्वतंत्रता दिवस और गणतंत्र दिवस में क्या अंतर है
Independence Day Vs Republic Day


स्वतंत्रता दिवस और राष्ट्र दिवस मनाने की वजहें भले ही अलग अलग हों परन्तु दोनों का हमारे देश में बहुत ही ऊँचा स्थान है और दोनों ही त्योवहार हमें अपने बलिदानों और संघर्षों की याद दिलाते हैं।
- स्वतंत्रता दिवस 15 अगस्त को मनाया जाता है जबकि गणतंत्र दिवस 26 जनवरी को मनाया जाता है।
- स्वतंत्रता दिवस भारत को अंग्रेजों से आज़ादी के उपलक्ष्य में मनाया जाता है जबकि गणतंत्र दिवस को भारत का संविधान लागू हुआ था।
- स्वतंत्रता दिवस को भारत के प्रधान मंत्री लाल किले पर तिरंगा झंडा फहराते हैं और बड़ी बड़ी घोषणाएं करते हैं वहीँ गणतंत्र दिवस पर देश के राष्ट्रपति राजपथ पर तिरंगा झंडा फहराते हैं और वहां देश की सेना शक्ति प्रदर्शन करती है।
- स्वतंत्रता दिवस पर झंडा नीचे से ऊपर बंधे हुए ले जाया जाता है फिर फहराया जाता है। इसे ध्वजारोहण कहते हैं जबकि गणतंत्र दिवस पर झंडा ऊपर ही बंधा रहता है और फिर फहराया जाता है। इसे झंडा फहराना कहते हैं।
- स्वतंत्रता दिवस कार्यक्रम का मुख्य स्थल लाल किला है जबकि गणतंत्र दिवस कार्यक्रमों का मुख्य स्थल राजपथ है।
- प्रथम स्वतंत्रता दिवस पर भारत में पंडित जवाहर लाल नेहरू ने प्रधानमंत्री का पद संभाला था वहीँ प्रथम गणतंत्र दिवस पर भारत के प्रथम राष्ट्रपति डॉ राजेंद्र प्रसाद ने राष्ट्रपति का पद संभाला।
स्वतंत्रता दिवस और राष्ट्र दिवस मनाने की वजहें भले ही अलग अलग हों परन्तु दोनों का हमारे देश में बहुत ही ऊँचा स्थान है और दोनों ही त्योवहार हमें अपने बलिदानों और संघर्षों की याद दिलाते हैं।
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