डेमू (DEMU) और मेमू (MEMU) ट्रेनें क्या हैं और इनमे क्या अंतर है
दोस्तों आजकल कई स्टेशनों पर एक नए तरह की ट्रैन दीख रही हैं। आम बोलचाल में इसे लोग डेमू कहते हैं। कई जगह इसी तरह की ट्रेनों को मेमू भी कहते सुना जाता है। आइए आज हम जानते हैं डेमू (DEMU) और मेमू (MEMU) ट्रेनें क्या हैं और इनमे क्या अंतर है।
डेमू और मेमू दोनों ट्रेनें भारत में कम दूरी की पैसेंजर ट्रेनें हैं जो धीरे धीरे सामान्य पैसेंजर ट्रेनों की जगह ले रहीं हैं।
ये ट्रेनें आधुनिक हैं और इनके सञ्चालन में अपेक्षाकृत कम खर्च आता है। ये पारम्परिक ट्रेनों की अपेक्षा हलकी और मजबूत होती हैं। इन दोनों तरह की ट्रेनों में इंजन इनबिल्ट होता है। इन ट्रेनों में कई समानताएं होते हुए भी कई ऐसी चीज़ें हैं जो इन्हें अलग करती हैं। आइए अब देखते हैं इन दोनों ट्रेनों में अंतर और समानताएं क्या क्या हैं
डेमू ट्रैन
डेमू शब्द अंग्रेजी के DEMU अक्षरों से मिलकर बना हुआ है। इसका फुल फॉर्म है डीजल इलेक्ट्रिकल मल्टीप्ल यूनिट (Diesel Electrical Multiple Unit ) आइए देखते हैं इस ट्रैन की कुछ ख़ास बातें

- इन ट्रेनों में चार चार डब्बों की एक यूनिट होती है। एक पूरी ट्रैन में ऐसी पांच यूनिट होती हैं जिससे कुल डब्बों की संख्या बीस हो जाती है।
- हर यूनिट का अपना इनबिल्ट इंजन होता है।
- यह लोकल इलेक्ट्रिक ट्रेनों का ही मॉडिफाइड रूप होता है।
- इसका इंजन डब्बे के फ्लोर के नीचे लगाया जाता है इसलिए इंजन दिखता नहीं है और डब्बे में बैठने के स्थान में कोई कमी नहीं होती है। इस तरह के इंजन को underslung कहते हैं।
- इसके डब्बों में उतरने चढ़ने के लिए सीढ़ी बनी होती है अतः इसके लिए प्लेटफार्म को ऊँचा बनाने की जरुरत नहीं होती। इसी वजह से इन्हे उन रूटों पर भी चलाया जा सकता है जहाँ लौ लेवल के प्लेटफार्म हैं।
- इन्हें डीजल या सीएनजी से चलाया जाता है। डीजल या सीएनजी से चलने की वजह से इन्हे किसी भी मार्ग पर चलाया जा सकता है।
- इन ट्रेनों में टॉयलेट होता है अतः इन्हें चार घंटे से ज्यादा दुरी वाले रूट पर चलाया जा सकता है।
मेमू (MEMU ) ट्रैन
डेमू ट्रेनों की तरह ही मेमू ट्रेने लोकल पैसेंजरों के लिए चलायी जाती है। मेमू मेन लाइन इलेक्ट्रिक मल्टीपल यूनिट शब्दों का संक्षिप्ताक्षर है। यह लोकल इलेक्ट्रिक ट्रेनों का ही मॉडिफाइड संस्करण है।
- इन ट्रेनों में चार चार डब्बे की एक यूनिट होती है। इस प्रकार आवश्यकतानुसार आठ डब्बे या बीस डब्बे की ट्रैन चलायी जाती है।
- प्रत्येक यूनिट में एक इनबिल्ट इंजन होता है।
- दोनों तरफ मोटरमैन के लिए केबिन होता है जहाँ से वे ट्रैन का सञ्चालन करते हैं।
- ये ट्रेने 25 KV ऐसी करंट से चलती है। इसके लिए ओवरहेड इलेक्ट्रिक केबल खम्बों के द्वारा पटरियों के किनारे किनारे लगायी जाती हैं।
- चुकि ये ट्रेनें बिजली से चलती हैं अतः इन्हे केवल उन्ही मार्गों पर चलाया जाता है जो विद्युतीकृत हों।
- प्रत्येक यूनिट में टॉयलेट की व्यवस्था होती है अतः इन्हें चार घंटे से ज्यादा लम्बे मार्ग पर चलाया जाता है।
- इनमे फूटस्टेप्स होते है अतः इनके लिए लो लेवल प्लेटफार्म को ऊँचा करने की जरुरत नहीं होती है।
1 टिप्पणियाँ
रोचक जानकारी...
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